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नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है और इसमें इतना दर्द क्यों होता है? जानें डॉक्टर से

डिलीवरी एक महिला की लाइफ के सबसे अनोखा, शक्तिशाली और कभी-कभी बहुत दर्द देने वाला अनुभव होता है। यह प्रक्रिया मां और शिशु के लिए शारीरित और इमोशनल रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इसकी क्या प्रक्रिया है?
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नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है और इसमें इतना दर्द क्यों होता है? जानें डॉक्टर से


Normal Delivery Ka Process Kya Hai: प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए बहुत खास होती है। लेकिन इस दौरान महिलाओं को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। खासकर डिलीवरी का समय महिलाओं के लिए बहुत अहम होता है। लेबल पैन शुरू होने से लेकर बच्चा पैदा होने के बीच महिलाएं बहुत ज्यादा दर्द से गुजरती हैं। डिलीवरी एक महिला की लाइफ के सबसे अनोखा, शक्तिशाली और कभी-कभी बहुत दर्द देने वाला अनुभव होता है। यह प्रक्रिया मां और शिशु के लिए शारीरित और इमोशनल रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है। नॉर्मल डिलीवरी यानी सर्जरी के बिना शिशु का जन्म एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो महिलाओं के लिए बहुत दर्द भरा होता है। ऐसे में आइए जयपुर के दिवा अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की प्रसूति एवं स्त्री रोग की विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिखा गुप्ता (Dr. shikha gupta, Laparoscopic surgeon and IVF specialist, DIVA hospital and IVF centre) से जानते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी का क्या प्रोसेस होता है (normal delivery kaise hoti hai) और इसमें इतना दर्द क्यों होता है?

नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया क्या है? - What is The Process Of Normal Delivery in Hindi?

नॉर्मल डिलीवरी लेबल पैन से शुरू होकर बच्चे के जन्म तक की प्रक्रिया है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को बहुत तेज दर्द होता है।

1. डिलीवरी की शुरुआत

नॉर्मल डिलीवरी की शुरुआत प्रसव के दर्द से होती है। जब महिला के गर्भाशय में संकुचन (contractions) शुरू होते हैं। ये सिकुड़न गर्भाशय की मांसपेशियों में धीरे-धीरे तेज और नियमित होती जाती है। गर्भाशय में सिकुड़न के कारण गर्भाशय का रास्ता धीरे-धीरे खुलने लगता है। इस प्रक्रिया को “डाइलेशन” कहा जाता है। इस स्टेज में महिलाओं के गर्भाशय के मुंह को लगभग 10 सेमी तक खुलना होता है ताकि शिशु बाहर आ सके। इस चरण में महिला को पीठ और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है, जिसे अक्सर लेबर पेन के रूप में जाना जाता है। डिलीवरी की शुरुआत में महिलाओं को कई घंटों तक लेबर पैन हो सकता है, खासकर अगर ये उनकी पहली प्रेग्नेंसी है।

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2. शिशु का गर्भाशय से नीचे आना

गर्भाशय के मुंह के खुलने के साथ-साथ शिशु नीचे की ओर खिसकने लगता है। इस प्रक्रिया में शिशु धीरे-धीरे गर्भाशय से होते हुए योनि के रास्ते की ओर बढ़ता है। इस स्टेज में महिला को जोर लगाना होता है, ताकि शिशु योनि के रास्ते की ओऱ धकेला जा सके। इस स्टेज में महिलाओं को बहुत ज्यादा दर्द होता है, क्योंकि शिशु का सिर ग्रीवा और योनि मार्ग से गुजरते समय आसपास की मांसपेशियों और स्किन पर ज्यादा दबाव डालता है।

3. शिशु का जन्म होना

डिलीवरी के दौरान जब महिलाओं का ग्रीवा पूरी तरह खुल जाता है और शिशु नीचे आ जाता है तब शिशु के जन्म की शुरुआत होती है। इसे स्टेज में महिला को बार-बार जोर लगाने के लिए कहा जाता है ताकि शिशु का सिर और शरीर बाहर आ सके। जैसे ही शिशु का सिर दिखाई देता है, डॉक्टर उसे धीरे-धीरे पकड़ते हैं और बाकी शरीर को बाहर निकालते हैं। इसके बाद शिशु की नाल (umbilical cord) काटी जाती है। इस स्टेज में महिलाओं को तेज दर्द ज्यादा इसलिए होता है क्योंकि योनि की स्किन और मांसपेशियां खिंचती हैं या फट भी सकती हैं। शिशु का सिर उसके शरीर का सबसे चौड़ा हिस्सा होता है, जो बाहर आते समय ज्यादा खिंचाव पैदा करता है। कई बार नॉर्मल डिलीवरी के दौरान योनि के पास चीरा भी लगाना पड़ता है।

normal delivery ka process kya hai

4. जन्म के बाद की देखभाल

शिशु के जन्म के बाद मां और बच्चे दोनों को खास देखभाल की जरूरत होती है। बच्चे की देखभाल करने के लिए डॉक्टर बच्चे को साफ करते हैं और सांस लेने में मदद करते हैं। मां के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क (skin-to-skin contact) कराया जाता है, जिससे शिशु को नई दुनिया में सुरक्षित महसूस हो। जबकि मां की केयर के लिए डॉक्टर उनके योनि की ब्लीडिंग को रोकने की कोशिश करते हैं और अगर टांके लगाने की जरूरत है तो वो लगाते हैं, जिसके बाद मां को आराम करने और हेल्दी खाने के लिए कहा जाता है।

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नॉर्मल डिलीवरी में इतना दर्द क्यों होता है? - Why is Normal Delivery Painful in Hindi?

नॉर्मल डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया ही महिलाओं के लिए दर्द से भरी होती है। ऐसे में हर स्टेज पर महिलाओं को तेज दर्द होने के कई कारण होते हैं, जैसे-

  • डिलीवरी के दौरान जब लेबल पैन शुरू होता है तो महिलाओं के गर्भाशय में सिकुड़न बहुत तेजी से होता है और लंबे समय तक चलता है, जिससे महिलाओं को बहुत ज्यादा दर्द होता है।
  • ग्रीवा के खुलने के दौरान महिलाओं के मांसपेशियों और नसों पर दबाव पड़ता हो, जिससे तेज दर्द होता है।
  • जन्म के लिए जैसे-जैसे शिशु नीचे आता है, पेल्विक (pelvis) और योनि मार्ग की हड्डियों और नसों पर दबाव डालता है।
  • बच्चे के शरीर से बाहर आने के दौरान स्किन और मांसपेशियों का खींचाव भी बहुत तेज दर्द का कारण बनता है।
  • लंबे समय तक लेबर पैन में रहने से महिला मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत ज्यादा थक जाती है, जिससे दर्द और भी ज्यादा महसूस होता है।

निष्कर्ष

नॉर्मल डिलीवरी एक नेचुरल प्रक्रिया है, लेकिन महिलाओं के लिए यह काफी दर्दनाक होता है। हालांकि, यह दर्द अस्थायी होता है, इसके लेकिन इस दर्द के बाद का नतीजा आपके जीवनभर की खुशियों का कारण बनता है।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • प्रेगनेंसी का पहला संकेत क्या है?

    प्रेग्नेंसी का सबसे पहला और आम संकेत पीरियड का न होना है। इसके अलावा, आपके शरीर में अन्य कई संकेत नजर आ सकते हैं, जिसमें जी मिचलाना, उल्टी, ब्रेस्ट में दर्द, थकान महसूस होना और बार-बार पेशाब आना शामिल है।
  • जल्दी नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए?

    नॉर्मल डिलीवरी के लिए, जरूरी है कि आप हल्के लेकिन नियमित एक्सरसाइज करें, हेल्दी डाइट ले, तनाव से दूर रहें और नींद पूरी करने की कोशिश करें। इसके अलावा, डॉक्टर की सलाह से पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।
  • नॉर्मल डिलीवरी में कितने टांके लगते हैं?

    wनॉर्मल डिलीवरी में, आमतौर पर योनि के टांकों की संख्या 10 से 15 तक होती है, जो धीरे-धीरे अपने आप खुल जाते हैं। यह टांके आमतौर पर अलग-अलग भी हो सकते हैं।

 

 

 

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