क्या आपने किसी बच्चे के जन्म के वक्त दांत आते देखे हैं? अगर हां, तो इन्हें नेटल टीथ कहा जाता है। वहीं आम भाषा में इन बातों को प्रीमेच्योर दांत भी कहते हैं। यह दांत दूध के नहीं होते हैं या तो यह दांत जन्म के वक्त दिखाई देते हैं या फिर 30 दिनों के अंदर अंदर निकल जाते हैं। आमतौर पर यह दांत नीचे वाले जबड़े के बीच में मौजूद होते हैं। ऐसे में इन दांतो के निकलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। आज का हमारा लेख उन्हीं कारणों पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि नेटल टीथ की समस्या के पीछे क्या कारण हैं। साथ ही देखभाल और जरूरी सावधानी के बारे में भी जानेंगे। ये लेख हीलिंग केयर ईएनटी क्लीनिक नोएडा के ईएनटी स्पेशलिस्ट (एमबीबीएस एमएस) डॉ अंकुर गुप्ता (Dr. Ankur Gupta) द्वारा दिए गए इनपुट्स पर बनाया गया है। पढ़ते हैं आगे...
क्या कहती है रिसर्च
1 - रिसर्च के मुताबिक तकरीबन 6 से 10% बच्चे नेटल टीथ की समस्या से ग्रस्त होते हैं। इससे संबंधित रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
2 - यह समस्या आम नहीं होती है। वहीं अगर आंकड़ों की बात की जाए तो एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार 2 से 3 हजार बच्चों में से 1 बच्चे में ये परेशानी देखी जा सकती है। आंकड़े पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
नेटल टीथ के कारण
शिशुओं में नेटल टीथ की समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह कारण निम्न प्रकार हैं-
1 - जब बच्चे पियरे रोबिन सिंड्रोम (Pierre Robin sequence/Pierre Robin syndrome) से ग्रस्त होते हैं तब नेटल टीथ की समस्या हो सकती है। बता दें कि इस समस्या के दौरान बच्चों का निचला जबड़ा आम दिनों के मुकाबले थोड़ा सा छोटा होता है, जिसके कारण ये समस्या हो सकती है।
2 - मां के शरीर में विटामिन की कमी के कारण बच्चे को जरूरी विटामिंस नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में खराब पोषक तत्व के कारण बच्चों के जन्म से ही दांत निकलने की समस्या हो सकती है।
3 - जब बच्चे सोटोस सिंड्रोम (Sotos Syndrome) से ग्रस्त हो जाते हैं तब भी यह समस्या हो सकती है। हालांकि यह सिंड्रोम बेहद ही दुर्लभ होता है। लेकिन इसके होने पर बच्चा जरूरत से ज्यादा मोटा हो जाता है और उसके बोलने की आदत या मोटर स्किल्स भी प्रभावित हो सकती हैं।
4 - कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनमें जन्म के वक्त कटे होंठ या कटे तालु की समस्या होती है। इसके कारण भी नेटल टीथ की समस्या हो सकती है।
5 - जब बच्चे हड्डियों को प्रभावित करने वाले सिंड्रोम एलिस-वैन क्रेवेल्ड सिंड्रोम (Ellis-Van Creveld Syndrome) से ग्रस्त हो जाते हैं। तब भी नेटल टीथ की समस्या हो सकती है।
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6 - कुछ मामलों में यह समस्या जेनेटिक में देखी गई है। यदि माता-पिता को यह समस्या हुई है तो बच्चे में भी जन्म से दांत आने की समस्या हो सकती है यानी इसके पीछे आनुवंशिक कारण हो सकते हैं।
नेटल टीथ की देखभाल करने का तरीका और जरूरी सावधानी
घर पर रहकर माताएं बच्चे की नेटल टीथ की देखभाल कर सकती हैं। हालांकि यदि यह नुकीला है तो डॉक्टर स्पीच को निकाल भी सकते हैं देखभाल के निम्न तरीके इस प्रकार है
1 - शिशुओं की नेटल टीथ को साफ रखने के लिए माताएं साफ कपड़े का इस्तेमाल करें। कपड़े को गिला करके वह नेटल टीथ और मसूड़े दोनों को साफ कर सकते हैं।
2 - नेटल टीथ हो साफ करने के लिए माताएं गर्म पानी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
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3 - नेटल टीथ नुकीला है तो तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। इससे बच्चों में सांस लेने की समस्या पैदा हो सकती है।
4 - नेटल टीथ के कारण यदि बच्चों को स्तनपान कराने में दिक्कत महसूस हो रही है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि नेटल टीथ की समस्या शिशुओं को कई समस्याओं का सामना करा सकती है। ऐसे में माताओं को इस प्रकार की समस्या नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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