आज की तेज रफ्तार जिंदगी में ट्रेवल करना आम हो गया है, चाहे रोजाना ऑफिस के लिए बस या मेट्रो पकड़नी हो, वीकेंड पर कार से लंबा सफर करना हो या छुट्टियों में ट्रेन और हवाई जहाज से घूमने जाना। लेकिन सफर का मजा कुछ लोगों के लिए परेशानी में बदल जाता है, जब उन्हें मोशन सिकनेस यानी ट्रैवल के दौरान चक्कर, उल्टी, मतली और ठंडा पसीना आने जैसी दिक्कत होती है। यह समस्या बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और माइग्रेन के मरीजों में ज्यादा देखी जाती है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों को अपनाया जाए तो इससे बचा जा सकता है। मोशन सिकनेस के कारण मुख्य रूप से हमारे दिमाग, आंखों और कानों के बीच तालमेल की कमी से जुड़े होते हैं। इस लेख में एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से जानिए, मोशन सिकनेस के कारण क्या होते हैं?
मोशन सिकनेस के कारण - What is the reason for motion sickness
मोशन सिकनेस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को ट्रैवल के दौरान विजुअल और बैलेंस सिस्टम के बीच तालमेल न बैठने के कारण असहजता महसूस होती है। जब हमारा दिमाग आंखों, कानों और शरीर से मिलने वाले संकेतों में अंतर महसूस करता है, तो यह उल्टी, चक्कर और मतली का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, बस में बैठकर मोबाइल देखने पर आंखें स्थिर चीज देख रही होती हैं, लेकिन कान और शरीर गति को महसूस कर रहे होते हैं, यही मोशन सिकनेस ट्रिगर करता है। ये समस्या ज्यादातर प्रेग्नेंट महिलाओं, बच्चों, माइग्रेन के मरीजों, सेंसिटिव नर्वस सिस्टम वाले लोगों और जिनके जिनके परिवार में मोशन सिकनेस का इतिहास है उन लोगों में ज्यादा होती है।
1. इंटरनल ईयर का असंतुलन
हमारे कान के अंदर एक सिस्टम मौजूद होता है, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। ट्रैवल के दौरान अगर यह सिस्टम अचानक गति, दिशा या वाइब्रेशन में बदलाव महसूस करता है, तो यह दिमाग को कंफ्यूज कर देता है, जिससे मोशन सिकनेस के लक्षण शुरू हो जाते हैं।
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2. आंखों और दिमाग के बीच सही तालमेल की कमी
जब आंखों और दिमाग को एक जैसी जानकारी नहीं मिलती, तो यह मोशन सिकनेस का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप हिलती गाड़ी में किताब पढ़ रहे हैं, तो आंखें स्थिर किताब देख रही हैं, लेकिन कान और शरीर गति को महसूस कर रहे हैं इससे दिमाग कंफ्यूज हो जाता है।
3. सेंसेटिव नर्वस सिस्टम
कुछ लोगों का नर्वस सिस्टम ज्यादा संवेदनशील होता है, जिससे उन्हें हल्के मूवमेंट पर भी मोशन सिकनेस हो सकती है। यह समस्या बच्चों और माइग्रेन से पीड़ित लोगों में ज्यादा पाई जाती है।
4. हार्मोनल बदलाव
प्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण मतली और उल्टी की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जिससे सफर के समय मोशन सिकनेस का खतरा बढ़ जाता है।
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5. मानसिक तनाव और थकान
अगर किसी व्यक्ति को ट्रैवल से पहले ज्यादा थकान, चिंता या तनाव होता है तो ये समस्याएं भी मोशन सिकनेस को ट्रिगर कर सकते हैं।
मोशन सिकनेस से बचाव के आसान उपाय - how to prevent motion sickness
- गाड़ी या बस में आगे की सीट, ट्रेन में खिड़की के पास बैठने से मोशन सिकनेस की संभावना कम होती है। ऐसे में जब भी आप सफर करें तो इस बात का ख्याल रखें।
- ट्रैवल के दौरान सफर से साथ आगे की तरफ देखें या दूर दिख रही चीजों को देखें और इस दौरान मोबाइल या किताब पढ़ने से बचें।
- ट्रैवल से पहले ज्यादा ऑयली या मसालेदार खाना न खाएं। हर्बल चाय जैसे कि अदरक की चाय या नींबू पानी मोशन सिकनेस को रोकने में मदद कर सकता है।
- थकान मोशन सिकनेस को बढ़ा सकती है, इसलिए हमेशा ट्रैवल करने से पहले अच्छी नींद लें।
- जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से एंटी-मोशन सिकनेस दवाएं ली जा सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
निष्कर्ष
मोशन सिकनेस कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह ट्रैवल के सफर को खराब कर सकती है। सही जानकारी, समय पर पहचान और कुछ आसान उपाय अपनाकर इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। खासकर बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और माइग्रेन के मरीजों को ट्रैवल के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए।
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