
भारी बारिश से नदियां उफान पर हैं जिससे लाखों हेक्टेयर फसलें जलमग्न हैं। दिल्ली में यमुना की बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है। 2025 में जलस्तर 207.48 मीटर तक पहुंच गया है। अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ की तबाही से बेघर हुए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में हैं। हिमाचल प्रदेश में भी बाढ़ का कहर जारी है। ऐसे में जब टीवी पर बुझे चेहरे नजर आते हैं, तो मन में सवाल उठता है कि बाढ़ से बेघर हुए लोगों के मन पर क्या बीत रही होगी। प्राकृतिक आपदाएं केवल इंसानी जीवन और संपत्ति को ही नुकसान नहीं पहुंचातीं, बल्कि यह मन और दिमाग पर भी गहरा असर छोड़ जाती हैं। कई बार यह मानसिक असर इतना गहरा होता है कि लंबे समय तक व्यक्ति इससे उबर नहीं पाता। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा जूझ रहे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। इस पर विस्तार से आगे बात करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।

1. अचानक तनाव होना- Acute Stress
बाढ़ जैसी आपदा को झेलना आसान नहीं होता। ऐसी स्थिति में लोगों को अचानक से तनाव का अनुभव होता है। वैसे, तो यह तनाव अस्थायी होता है, लेकिन इसे कंट्रोल न किया जाए, तो यह मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। अचानक तनाव महसूस होने पर डर लगता है, बेचैनी महसूस होती है, नींद न आने की समस्या होती है और तेज धड़कन जैसे लक्षण नजर आते हैं।
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2. ट्रॉमा के बाद की बीमारी- Posttraumatic Stress Disorder
पीटीएसडी (PTSD) उन लोगों में देखा जाता है जो आपदा के दौरान गंभीर घटनाओं या नुकसान का अनुभव करते हैं। इसमें फ्लैशबैक आना, डरावने सपने और हर समय खतरे की भावना बनी रहना शामिल है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पीटीएसडी मरीज को सामान्य जिंदगी जीने से रोक सकता है और इलाज न मिलने पर यह कई सालों तक यह समस्या बनी रह सकती है।
3. बच्चों पर प्रभाव- Impact On Children
बाढ़ जैसी आपदा के कारण बच्चों का आत्मविश्वास और मनोबल प्रभावित होता है। बच्चों को लंबे समय तक डर, घबराहट और असुरक्षा का अनुभव होता है, जो कुछ लोगों में उम्रभर के लिए भी हो सकता है। ऐसे बच्चे पढ़ाई में रुचि खो सकते हैं, बिस्तर गीला करना शुरू कर सकते हैं या बार-बार रोने जैसा व्यवहार दिखा सकते हैं। यह संकेत हैं कि उन्हें मानसिक तौर पर मदद की जरूरत है।
4. सामाजिक दूरी और अलगाव- Social Withdrawal And Isolation
आपदा के बाद कई लोग सामाजिक संपर्क से दूर हो जाते हैं। वे दोस्तों और परिवार से मिलने में हिचकिचाते हैं और अकेले रहना पसंद करते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, यह अलगाव डिप्रेशन और चिंता को बढ़ावा देता है और व्यक्ति की रिकवरी को और मुश्किल बना देता है।
निष्कर्ष:
बाढ़ जैसी आपदा का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है। ऐसी स्थिति में लोग अचानक से तनाव, डर, घबराहट का अनुभव करते हैं। जो भले ही थोड़े समय में ठीक हो जाए, लेकिन कुछ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर उम्र भर के लिए भी रह सकता है।
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