तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और मॉडर्न वर्किंग कल्चर ने हमारी जिंदगी को जितना सुविधाजनक बनाया है, उतना ही हमें एक-दूसरे से दूर भी कर दिया है। पहले जहां लोग अपने पड़ोसियों के साथ समय बिताते थे, मिलजुल कर त्योहार मनाते थे, वहीं आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी को इतना समय ही नहीं मिल पाता कि वह अपने आसपास रहने वालों को जान सके। ऑफिस की डेडलाइन्स, सोशल मीडिया की व्यस्तता और व्यक्तिगत संघर्षों ने हमें कहीं न कहीं अकेला कर दिया है। यह अकेलापन धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालने लगता है। जब किसी के पास अपनी बात कहने वाला, सुनने वाला या भावनात्मक सहयोग देने वाला कोई नहीं होता, तो उसका मन अंदर ही अंदर टूटने लगता है। यही स्थिति कई बार चिंता (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बन जाती है। इस लेख में पारस हेल्थ, गुरुग्राम के कंसल्टेंट मनोचिकित्सक, डॉ. अनिल कुमार (Dr. Anil Kumar, Consultant Psychiatrist, at Paras Health, Gurugram) से जानिए, एंग्जायटी और डिप्रेशन से कैसे छुटकारा पाएं?
डिप्रेशन और एंग्जायटी से कैसे निपटें? - How to get out of anxiety and depression
डॉ. अनिल कुमार बताते हैं कि परीक्षा का तनाव हो, नौकरी या रिश्तों की उलझन, हर कोई कभी न कभी इन भावनाओं से गुजरता है। लेकिन जब ये भावनाएं लंबे समय तक बनी रहती हैं और जीवन की क्वालिटी को प्रभावित करने लगती हैं, तो यह चिंता और डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। इस समस्या का समाधान संभव है, लेकिन इसके लिए पहला कदम है इसे समझना, स्वीकार करना और मदद लेना। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि चिंता और डिप्रेशन को कैसे पहचाना जाए और इनसे बाहर निकलने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
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डिप्रेशन और एंग्जायटी के क्या लक्षण हैं? - what are the symptoms of depression and anxiety
चिंता और डिप्रेशन के कई लक्षण होते हैं जो मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से महसूस किए जा सकते हैं, जैसे कि लगातार घबराहट या बेचैनी महसूस होना, बार-बार किसी बात की चिंता करना, दिल की धड़कन तेज होना, पसीना आना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, नींद न आना या बार-बार जागना, हर समय उदासी या खालीपन महसूस होना, किसी काम में रुचि न रहना, एनर्जी की कमी, थकावट और आत्महत्या के विचार आदि।
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डिप्रेशन और एंग्जायटी से बाहर कैसे निकलें? -How to reduce feelings of anxiety and depression
- खुद को समझें और यह मानें कि दुख और तनाव होना स्वाभाविक है। हर भावना को स्वीकार करना मानसिक सेहत के लिए पहला कदम है।
- नियमित समय पर उठना, खाना और सोना आपके मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
- योग, प्राणायाम और ध्यान से मानसिक शांति मिलती है। यह आपके नर्वस सिस्टम को शांत करता है और तनाव को कम करता है। रोज 15-20 मिनट ध्यान करना बेहद लाभकारी हो सकता है।
- नकारात्मक विचारों को पकड़कर उन्हें चुनौती देना सीखें। हर दिन एक पॉजिटिव बात खुद से कहें।
- अपने करीबी लोगों से बात करने से मन हल्का होता है। यदि आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं, तो उन्हें अपने मन की बात बताएं।
- एक्सरसाइज आपके शरीर में खुशी देने वाले हार्मोन को बढ़ाता है, जिससे मूड बेहतर होता है। रोजाना वॉक, डांस या रनिंग शुरू करें।
- नींद की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। रोजाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेने की आदत बनाएं।
अगर चिंता या डिप्रेशन के लक्षण हफ्तों तक बने रहें और आपके डेली रूटीन में रुकावट डालने लगें, तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से मदद लेने में देर न करें। थेरेपी, काउंसलिंग और जरूरत पड़ने पर दवा से भी राहत मिल सकती है। कई बार लोग सोचते हैं कि मानसिक समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता।
निष्कर्ष
चिंता और डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है। यह कमजोरी नहीं, बल्कि एक मानसिक स्थिति है जिसे इलाज और देखभाल की जरूरत होती है। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति ऐसे लक्षण महसूस कर रहा है, तो चुप न रहें। बात करें, मदद लें और आगे बढ़ें। मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना वैसा ही जरूरी है जैसे शारीरिक स्वास्थ्य का।
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