कोरोनाकाल में महिलाओं के पीरियड्स पर कैसे पड़ा संक्रमण और लॉकडाउन का असर?

कोरोना ने महिलाओं के पीरियड्स के साइकल को किस तरह से प्रभावित किया, इस पर अपने अपनुभव साझा कर रही हैं कई महिलाएं।
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कोरोनाकाल में महिलाओं के पीरियड्स पर कैसे पड़ा संक्रमण और लॉकडाउन का असर?


‘लगभग डेढ़ साल से घर में हूं। पढ़ाई लगभग ठप है। घर की फाइनेंशियल हालत बिगड़ी जिसकी वजह से मेरी डाइट बिगड़ी और मानसिक दबाव बढा। ऐसी परिस्थिति में जब पीरियड्स हुए तो हैवी फ्लो की दिक्कत हुई।’ जेंडर स्टडीज में एमए कर रहीं प्रिया गोस्वामी का कहना है कि कोरोना के कारण घर में बैठकर घंटों ऑनलाइन क्लास लेने के कारण उनके पीरियड्स पर असर पड़ा।  स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा। हैवी फ्लो में एक दिन में चार पैड इस्तेमाल करने पड़ते थे, ऐसे में घर की आमदनी उतनी थी नहीं, तो पैड खरीदना मेरे लिए मुश्किल हुआ, लेकिन लॉकडाउन के दौरान हुए पीरियड्स ने मुझे मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में स्ट्रेस डाला।

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कोरोना के दौरान पीरियड्स में हैवी फ्लो जैसी परेशानी प्रिया को हुई वैसी कई महिलाएं जिनको यह परेशानी भुगतनी पड़ी। कोरोना के दौरान हुए पीरियड्स का हर महिला पर अलग असर पड़ा। वे महिलाएं जिनकी फानेंशियल कंडीशन ठीक है और वर्क फ्रॉम में घर में हैं उन पर पीरियड्स का अलग असर हुआ और वे महिलाएं जो लॉकडाउन लगते ही गांव की तरफ गईं, उन पर पीरियड्स का अलग असर हुआ। जिन महिलाओं को कोविड हुआ और जिनको नहीं हुआ दोनों के पीरियड्स में अंतर रहा। 

पिछले कई सालों से माहवारी पर काम कर रहीं मुहिम संस्था की संस्थापक स्वाती सिंह का कहना है कि प्रवासी महिलाएं जिनके हाथ में नौकरी करके थोड़े बहुत पैसे आ रहे थे, वे भी कोरोना ने उनसे छीन लिए। ऐसे में उनकी इकॉनॉमी बिगड़ी, जिसकी वजह से उनके लिए पैड खरीदना भी मुश्किल हो गया। मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (Menstruation Hygiene Day 2021) पर कई महिलाओं ने अपने कोरोना के दौरान उनके पीरियड्स को लेकर अनुभव कैसे रहे इस बारे में अनुभव साझा किए। 

...जिनको कोविड हुआ उनका कैसा पीरियड हुआ?

जिनको कोविड हुआ और जिनको कोविड नहीं हुआ दोनों पर पीरियड्स का अलग असर पड़ा। बनारस की शालिनी का कहना है कि जब वे कोविड पॉजिटिव हुईं तो कोविड के बाद उनके पीरियड का फ्लो बहुत ज्यादा था। धीरे-धीरे वह फ्लो कम होकर धब्बे की तरह आने लाग। यह स्थिति 15 दिन तक रही। इस वजह से उन्हें बहुत कमजोरी रही।

पीरियड्स की अनियमितता रोकने के लिए अच्छी डाइट जरूरी

महिला मुद्दों पर मुखर होकर लिखने वाली राजस्थान की अल्का  का कहना है कि आपके पीरियड्स ठीक तरीके से आएं उसके लिए अच्छा खानपान चाहिए होता है।  अल्का अपना अनुभव बताते हुए कहती हैं कि मुझे कोविड हुआ था और उसमें मैंने अच्छी डाइट ली, क्योंकि मैं अच्छी डाइट लेने के काबिल हूं, लेकिन बहुत सी महिलाएं नहीं हैं

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40 फीसद महिलाओं ने कोविड के दौरान झेली अनियमितता

भारत में महिला स्वास्थ्य पर काम करने वाली संस्था एवरटीन ने मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (2021) पर अपने सर्वे की फाइंडिंग्स जारी की हैं। इस सर्वे में18 से 35 साल की 5000 महिलाओं को शामिल किया गया है। सर्वे के मुताबिक भारत में 41.4% महिलाओं में कोविड-19 के कारण मासिक धर्म में अनियमित अंतराल था। तो वहीं, 34.2 फीसद महिलाओं में पीरियड्स के फ्लो में बदलाव देखा। 20 फीसद महिलाओं को कोविड के दौरान कम से कम एक बार पीरियड मिस हुआ।

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महिलाएं नहीं रख पातीं हाइजीन का ख्याल

बनारस में संस्था (मुहीम) चलाने वाली स्वाती बताती हैं कि गांवों में शौचायल होने के बावजूद भी औरतें उसका इस्तेमाल नहीं कर पातीं, इस वजह से उन्हें अभी भी ओपन प्लेस में नहाना पड़ता है, जिस वजह से माहवारी में हाइजीन नहीं रख पातीं। ऐसी महिलाओं को सफेद पानी और यूटीआई की दिक्कत ज्यादा होती है। गांव की महिलाएं सेनिटरी पैड्स खरीदने में सक्षम नहीं हैं, जिस वजह से हाइजीन से संबंधित परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। स्वाती कहती हैं कि सरकार की तरफ जो राहत सामग्री दी जा रही है उसमें भी महिला स्वास्थ्य से जुडी चीजें नहीं डाली गई हैं। स्वाति बताती हैं कि कोरोना में महिलाएं एक सदी पीछे धकेल दी गई हैं। वे कहती हैं कि जब औरतों के हाथ में पैसा ही नहीं है तो वे पैड कैसे खरीदेंगी।

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महिला स्वास्थ्य मतलब प्रेग्नेंसी नहीं होता

स्वाति कहती हैं कि कि सरकार को राहत सामग्री में महिला स्वास्थ्य को ध्यान में रखना चाहिए। महिला स्वास्थ्य केवल प्रेगनेंसी नहीं और भी महिलाएं हैं जिनको पीरियड्स की वजह से दिक्कत होती है। महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छी डाइट जरूरी है। महिलाओं को बायोडिग्रेडिबल पैड्स देने चाहिए। पीरियड मतलब पैड नहीं है। इसमे हमने कॉटन पैड और पैंटी महिलाओ को दिया जाना चाहिए। स्वाति कहती हैं कि पैंटी नहीं होगी तो पैड कैसे लगाएंगी। महिलाओं को कंप्लीट किट की जरूरत है जिससे उनका हाइजीन सुनिश्चित होगी। स्वाति कहती हैं कि महिलाओं के रोजगार पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इससे उनका स्वास्थ्य खुद ही ठीक हो जाएगा। 

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पीरियड्स में हैवी फ्लो किन कारणों से होता है?

दिल्ली के तारावती हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कुसुम सबरवाल का कहना है कि किसी भी तरह का इंफेक्शन होता है तो प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। शरीर में हिमोग्लोबीन कम हो जाता है। ऊपर से कोविड होने पर हैवी फ्लो हो सकता है। हैवी ब्लीडिंग खून की कमी की वजह से हो सकती है। हिमोग्लोबीन कम होने से शरीर में खून को रोकने की ताकत कम हो जाती है। जिसकी वजह से हैवी फ्लो होता है। 

हाइजीन को लेकर वे कहती हैं कि पीरियड्स के समय में महिलाएं खुद को, अपने पैंटी को, बाथरूम को साफ रखें। वे कहती हैं कि भारत में महिलाओं को अभी गंदा कपड़ा पीरियड्स में इस्तेमाल करना पड़ता है जिस वजह से उन्हें कैंसर, इंफेक्शन, सफेद पानी आदि की परेशानियां होती हैं। वे कहती हैं कि अगर ब्लीडिंग कम है तो महिलाएं एक ही पैड को कई दिन लगा कर रखती हैं, जिसकी वजह से इंफेक्शन अंदर चला जाता है जिसकी वजह से सूजन आ जाती है और ब्लीडिंग ज्यादा होती है। कपड़े पहनकर नहाने से गीले कपड़े रहते हैं, शरीर की सफाई ठीक से होती नहीं है जिस वजह से स्किन इन्फेक्शन और एलर्जी जैसी परेशानियां शुरू होती हैं। 

इस पूरे कोरोनाकाल में महिला स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है। ऐसे में उनके पीरियड्स से संबंधित परेशानियां और बढ़ीं। कोरोना में कई कारणों से महिलाओं को हैवी फ्लो की दिक्कत हुई है।

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