पेट से जुड़ी कुछ गंभीर बीमारियों में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) का नाम भी आता है। ये नाम भले ही सुनने में आपको कठिन लग रहा हो पर असल में ये आंतों से जुड़ी बीमारी है जिसमें कि हमारे आंत अंदर से छिल जाती है और इसमें सूजन और जलन होती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि बैक्टीरिल, पैरासाइटिक और वायरल इंफेक्शन। तो कभी दूसरे प्रकार के पेट से जुड़ी समस्याएं और हमारा ऑटो एक्टिव इम्यून सिस्टम ही आगे चल कर कोलाइटिस का कारण बन सकता है। कोलाइटिस कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से एक है पेट के बाएं हिस्से का अल्सरेटिव कोलाइटिस जिसे लेफ्ट लाइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस (Left-Sided Ulcerative Colitis) भी कहा जाता है। लेफ्ट साइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस में पेट और आंत का बांया हिस्सा पूरी तरह से प्रभावित होता है। इसलिए इस हिस्से में ज्यादा सूजन और दर्द महसूस होती है। इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने डॉ. अरविंद कुमार खुराना (Dr.Arvind Kumar Khurana), निदेशक, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसेज, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से बात की।
क्या है लेफ्ट साइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस (Left-Sided Ulcerative Colitis)?
डॉ. अरविंद कुमार खुराना (Dr.Arvind Kumar Khurana) की मानें, तो लेफ्ट साइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें बड़ी आंत या कोलन में सूजन हो जाती है। इसमें आंत के अंदर रेडनेस आ जाती है। यह आमतौर पर आनुवंशिक रूप से उन व्यक्तियों को होता है जिनमें कि इम्यून सिस्टम के कारण बड़ी आंत को नुकसान हो जाता है। इस दौरान हमारे पेट में रहने वाले गट बैक्टीरिया के अंदर बदलाव आ जाता है। ये आपको किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है लेकिन 30 से 50 साल के बीच अधिक आम है। भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है और यह दस्त के साथ मलाशय से ब्लीडिंग का सबसे आम कारण है। इसे लेकर चिंताजनक बात ये है कि इसमें कई बार एंटीबायोटिक दवाएं भी जल्दी काम नहीं करती और तीन सप्ताह से अधिक समय तक ये बना रहता है।
लेफ्ट साइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस का कारण- Causes of Left-Sided Ulcerative Colitis
डॉक्टर नहीं जानते कि वास्तव में अल्सरेटिव कोलाइटिस का क्या कारण है। माना जाता है कि ये एक ऑटोइम्यून विकार (Auto Immune Disease) है जिसमें कि आंत और कोलन में गंभीर सूजन आ जाती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस से जुड़े कुछ जोखिम कारकों की बात करें, तो इनमें शामिल हैं
- -अल्सरेटिव कोलाइटिस का पारिवारिक इतिहास होना
- -साल्मोनेला जैसे इंफेक्शन
- -इम्यून सिस्टम को हाइपर एक्टिवेट कर देने वाले कारकों का शरीर में होना
लेफ्ट साइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण- Symptoms of left-sided Ulcerative colitis
लेफ्ट साइडेड अल्सरेटिव कोलाइटिस मलाशय से शुरू होता है और बाएं कोलन (left colon)तक फैलता है। शुरुआत में ये इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) के लक्षणों के साथ शुरू होता है जैसे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस में कोलन की लाइनिंग पर छोटे-छोटे अल्सर विकसित हो जाते हैं जो मवाद और म्यूकस पैदा करते हैं। इससे पेट में परेशानी हो सकती है और दस्त की समस्या हो सकती है। पर बाद में ये लक्षण बदलने लगते हैं और गंभीर रूप ले लेते हैं।
डॉ. अरविंद कुमार की मानें तो, यह पूरे या कहें कि एक बड़े आंत्र के हिस्से को प्रभावित कर सकता है। बड़ी आंत लगभग 100 सेमी लंबी है। जब यह मलाशय और बाईं ओर की लगभग एक तिहाई आंत को प्रभावित करता है, तो इसे लेफ्ट साइडेड या लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है। इसमें मरीजों को कई लक्षण महसूस हो सकते हैं जैसे कि
- - दस्त में बलगम जैसी सफेद चिपचिपे पदार्थ की उपस्थिति
- - यूरिन में ब्लड
- -हल्का ऐंठन दर्द की शिकायत
- -कभी-कभी रोगियों को कब्ज हो सकता है।

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लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस के साथ क्या जटिलताएं हो सकती हैं- Risk Factors?
एनीमिया (Anaemia)
लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस में आंतों में सूजन होने के कारण और ब्लीडिंग होने के कारण शरीर में खून की कमी हो सकती है जिससे आपको एनीमिया हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर इलाज के दौरान ब्लीडिंग रोकने के साथ आयरन से भरपूर गोलियां दे सकते हैं।
कैंसर (Cancer)
इस बीमारी का सही से इलाज ना करवा पाने पर आंतों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
टॉक्सीक मेगाकोलन (Toxic megacolon)
जब सूजन बहुत गंभीर हो जाती है तो कोलन तेजी से फैल सकता है जिसे टॉक्सीक मेगाकॉलन कहा जाता है। इसके लक्षणों में आपको बुखार, पेट में दर्द, डिहाइड्रेशन और वेट लॉस शामिल हैं। साथ ही मेगाकोलन से कॉलोन की क्षति (colonic rupture) का खतरा भी होता है।
लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस की जांच-Diagnosis
लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस का सही जांच इसके इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉक्टर आमतौर पर एंडोस्कोपी नामक एक टेस्ट करते हैं, जिसमें वे कोलन के अंदर की छवियों को बनाने के लिए कैमरे का उपयोग करते हैं। एंडोस्कोपी द्वारा कैप्चर की जाने वाली छवियां डॉक्टर को सूजन के लक्षणों को देखने में मदद करती हैं, जैसे कि रेडनेस कहां है, सूजन कितनी है, वॉटर रिटेंशन की स्थिति क्या है और अन्य अनियमितताएं। डॉ. अरविंद की मानें तो, कई बार जांच के रूप में
- -नियमित मल परीक्षण
- -सिग्मोइडोस्कोपी जिसमें कि मलाशय और निचले हिस्से के बड़े आंत्र की एंडोस्कोपिक की जाती है
- - बायोप्सी किया जाता है।

लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज- Treatment for left-sided Ulcerative colitis
बाएं तरफा अल्सरेटिव कोलाइटिस का उपचार कुछ अलग-अलग कारकों के आधार पर अलग-अलग होगा। लक्षणों की गंभीरता और कोई व्यक्ति दवाओं के प्रति कितनी अच्छी प्रतिक्रिया देता है, इससे उनके उपचार के विकल्प बदल सकते हैं। डॉ. अरविंद लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस के इलाज को लेकर कहते हैं कि इसमें इलाज के लिए हम
- - मेसालेमिन या 5-एएसए नामक दवा देते हैं।
- - अगर मरीज में सुधार नहीं होता है तो स्टेरॉयड दिया जा सकता है।
- अधिकांश रोगियों में इन दवाओं के साथ सुधार होता है लेकिन कुछ रोगियों को इम्यून सप्रेसेंट्स की जरूरत हो सकती है।
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लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस का एक प्रकार है और अल्सरेटिव कोलाइटिस कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि अल्सरेटिव प्रोक्टाइटिस (Ulcerative Proctitis) और एक्सटेंसिक कोलाइटिस (Extensive Colitis) जिसमें कि स्थिति लेफ्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस की तुलना में बस थोड़ी सी अलग होती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज चाहने के लिए आपको कोशिश करनी होगी कि बीमारी शुरुआत में ही पकड़ आ जाए। ताकि इसका जल्दी से इलाज किया जाए और स्थिति को काबू में रखा जाए। हालांकि ये बीमारी काफी लंबे समय तक रह सकती है इसलिए डॉक्टर का सुझाव है कि किसी भी जटिलता से बचे रहने के लिए मरीजों को 10 साल की बीमारी के बाद नियमित कॉलोनोस्कोपी करवाते रहना चाहिए।
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