
कोलाइटिस पेट से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें आपको दस्त, उल्टी और मल में खून आना जैसे कई लक्षण दिख सकते हैं।
दस्त, कब्ज, मल से ब्लड आना इत्यादि के कारण पेट में दर्द और ऐंठन की परेशानी होने लगती है। इस स्थिति को कोलाइटिस कहते हैं। कोलाइटिस किस प्रकार का है इसी आधार पर इसका इलाज किया जाता है। कोलाइटिस होने पर हल्के और गंभीर दोनों तरह के लक्षण दिख सकते हैं और इसकी वजह से कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कोलाइटिस का जल्द से जल्द इलाज करना जरूरी होता है। मनीपाल हॉस्पिटल के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर कुणाल दास का कहना है कि कोलाइटिस होने पर मरीज के बृहदान्त्र (colon) में सूजन होने लगता है। बृहदान्त्र (colon) को बड़ी आंत (large intestine) के नाम से भी हम जानते हैं। कोलाइटिस के मरीजों को काफी दिनों तक या फिर कुछ दिनों तक पेट में दर्द की समस्या होने लगती है। ब्लड सर्लुकेशन सही ना होना, वायरस-बैक्टीरिया और ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं जैसे कई अन्य कारणों से कोलाइटिस की समस्या होने लगती है।
कोलाइटिस के प्रकार (Types of Colitis)
- डायवर्सन कोलाइटिस (Diversion colitis)
- लिम्फोसाईटिक कोलाइटिस (Lymphocytic colitis)
- इस्केमिक कोलाइटिस (Ischemic colitis)
- केमिकल कोलाइटिस (Chemical colitis)
- फुलमिनेंट कोलाइटिस (Fulminant colitis)
- माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस (Microscopic colitis)
- एटिपिकल कोलाइटिस (Atypical colitis)
- इन्फेक्शस कोलाइटिस (Infectious colitis)
- अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)
- क्रोहन कोलाइटिस (Crohn’s colitis)
- कोलेजनस कोलाइटिस (Collagenous colitis)
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कोलाइटिस के लक्षण (Symptoms of colitis)
- पेट में दर्द और ऐंठन
- तेजी से वजन में कमी आना
- दस्त की शिकायत होना।
- डिप्रेशन होना
- भूख में कमी आना
- थकान महसूस होना
- उल्टी होना
- जोड़ों में दर्द होना
- हार्टबर्न (heartburn)
- पेट में ऐंठन
- ब्लोटिंग (bloating),
- अपच (indigestion)
- ठंड लगना
- बुखार आना
- बृहदान्त्र ऊतक की सूजन (colon tissue)
- कब्ज और डायरिया की समस्या उत्पन्न होना
- मल की आवृत्ति में वृद्धि या लगातार आंत्र आंदोलन का आग्रह होना
- कोलन (colon) की सतह पर एरीथेमा (Erythema) या लालिमा
- मल में बलगम या रक्त की उपस्थिति अर्थात मलाशय से रक्तस्राव (rectal bleeding)
- गैस्ट्रो एसोफैगल रिफ्लक्स डिजीज (gastro esophageal reflux disease)
- आंत्र आग्रह (bowel urgency) और अन्य परेशानियां होने लगती हैं।

कोलाइटिस के कारण (Causes of Colitis)
ब्लड सर्कुलेशन में कमी और बड़ी आंत में संक्रमण की वजह से ही बृहदान्त्र में सूजन या कोलाइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। आज के दौर में कोलाइटिस की समस्या बहुत ही आम हो चुकी है। कोलाइटिस होने के कई अन्य कारण हो सकते हैं।
वायरस और बैक्टीरिया (जैसे- ई कोलाई (E Coli), शिगेला (Shigella), कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter) और साल्मोनेला (Salmonella) का बड़ी आंत में फैलने से कोलाइटिस की समस्या हो सकती है।
फूड पॉइज़निंग होने पर भी आप कोलाइटिस की परेशानी से ग्रसित हो सकते हैं।
परजीवी संक्रमण (Parasite infections) के काटने से भी आपको कोलाइटिस की परेशानी हो सकती है। जैसे- जिआर्डिया (giardia)
ऐथिरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) या धमनियों में रुकावट होने पर भी कोलाइटिस हो सकता है।
जठरांत्र संबंधी मार्ग के मुड़ने से या फिर उस हिस्से में गांठ के कारण भी कोलाइटिस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। क्योंकि इस स्थिति में रक्त के प्रवाह में परेशानी होती है, जिसके कारण कोलन में सूजन की शिकायत हो जाती है।
कोलाइटिस के जोखिम कारक ( Risk Factor of Colitis in Hindi)
15 से 30 वर्ष या 60 से 80 साल के लोगों को कोलाइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है।
अनुवांशिक रूप से भी कोलाइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है।
अधिक समय से एंटीबायोटिक्स का सेवन करने वालों को कोलाइटिस होने का खतरा ज्यादा रहता है।
कीमोथेरेपी प्राप्त करने वाले लोगों को भी कोलाइटिस की परेशानी अधिक रहती है।
प्रतिरक्षादमनकारी दवाओं (immunosuppressant drugs) के सेवन से कोलाइटिस की परेशानी हो सकती है।
लॉ ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर आपको कोलाइटिस की शिकायत हो सकती है।
पेट का ऑपरेशन होने से भी कोलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को भी कोलाइटिस का खतरा रहता है।
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कोलाइटिस का निदान (Colitis diagnosis in Hindi)
- बृहदान्त्र (colon) का एक्स-रे
- अल्ट्रासाउंड से आप कोलाइटिस का निदान कर सकते हैं।
- PAT की एमआरआई या सीटी स्कैन
- ब्लड टेस्ट (blood tests)
- मल संस्कृति टेस्ट (stool cultures test)
- सिग्मोइडोस्कोपी (sigmoidoscopy)
- मल में ब्लड औऱ मवाद का टेस्ट (Stool Test)
- कोलोनोस्कोपी (colonoscopy)
कोलाइटिस का इलाज (Colitis Treatment in Hindi)
डॉक्टर कोलाइटिस के कारणों और प्रकार के आधार पर कोलाइटिस का इलाज करते हैं। इलाज प्रक्रिया में डॉक्टर्स आंत्र (bowel) को आराम देने के लिए कहते हैं और अंतःशिरा तरल पदार्थ (intravenous fluids) और दर्द को कंट्रोल करने के लिए कुछ दवाइयां लेने की सलाह देते हैं।
बैक्टीरियल संक्रमण कोलाइटिस की स्थिति में होने पर डॉक्टर्स एंटीबायोटिक दवा लेने की सलाह देते हैं। वहीं, वायरल संक्रमण की स्थिति होने पर तरह पदार्थ का अधिक से अधिक सेवन करने की सलाह देते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, साल्मोनेला (Salmonella) बैक्टीरिया संक्रमण की स्थिति में मरीजों को एंटीबायोटिक की देने की जरूरत नहीं होती है।
कोलाटिस का बचाव (Prevention of Colitis)
- शराब और धुम्रपान से परहेज करें।
- कोल्ड्रिंक्स के सेवन से दूर रहें।
- अपने भोजन में लैक्टोज असहिष्णुता वाले आहार को शामिल करें। जैसे- दूध, दही, पनीर और आइसक्रीम इत्यादि का भरपूर रूप से सेवन कर सकते हैं।
- ग्लूटेनयुक्त आहार के सेवन से परहेज करें।
- अधिक फैटी और तले-भुने आहार का सेवन ना करें।
- उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- अपने शरीर को अच्छी तरह हाइड्रेट रखें। पानी अधिक से अधिक पिएं। इसके साथ ही नारियल पानी, जूस, नींबू पानी इत्यादि का भी सेवन करना आपके लिए अच्छा माना जाता है।
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