भोजन को पचाने और उससे पोषक तत्वों को अवशोषित करने का कार्य पाचन प्रणाली करती है। पेट (अमाशय), ग्रासनली, छोटी और बड़ी आंत मिलकर पाचन तंत्र बनाती है। पाचनतंत्र में होने वाली समस्याओं को नजरअंदाज करना हमारे लिए खतरनाक हो सकता है। पाचन से जुड़ी परेशानी कई खतरे की निशानी हो सकती है। कोलन कैंसर भी पाचन से जुड़ी एक समस्या है। हाल ही में बॉलीवुड के मशहूर एक्टर इरफान खान की कोलन कैंसर से मौत हो गई थी। कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षण, पेट में दर्द, मल के कलर में बदलाव इत्यादि नजर आते हैं। अगर आपको इस तरह की कोई परेशानी दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करेँ। इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ कोलन कैंसर से जुड़ी पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।

मनीपाल हॉस्पिटल के गैस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंड के हेड डॉक्टर कुणाल दास ने बताया कि हमारे शरीर में बड़ी आंत लगभग 1.5 मीटर लंबी होती है। यह कोलन से शुरू होते हुए मलाशय और मलद्वार तक समाप्त होता है। कोलन और मलाशय की दीवारों में कोशिकाओं की चार परते होती हैं। कोलन कैंसर तब होता है, जब यह कोशिकाएं शरीर में अनियंत्रित रूप से बढ़ती है। इसकी शुरुआत बड़ी आंत के दीवारों से अंदर की परत से होती है। अधिकतर कोलन कैंसर की शुरुआत छोटे पॉलीप्स से शुरु होती है। यह पॉलीप्स छोटी-छोटी कोशिकाओं का ग्रुप होता है। डॉक्टर कुणाल कहते हैं कि अगर शुरुआत में ही कोलन कैंसर के लक्षणो को पहचानकर इसका इलाज कराया जाए, तो मरीजों के लिए काफी अच्छा होता है। लेकिन दुखद: बात ये है कि अधिकतर लोग कोलन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और कैंसर के लास्ट स्टेज पर आकर इसका इलाज कराते हैं। खासतौर पर महिलाएं मल में हो रही ब्लीडिंग को नजरअंदाज कर देती हैं, वे इसे एक नॉर्मल समस्या समझ लेती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है अगर आपको हल्के लक्षण भी दिखे, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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कोलन कैंसर के लक्षण (Symptoms of Colon Cancer)
डॉक्टर कुणाल बताते हैं कि कोलन कैंसर दो तरह के होते हैं। राइड साइडर कोलन कैंसर और लेफ्ट साइडर कोलन कैंसर दोनों तरह के कोलन कैंसर के लक्षण अलग-अलग होते हैं।
लेफ्ट साइडर कोलन कैंसर के लक्षण
- पेट फूलना
- मल निकलना बंद होना
- भून ना लगना
- खाने में परेशानी
राइट साइडर कोलन कैंसर के लक्षण
- ब्लीडिंग के साथ मल त्यागना
- काला या महरुन मल होना।
- शरीर में खून की कमी
- कमजोरी आना
कोलन कैंसर के कारण (Causes of Colon Cancer)
- अधिक धूम्रपान करना
- शराब का अधिक सेवन
- अनुवांशिक कारण
- शरीर में पॉलीप्स बनना
- लो फाइबर डाइट लेना
कोलन कैंसर के स्टेज (Stage of Colon Cancer)
स्टेज 1 - इस स्टेज में मलाशयक के चारों ओर झिल्लियां प्रभावित होती हैं, लेकिन यह अंगों के भित्तियों को प्रभावित नहीं करता है। यह शुरुआती स्टेज में इस स्टेज में पेट में दर्द और मल में ब्लीडिंग होती है। अगर इस तरह के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इस स्टेज में इलाज करना संभव होता है।
स्टेज 2 - डॉक्टर कुणाल बताते हैं कि दूसरे स्टेज में कैंसर के सेल्स वॉल्स में फैलने लगते हैं, लेकिन यह लिम्फ नोड्स या फिर उसके आसपास के ऊतकों को प्रभावित नहीं करते हैं। इस स्टेज में भी इलाज संभव है।
स्टेज 3 - इस स्टेज में कैंसर के सेल्स लिम्फ नोड्स और ऊतकों के प्रभावित करते हैं। लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित नहीं करता है। ऐसे में इसका इलाज संभव है।
स्टेज 4 - डॉक्टर कुणाल बताते हैं स्टेज 4 कोलन कैंसर का लास्ट स्टेज होता है। इसमें कैंसर पूरे शरीर में फैंलना लगता है, जो लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस स्टेज में कोलन कैंसर का इलाज करना मुश्किल होता है। लास्ट स्टेज के मरीज को पोलिएटिव थैरेपी (Pallitive Therapy) दी जाती है। यह एडवांस स्टेज के मरीजों को थैरेपी दी जाती है। इसमें मरीज के लाइफस्टाइल में बदलाव करके जीवन जीने के लिए प्रोसत्साहित किया जाता है। इसमें मरीज का मल त्यागना पूरी तरह से बंद हो जाता है। ऐसे में इस स्टेज के मरीज को मेटल धातु का स्टेप्ल लगाते हैं, जिससे मल उस स्टेप्ल के जरिए बाहर निकलता है। इससे मरीज खाना खाते हैं और अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत करने की कोशिश करतें।
कोलन कैंसर का निदान (Diagnosis of colon cancer)
किस तरह डॉक्टर करते हैं कोलन कैंसर का इलाज (Treatment of Colon Cancer)
कोलन कैंसर का बचाव (Prevention of Colon Cancer)

- खानपान में फाइबरयुक्त आहार को शामिल करें।
- हरी और ताजी सब्जियां खाएं।
- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लें।
- स्मोक मीटा का सेवन ना करें। इसमें कैंसर को प्रोत्साहित करने की क्षमता होती है।
- मल में ब्लीडिंग की समस्या होने पर डॉक्टर के पास जाएं।
- छोटी से छोटी समस्याओं को नजरअंदाज ना करें।
लास्ट स्टेज के मरीजों के लिए होना चाहिए होस्पाइस
डॉक्टर कुणाल कहते हैं कि लास्ट स्टेज के मरीजों से अधिकतर परिवार वाले दूरी बना लेते हैं। ऐसे मरीजों के लिए Hospice की सुविधा होनी चाहिए, ताकि लोग वे अपना जीवन वहां व्यतीत कर सकें।