कहीं आप तो नहीं खा रहे फूल झाड़ू की घास से बना जीरा, जानें असली और नकली जीरा पहचानने का तरीका

बाजार में बिकने वाली तमाम मिलावटी चीजों में एक और नाम शामिल हो गया है और वह है जीरा। ये नकली जीरा फूल झाड़ू में प्रयोग होने वाली घास से बनाया जाता है। आप इस तरीके से पहचान सकते हैं असली और नकली जीरा।
  • SHARE
  • FOLLOW
कहीं आप तो नहीं खा रहे फूल झाड़ू की घास से बना जीरा, जानें असली और नकली जीरा पहचानने का तरीका


मौजूदा वक्त में हम ऐसे माहौल में घिरे हैं, जहां दूध से लेकर मिठाईयों और सब्जियों में जमकर मिलावट की जा रही है। एक तरफ जहां पहले लोगों को त्यौहारों पर अपनी सेहत की चिंता होती थी वहीं अब जरूरी खान-पान की चीजों में मिलावट ने लोगों को बाहर से सामान खरीदने पर सोचने को लेकर मजबूर कर दिया है। मिलावट के इस दौर में अगला नाम है आपकी रसोई में पाया जाने वाला जीरा। जी हां, जीरा आपने बिल्कुक ठीक पढ़ा। अगर आप भी इस बात को सुनकर हैरान हैं तो अब आपको इसे खरीदते वक्त सावधानी बरतनी होगी क्योंकि बाजार में धड़ल्ले से नकली जीरा बिक रहा है।

CUMIN

जीरा न केवल आपकी रसोई में पाई जाने वाली एक साधारण सी खाद्य सामग्री है बल्कि इसका इस्तेमाल सब्जियों के स्वाद को बढ़ाने और कई देसी दवाओं को बनाने में किया जाता है। सुबह उठकर खाली पेट जीरे का पानी पीने से आप बड़ी तेजी से वजन भी कम कर सकते हैं। दरअसल दिल्ली पुलिस ने नई दिल्ली के बवाना में नकली जीरा बनाने वाले गिरोह के भांडाफोड़ किया है। जीरा बनाने की नकली फैक्ट्री पर मारे गए इस छापे में पुलिस ने 20 हजार किलो तैयार नकली माल और आठ हजार किलो कच्चा माल जब्त किया है। इस गोरख धंधे का मास्टरमाइंड यूपी के शाहजहांपुर स्थित जलालाबाद का रहने वाला बताया जा रहा है।

कैसे बनता है नकली जीरा

  • नकली जीरा बनाने के लिए फूल झाड़ू में प्रयोग होने वाली खास किस्म की घास का प्रयोग किया जाता था। 
  • इसके अलावा इसमें पत्थर के दाने मिलाएं जाते थे। 
  • साथ ही इसमें गुड़ के शीरे का भी इस्तेमाल किया जाता था।

इसे भी पढ़ेंः हथेलियों पर दिखाई दे ऐसा निशान तो हो सकता है फेफड़ों का कैंसर, शोधकर्ताओं ने बताया कारण

आपको बता दें कि जिस जंगली घास से फूल झाडू बनाई जाती है वह उत्तर प्रदेश में पांच रुपये प्रति किलो मिलती है। ये घास नदियों के किनारे उगाई जाती है। इसकी पहचान करना इसलिए मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस घास में कई छोटी-छोटी पत्तियां होती हैं, जिसके कारण यह बिल्कुल जीरा जैसा लगता है।

कैसे बनाया जाता है नकली जीरा

नकली जीरा बनाने के लिए इस जंगली घास की पत्तियों को गुड़ के पानी में डाला जाता है। पानी में डालने के बाद उसे सुखाया जाता है, जिसके कारण इसका रंग जीरे जैसा हो जाता है। जब इस घास का रंग जीरे जैसा हो जाता है तब इसे पत्थर के बने पाउडर में डालकर रख दिया जाता है। ऐसा करने के बाद इसे लोहे की एक बड़ी छलनी से छाना जाता है। नकली जीरे को असली रंग देने के लिए इसमें स्लरी पाउडर भी मिलाया जाता है।

CUMIN

20 रुपये किलों में मिलता है नकली जीरा

दिल्ली के कई बाजारों में इस नकली जीरे को दुकानदार 20 रुपये प्रति किलो की मात्रा में खरीदते हैं। जबकि असली जीरे का भाव बाजार में 300 रुपये प्रति किलोग्राम है।

इसे भी पढ़ेंः मलेरिया से बचाने में दवा की तरह काम करेंगे घर में बने ये सूप, शोधकर्ताओं ने बताया कैसे

सेहत के लिए हानिकारक नकली जीरा

नकली जीरा आपकी इम्युनिटी कमजोर करता है। 
इसके सेवन से स्टोन और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

कैसे करें असली जीरे की पहचान

असली और नकली जीरे में अंतर पहचानान ज्यादा मुश्किल नहीं है। इसकी शुद्धता की पहचान करने के लिए आप सबसे पहले एक कटोरी में पानी लें और इसमें जीरा डालें। पानी में डालते ही अगर जीरा रंग छोड़ने लगे और टूटना शुरू हो जाए तो समझ लीजिए कि आपकी रसोई में रखा जीरा नकली है। असली जीरा पानी में जाने के बाद वैसा ही रहता है। साथ ही आप इन दोनों में कौन सा असली और कौन सा नकली है इसका पता इसकी खुशबू से भी लगा सकते हैं। असली जीरा में खुशबू होती है जबकि नकली जीरे में खुशबू नहीं होती।

Read more articles on Health News in Hindi

Read Next

शुगर फ्री च्युइंग गम खाने से दांतों में कैविटी और प्लाक का खतरा होता है कम: स्टडी

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version