मलेरिया से बचाने में दवा की तरह काम करेंगे घर में बने ये सूप, शोधकर्ताओं ने बताया कैसे

इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने इस बात की जानकारी दी है कि अब मलेरिया को रोकने में घर के बने कुछ सूप बेहद फायदेमंद है। शोधकर्ताओं  का कहना है कि ये सूप 50 फीसदी से ज्यादा मलेरिया की रोकथाम में प्रभावी हैं। 
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मलेरिया से बचाने में दवा की तरह काम करेंगे घर में बने ये सूप, शोधकर्ताओं ने बताया कैसे


एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि घर में बने कुछ सूपों में मलेरिया से लड़ने के गुण होते हैं। फिर चाहे वे सूप चिकन का बना या हो या फिर सब्जियों का। इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर और शोधकर्ता जैक बौम ने एडन प्राइमरी स्कूल में विभिन्न परिवेश से आने वाले बच्चों से घर में बनाए जाने वाले सूप की रेसिपी लाने को कहा, जिनसे पुराने वक्त में बुखार के उपचार में प्रयोग किया जाता था।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, बच्चों द्वारा लाए गए नमूनों को प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) की प्रकृति के साथ फिल्टर किया गया। प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम एक ऐसा परजीवी (parasite) है, जो अफ्रीका में मलेरिया के 99.7 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार है। 

अध्ययन के मुताबिक, जिन 56 सूप के नमूनों की जांच की गई उनमें से 5 इस परजीवी की वृद्धि को रोकने में 50 फीसदी से ज्यादा प्रभावी पाए गए। बौम और उनकी टीम ने अर्काइव ऑफ डिजिज इन चाइल्डहुड में अपनी रिपोर्ट जारी की है। इन पांच में से दो सूप ऐसे हैं, जिसमें से एक को दवा के रूप में मलेरिया के उपचार में प्रयोग किया जा रहा है। जबकि चार अन्य सूप परजीवी को बढ़ने से रोकने में 50 फीसदी से ज्यादा  प्रभावी हैं।

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अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता बौम ने बताया, ''हमने लैब के अंदर बहुत ही प्रतिबंधित स्थिति में सूप बनाना शुरू किया, जो वास्तव में काम का था। हम बहुत ही खुश और उत्साहित हैं।'' हालांकि उनका कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन सी सामग्री में एंटी मलेरिया (मलेरिया रोधी) गुण होते हैं।

उन्होंने कहा, ''अगर हम गंभीर होकर तथ्यों को खंगालंगे और उस जादुई सामग्री का पता लगाने का प्रयास करेंगे तो हम इसे और बेहतर तरीके से लोगों के सामने पेश कर सकेंगे।''

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उन्होंने बताया कि ये सूप यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य एशिया सहित अलग-अलग परिवेश में रहने वाले परिवारों से प्राप्त हुए थे। इसके साथ ही इनकी मूल सामग्री में चिकन, बीफ, चुकंदर और गोभी सहित अलग-अलग चीजें शामिल थीं।

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बौम ने कहा, ''अध्ययन में जो एक चीज सबसे जरूरी सामने आई वह यह थी कि सब्जियों से बने सूप के नतीजें, मीट से बने सूप के समान थे।'' उन्होंने कहा कि वह बच्चों को एक ऐसी प्रक्रिया सिखाना चाहते थे, जिसके माध्यम से वैज्ञानिक शोध एक हर्बल उपचार को दवा में बदल सकते हैं।

उन्होंने चीन के एक प्रोफेसर डॉ. टु यूयू की सफलता का भी जिक्र किया, जिन्होंने 1970 के दशक में क्विनोआ से एक मलेरिया रोधी तत्व खोज निकाला था। क्विनोआ एक ऐसी औषधि है,. जिसका उपचार बुखार उतारने में करीब दो हजार वर्षों से होता आ रहा था।

बौम ने कहा, ''मलेरिया से एक साल में होने वाली करीब चार लाख मौतों को रोकने और इस बीमारी के उपचार में नई दवा की खोज के लिए वैज्ञानिकों को कैमिस्ट्री से परे जाना होगा।'' उन्होंने बताया कि इस अध्ययन से मुझे यह सबक मिला कि दुनिया में इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक सुनहरा नुस्खा हो सकता है।

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