एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल आमतौर पर बैक्टीरिया और वायरस से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है। एंटीबायोटिक दवाइयों को विशेष रूप से बैक्टीरिया रेजिस्टेंट ड्रग के रूप में ही डिजाइन किया गया है। वहीं इस बात का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि एंटीबायोटिक्स वायरल इंफेक्शन जैसे सर्दी, फ्लू और अधिकांश खांसी का इलाज नहीं कर सकते हैं। जबकि एंटीबायोटिक्स बुखार और निमोनिया जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण से त्वरित राहत प्रदान करते हैं। पर एंटीबायोटिक का ज्यादा उपयोग किसी को भी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बना सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं का जरूरत से ज्यादा प्रयोग या दुरुपयोग हम सभी को स्वास्थ्य जोखिम में डाल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन जागरूकता बढ़ाने और एंटीबायोटिक उपयोग के लिए एक वैश्विक अभियान चला रहा है, जिसका थीम है- 'हैंडल विथ केयर'। तो आइए सबसे पहले एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक (18-24 नवंबर) के अवसर पर, हम एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक प्रयोग के कुछ दुष्प्रभावों के बारे में जान लेते हैं।
अगर आप डॉक्टर द्वारा निर्धारित किए बिना एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, तो ये आपके लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। जैसे-
- एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक उपयोग से बॉडी एंटीबायोटिक एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट हो सकता है। इसका मतलब ये है कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बॉडी पर अब किसी भी एंटीबायोटिक का असर नहीं होगा। ऐसे में बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के आदि हो जाते हैं और जीवित रहकर बढ़ने लगते हैं। इस तरह ये शरीर को और बीमार कर देता है। एंटीबायोटिक दवाओं के कारण लोगों की मौट तक हो सकती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधक बन जाता है, तो बुखार और सर्दी जैसे आम संक्रमण का भी इलाज नहीं हो सकता है।
- शरीर के बैक्टीरिया एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट हो जाने के कारण संक्रमण किसी भी उम्र में किसी को भी प्रभावित कर सकता है। ये सभी कारण यह समझाने के लिए पर्याप्त हैं कि हर बार जब आप बीमार पड़ते हैं और एंटीबायोटिक्स का उपयोग करते हैं, तो ये लंबे समय के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
- वहीं भारत सरकार भी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (एनएपी-एएमआर) पर एक नेशनल एक्शन प्लान बना रही है। इसके तहत भारत में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को सीमित करने की बात हो रही है, ताकि कोई भी इसका जरूरत से ज्यादा और बिना डॉक्टर के सुझाव के इस्तेमाल न कर सके।
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एनएपी-एएमआर 2017 - 2021
भारत के एनएपी- एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना एएमआर के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक कार्य योजना (जीएपी) के साथ मिल कर काम कर रही है। यह योजना बहुत व्यापक है और एएमआर पर भारत के नेतृत्व को मजबूत करने के लिए जीएपी में सूचीबद्ध सभी पांच प्रमुख उद्देश्यों को शामिल करती है। इस योजना का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से प्रभावित सभी मानवीय और गैर-मानव क्षेत्रों को लक्षित करना है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की लक्ष्य अवधि को अल्पकालिक (एक वर्ष के भीतर समाप्त), मध्यम अवधि (एक से तीन वर्ष के बीच) और दीर्घकालिक (तीन वर्ष से अधिक) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसके तहत लोगों में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता फैलाने का भी लक्ष्य है।
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इसी तरह एंटीबायोटिक के इस्तेमाल और दुष्प्रभाव को लेकर स्टीवर्डशिप रणनीतियां बनाई गई हैं। ये रणनीतियों के एक सेट है, जो संदर्भित करता है एंटीबायोटिक का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए। एंटीबायोटिक दवाओं की निरंतर प्रभावकारिता सुनिश्चित करने और रोगी की सुरक्षा में सुधार करने के लिए इस तरह के स्टूवर्डशिप महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही भारत सरकार को हर मेडिकल स्टोर्स के लिए एंटीबायोटिक की खरीद और बिक्री को लेकर एक मजबूत कानून बनाने की जरूरत है।
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