बीमारी की शरुआत में बच्चे को दे एंटीबायोटिक्स

बीमार पड़ते ही सुरक्षा के तौर पर अगर आप बच्चे को एंटीबायोटिक दे रहे हैं तो उससे पढ़े लें एंटीबायोटिक के बारे में ये जरूरी बातें।
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बीमारी की शरुआत में बच्चे को दे एंटीबायोटिक्स


मौसम के बदलाव के प्रभाव में आकर हर कोई बीमार पड़ता है तो ऐसे में बच्चों का बीमार पड़ना तो लाज़िमी है। लेकिन बच्चों के बीमार पड़ते ही अभिभावक सुरक्षा के तौर पर तुरंत बच्चों को एंटीबायोटिक दे देते हैं। हाल ही में किए गए एक अनुसंधान में पता चला है कि  बच्चों में सर्दी-जुकाम के प्रारंभिक लक्षणों के सामने आते ही उन्हें एंटीबायोटिक देना लाभकारी होता है, क्योंकि इससे बच्चों की श्वसन नली के निचले हिस्से में होनेवाले गंभीर संक्रमण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक नए अध्ययन में यह साबित हुआ है कि बच्चों में अगर सर्दी-जुकाम के लक्षण बढ़ गए हैं और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो, उन्हें तुरंत कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दवा बचाव के तौर पर दे सकते हैं।
बीमार बच्चा

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रोफेसर लियोनाडरे बकेरियर ने कहा, ‘कुछ अध्ययनों से साबित हुआ है कि यह उपचार बड़े बच्चों में कारगर नहीं होता है। इसलिए हमें एक ऐसे इलाज की जरूरत है, जो श्वसन नली के ऊपरी हिस्से में संक्रमण से लड़े, ताकि संक्रमण नीचे तक नहीं फैले।’

अमेरिका के नौ अकादमी चिकित्सा केंद्रों में शोधकर्ताओं ने 607 बच्चों पर प्लेसिबो के बदले एजीथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक देने पर शोद किया। शोध में एक साल से लेकर 6 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया। शोध में प्लेसिबो दवा लेने वाले 57 बच्चों की तुलना एजिथ्रोमाइसिन लेने वाले 35 बच्चों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला गया कि प्लेसबो की तुलना में एजिथ्रोमाइसिन दवा ज्यादा असरदार साबित हुई। मौसमी बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का इलाज काफी हद तक एजिथ्रोमाइसिन दवा से की जा सकती है।

 

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