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एंटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स न करने से कैसे बढ़ता है खतरा, जानें डॉक्टर की सलाह

Risks of Stopping Antibiotics Early: अक्सर लोग एंटीबायोटिक दवाइयों का कोर्स पूरा होने से पहले ही छोड़ देते हैं। क्या बीच में कोर्स को छोड़ना रिस्की हो सकता है? इस लेख में डॉक्टर ने विस्तार से एंटीबायोटिक के बीच में छोड़ने के रिस्क पर चर्चा की है।

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एंटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स न करने से कैसे बढ़ता है खतरा, जानें डॉक्टर की सलाह


Risks of Stopping Antibiotics Early: इंफेक्शन और बीमारी को रोकने के लिए डॉक्टर एंटीबॉयोटिक दवाइयों का कोर्स करने को कहते हैं। दरअसल, एंटीबायोटिक्स हमारे शरीर में बीमारी वाले बैक्टीरिया से लड़ने के लिए दी जाती हैं। डॉक्टर जब एंटीबायोटिक लिखते हैं तो उसका एक कोर्स होता है। कई बार लोग थोड़े दिन दवाई लेने के बाद ही जब उन्हें बेहतर महसूस होने लगता है, तो वे एंटीबायोटिक बंद कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा करना आपकी हेल्थ के लिए रिस्की हो सकता है? इसकी क्या वजह है, यह जानने के लिए हमने नवी मुंबई के मेडिकवर हॉस्पिटल्स के जनरल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ. बादल ताओरी (Dr. Badal Shivnarayan Taori, Consultant General Medicine, Medicover Hospitals, Navi Mumbai) से बात की।

एंटीबायोटिक कोर्स बीच में रोकना क्यों है रिस्की?

इस बारे में डॉ. बादल कहते हैं, “अगर मरीज बीच में ही एंटीबायोटिक्स बंद कर देते हैं, तो बीमारी के बैक्टीरिया और मजबूत हो जाते हैं, जिस वजह से आगे चलकर इंफेक्शन का इलाज कठिन हो सकता है। दरअसल, जब मरीज एंटीबायोटिक लेना शुरू करते हैं, तो दवाई शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने लगती है। इसलिए शुरुआती कुछ दिनों में अधिकतर इंफेक्शन के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और लक्षणों में सुधार दिखने लगता हैं, लेकिन अगर दवाई बीच में ही रोक दी जाए, तो कुछ बैक्टीरिया शरीर में बचे रह जाते हैं। ये बचे हुए बैक्टीरिया समय के साथ एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंट (Antibiotic-Resistant) बन जाते हैं।”

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एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस क्या है?

डॉ. बादल ने बताया कि एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस का मतलब है कि बैक्टीरिया अब उस खास दवाई से प्रभावित नहीं होते, जो पहले संक्रमण को खत्म कर देती थी। दवाई के काम न करने से इंफेक्शन बार-बार लौट सकता है और पले से ज्यादा गंभीर हो सकता है। सबसे दिक्कत वाली बात तो यह है कि रिसिस्टेंट बैक्टीरिया सिर्फ मरीज को ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के लोगों पर भी असर डाल सकते हैं।

एंटीबायोटिक बीच में बंद करने की वजह?

डॉ. बादल ने लोगों के एंटीबायोटिक बीच में बंद करने की कुछ ये वजहें बताई हैं।

एंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा करना क्यों है जरूरी?

डॉ. बदल ताओरी ने इसकी कुछ खास वजह बताई है।

  • लक्षण कम होने पर इंफेक्शन के बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म नहीं होते।
  • दवाई तभी पूरी तरह असर करेगी जब दवाई का कोर्स पूरा होगा।
  • अधूरा कोर्स लेने से बैक्टीरिया दोबारा एक्टिव हो सकते हैं।

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एंटीबायोटिक दवाइयों का कोर्स पूरा न करने के नुकसान

डॉ. बादल तायोरी ने कोर्स पूरा न करने के नुकसान बताए है।

  • बार-बार होने वाले इंफेक्शन
  • ज्यादा पॉवरफुल दवाइयों की जरूरत
  • अस्पताल में भर्ती होने की नौबत
  • इंफेक्शन का गंभीर होना
  • आसपास के लोगों तक एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंट बैक्टीरिया का फैलना

एंटीबायोटिक दवाइयां सही तरीके से कैसे लें?

डॉ. बादल ने एंटीबायोटिक दवाइयां लेने का सही तरीका बताया है।

  • डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक का कोर्स शुरू करें।
  • एंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा करें, चाहे लक्षण कम हो या न हो।
  • दवाई को सही समय पर रेगुलर डोज लें।
  • अगर कोई साइड इफेक्ट्स महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

निष्कर्ष

डॉ. बादल कहते हैं कि एंटीबायोटिक दवाइयां लेते समय डॉक्टर की सलाह को ही मानना चाहिए। अगर गलत तरीके से दवाई ली जाए, तो इसके कई खतरनाक रिस्क सामने आ सकते हैं। यह हमेशा याद रखें कि अगर दवाई का कोर्स पूरा न हुआ, तो इंफेक्शन वाले बैक्टीरिया बहुत ज्यादा एक्टिव हो सकते हैं और फिर दवाई का असर भी कम हो जाता है। इसलिए हमेशा डॉक्टर के बताए कोर्स को पूरा करें और कभी भी अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक दवाई लेना शुरू या बंद न करें।

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  • Current Version

  • Sep 18, 2025 15:50 IST

    Modified By : अनीश रावत
  • Sep 18, 2025 15:48 IST

    Published By : अनीश रावत

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