
Antibiotic Resistance in India in Hindi: देश-दुनिया में बीमारियां बढ़ने के साथ ही साथ दवाओं का उत्पादन और सेवन भी पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ा है। छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं होने पर लोग एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं। अब देश में ऐसी कुछ बीमारियां हैं, जिनपर एंटीबायोटिक्स ने अपना असर दिखाना कम कर दिया है। हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक निमोनिया और यूटीआई आदि जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक्स का प्रभाव काफी कम हो गया है। इसके साथ ही साथ इस सूचि में अन्य भी कुछ बीमारियां शामिल हैं।
आईसीएमआर की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
आईसीएमआर की एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस सर्विलांस नेटवर्क की रिपोर्ट में यह कहा गया कि एंटीबायोटिक दवाएं अब यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, निमोनिया, टायफाइड और ब्लड इंफेक्शन को ठीक करने में अब एंटीबायोटिक्स ज्यादा असरदार नहीं रह गई हैं। आईसीएमआर द्वारा भारत के कई आईसीयू के मरीजों पर एक सर्वे करके यह डेटा निकाला है। पाइपरासिलिन और ताजोबैक्टम जैसी अन्य भी कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव में गिरावट आई है। साल 2017 में यह लगभग 56 फीसदी ज्यादा प्रभावी थीं, जबकि साल 2023 में यह संख्या घटकर केवल 42.4 फीसदी ही रह गई है।

कई सैंपल्स पर की गई जांच
इस रिपोर्ट को बनाने से पहले विभाग द्वारा देश के निजी और सरकारी हेल्थकेयर सेंटर्स में 99,492 सैंपल की जांच की गई। जिसमें दवाओं से संबंधित बैक्टीरिया की जांच की गई। जिसमें E.coli बैक्टीरिया को भी शामिल किया गया और पाया कि यह इस बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक केवल 20 प्रतिशत ही प्रभावी साबित होती है। इसके साथ ही अन्य भी कई दवाएं हैं, जिन्होंने बैक्टीरिया के प्रति अपनी प्रभावशीलता को कम कर दिया है।
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समस्या पर देना होगा ध्यान
रिपोर्ट के मुताबिक इस समस्या को रोकने के लिए इसकी सख्ती से निगरानी करनी होगी क्योंकि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इससे मरीज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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