गर्भनिरोधक अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाव का आसान उपाय हैं इसलिए बहुत सारे लोग इनका प्रयोग करते हैं। मगर WHO की स्टडी में इनसे जुड़ी एक नई बात सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने वाले बहुत सारे लोग इसका प्रयोग सिर्फ इसलिए बंद कर देते हैं क्योंकि इससे उनकी सेक्स लाइफ प्रभावित होती है।
स्टडी में क्या पाया गया?
WHO, HRP (United Nations’ Special Programme in Human Reproduction) और The Pleasure Project ने मिलकर 64 अलग-अलग स्टडीज की समीक्षा की, जिनमें करीब 1.25 लाख से ज्यादा लोगों का डेटा शामिल था। इस स्टडी में सामने आया कि जो लोग गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना चाहते हैं, उनमें से हर 20 में से 1 व्यक्ति इसे इस वजह से छोड़ देता है क्योंकि इनके प्रयोग से या तो वो अपनी सेक्शुअल लाइफ को एंजॉय नहीं कर पाते या इसके कारण उन्हें कोई समस्या आती है।
गर्भनिरोधक का सेक्स लाइफ पर क्या असर पड़ता है?
रिपोर्ट में सामने आया कि गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ा:
- कामेच्छा में कमी यानी सेक्स की इच्छा घट जाना
- संभोग के दौरान असहजता या दर्द
- पार्टनर की असंतुष्टि की चिंता
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ऊपर बताई गई समस्याएं सिर्फ हार्मोनल गर्भनिरोधक तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कई गैर-हार्मोनल दवाओं के भी ऐसे ही दुष्प्रभाव देखे गए हैं।
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समस्या से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं?
WHO ने इस रिपोर्ट में कुछ उपाय भी सुझाए हैं, जिससे ऐसी समस्याओं को कम किया जा सकता है, जैसे- गर्भनिरोध के उपायों पर काउंसलिंग देते समय डॉक्टर्स को सेक्स लाइफ के बारे में बार करना नॉर्मलाइज करना चाहिए। इसके अलावा हेल्थ एक्सपर्ट्स को इस बात के लिए ट्रेन करना चाहिए कि वो लोगों की सेक्शुअल समस्याओं को समझ सकें और उसके लिए उपाय सुझा सकें, जैसे- ड्राईनेस के लिए लुब्रिकेंट्स आदि। WHO ने यह भी कहा कि गर्भनिरोधक उत्पादों को बनाते समय सेक्शुअल एक्सपीरियंस को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
क्यों जरूरी है सही जानकारी?
WHO ने बताया कि अगर लोगों को गर्भनिरोधक गोलियों के बारे में सही गाइडेंस दी जाए और उनकी समस्याओं को समझकर सही उपाय बताए जाएं, तो इससे कई फायदे होंगे।
- प्रेग्नेंसी के दौरान मृत्यु (Maternal Mortality) दर में 25–35% तक कमी आ सकती है
- हर साल अनचाहे गर्भ की संख्या 8 करोड़ से घटकर 2.6 करोड़ हो सकती हैं।
- हाई रिस्क प्रेग्नेंसी और हाई रिस्क बर्थ को 40% तक घटा सकते हैं।
साथ ही, गर्भनिरोधक के कुछ तरीके (जैसे कंडोम) यौन संचारित रोगों से भी सुरक्षा देते हैं।
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कुल मिलाकर WHO की स्टडी साफ करती है कि गर्भनिरोधक को सिर्फ परिवार नियोजन का साधन नहीं माना जा सकता। ये भी देखना होगा कि इसका असर व्यक्ति की सेक्स लाइफ और संतुष्टि पर कैसा पड़ रहा है। अगर इस पहलू को नजरअंदाज किया गया, तो लोग गर्भनिरोधक छोड़ देंगे, जिससे अनचाहे गर्भ के मामले बढ़ेंगे और कई तरह की दूसरी समस्याएं पैदा होंगी।
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Sep 29, 2025 18:27 IST
Published By : Anurag Gupta