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2050 तक हर साल कैंसर के 3 करोड़ नए केस और 1.8 करोड़ मौतें, लैंसेट स्टडी में खुलासा

Lancet की नई रिपोर्ट के अनुसार 2023 में 1.85 करोड़ नए कैंसर केस और 1.04 करोड़ मौतें हुईं। 2050 तक यह आंकड़ा हर साल 3 करोड़ केस और 1.8 करोड़ मौतों तक पहुंच सकता है। जानें वजहें और बचाव के उपाय।
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2050 तक हर साल कैंसर के 3 करोड़ नए केस और 1.8 करोड़ मौतें, लैंसेट स्टडी में खुलासा


कैंसर को लेकर The Lancet में छपी नई रिपोर्ट ने दुनियाभर को चेतावनी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दशकों में कैंसर के मामलों और मौतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 1990 की तुलना में आज कैंसर के केस और मौतें लगभग दोगुनी हो चुकी हैं और आने वाले समय में यह बोझ और ज्यादा बढ़ने वाला है।

हर साल बढ़ रहे हैं मामले और मौतें

The Lancet की इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में दुनियाभर में करीब 1.85 करोड़ नए कैंसर केस सामने आए थे। इनमें से लगभग 1.04 करोड़ लोगों की मौत हो गई थी। इसका मतलब कि कुल मामलों के करीब 56% लोगों को मौत से नहीं बचाया जा सका। ये आंकड़े बताते हैं कि कैंसर कितनी खतरनाक और गंभीर बीमारी बन चुकी है। रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स ने यह भी बताया कि साल 2050 तक हालात और गंभीर हो सकते हैं। अनुमान है कि 2050 तक हर साल कैंसर के 3 करोड़ से ज्यादा नए केस सामने आएंगे और करीब 1.8 करोड़ मौतें होंगी।

क्यों बढ़ रहा है खतरा

हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित केयर हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट और हेड- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी डॉ सतीश पवार बताते हैं, “कैंसर के मामले बढ़ने का कोई एक कारण नहीं है। बदलती जीवनशैली जैसे- देर तक बैठे रहना, प्रोसेस्ड फूड्स खाना, धूम्रपान, खराब और अधूरी नींद, शारीरिक रूप से एक्टिव न रहना और प्रदूषण जैसी चीजें इसकी बड़ी वजह बन रही हैं। कुछ मामलों में जेनेटिक्स (वंशानुगत कारण) भी जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा मोटापा, कम उम्र में डायबिटीज और PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) भी कैंसर के खतरे को बढ़ा रहे हैं।”

रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर से होने वाली लगभग 42% मौतें ऐसी वजहों से होती हैं, जिन्हें समय रहते टाला जा सकता है।

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अमीर और गरीब देशों में फर्क

इस स्टडी में यह भी सामने आया कि अमीर देशों में कैंसर से मौत की दर धीरे-धीरे घट रही है। वहीं, कम और मध्यम आय वाले देशों में यह दर बढ़ रही है। इसकी वजह ये है कि गरीब देशों में लोगों को समय पर जांच और इलाज नहीं मिल पाता, जबकि अमीर देशों में ये आसानी से सुलभ है। कई जगह तो कैंसर का पता ही तब चलता है, जब बीमारी बहुत बढ़ चुकी होती है, क्योंकि जागरूकता के अभाव में लोग कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करते रहते हैं। इसके बाद महंगे इलाज और सीमित संसाधन हालात को और बिगाड़ देते हैं।

कैंसर से बचाव का क्या है रास्ता?

लैंसेट की इस रिपोर्ट से एक बात साफ है कि कैंसर से लड़ाई सिर्फ अस्पताल और दवाइयों से नहीं जीती जा सकती। इसके होने पर सही इलाज का मिलने का इंतजार करने के बजाय, इसे होने से रोकना ही इससे बचाव का सही रास्ता हो सकता है। इसके लिए समय-समय पर जांच कराना, लक्षणों को लेकर जागरूक रहना, लाइफस्टाइल को सही रखना, खानपान पर कंट्रोल रखना आदि बातें बहुत जरूरी हैं। ऐसा करके ही आने वाले सालों में कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

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कुल मिलाकर अगले कई दशकों तक कैंसर दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बना रहने वाला है। इसलिए आपकी जिम्मेदारी है कि इससे खुद भी बचें और दूसरों को भी जागरूक करें। अगर ये लेख आपको पसंद आया, तो इसे अपने मित्रों और परिचितों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति हर व्यक्ति जागरूक हो सके।

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  • Sep 26, 2025 10:58 IST

    Published By : Anurag Gupta

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