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भारत में क्रॉनिक बीमारियों से होने वाली मौतों का बढ़ा आंकड़ा, महिलाएं ज्यादा चपेट में: Lancet Study

लैंसेट स्टडी में पाया गया कि भारत में 2001 से 2019 के बीच क्रॉनिक बीमारियों से मौतों में तेजी आई है। महिलाओं पर इसका असर सबसे ज्यादा दिखा। जानें कारण, खतरे और बचाव के तरीके।
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भारत में क्रॉनिक बीमारियों से होने वाली मौतों का बढ़ा आंकड़ा, महिलाएं ज्यादा चपेट में: Lancet Study


पहले लोग मानते थे कि बड़ी बीमारियां धीरे-धीरे और उम्र के साथ आती हैं। लेकिन इन दिनों ऐसा नहीं है। युवाओं से लेकर बच्चों तक, ऐसी बीमारियों के ढेरों मामले सामने आने लगे हैं, जिन्हें पहले बुढ़ापे की बीमारी समझा जाता था, जैसे- हाई बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल आदि। डॉक्टर्स की भाषा में इन्हें Non Communicable Diseases (NCD) कहा जाता है, तो आम आदमी की भाषा में ये Chronic Diseases कहलाती हैं। लाइफस्टाइल से जुड़ी इन्हीं क्रॉनिक बीमारियों पर Lancet में छपी ताजी ग्लोबल स्टडी ने एक ऐसा सच सामने रखा है, जो भारत के लिए चेतावनी की घंटी है। पिछले दो दशकों में हमारे देश में क्रॉनिक बीमारियों से होने वाली मौतें तेजी से बढ़ी हैं। खास बात यह है कि इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है।

क्या हैं क्रॉनिक डिजीज?

क्रॉनिक बीमारियां वो होती हैं, जो लंबे समय तक चलती हैं। इनमें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारियां, कैंसर और क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज शामिल हैं। ये अचानक नहीं होतीं, बल्कि धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करती जाती हैं और आखिर में जानलेवा साबित होती हैं। कई बार मरीज को इनका पता बीमारी होते ही लग जाता है, तो कई बार बीमारी खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने पर पता चलता है।

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स्टडी में क्या बातें आईं सामने

The Lancent की इस स्टडी में 19 सालों का डाटा शामिल किया गया है। इसके मुताबिक साल 2001 से साल 2019 के बीच भारत में क्रॉनिक बीमारियों से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी देखी गई। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसकी संख्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा है। हालांकि स्टडी में यह भी बताया गया कि क्रॉनिक बीमारियों के मरीजों की संख्या पूरी दुनिया में ही बढ़ रही है, लेकिन भारत के सदंर्भ में जो डाटा सामने आया है, वो हमें सावधान करता है।

क्यों बढ़ रहा है खतरा?

भारत में क्रॉनिक बीमारियां तेजी से क्यों बढ़ रही हैं- इस बारे में बात करने पर नोएडा, हेल्थ सिटी स्थित शारदा हेल्थ केयर के जनरल मेडिसिन फिजीशियन और कंसल्टेंट डॉ भूमेश त्यागी बताते हैं कि, “ इन दिनों दुनिया भर में मौत का सबसे बड़ा कारण क्रॉनिक बीमारियां हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कुल वैश्विक मौतों में से लगभग 74% मौतें इन्हीं बीमारियों की वजह से होती हैं। अच्छी बात यह है कि इन बीमारियों को समय रहते पहचाना जाए, तो इन्हें रोका या नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन बहुत सारे लोगों में इनका पता समय से नहीं चलता है। अगर कुछ लक्षणों पर ध्यान दिया जाए, तो इन बीमारियों को समय रहते पहचाना जा सकता है”

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क्रॉनिक बीमारियों के शुरुआती संकेत

  • बिना काम के भी थकान महसूस होना
  • बिना कारण अचानक वजन कम होने लगना
  • थोड़ा काम करते ही सांस फूलने लगना
  • जल्दी-जल्दी पेशाब लगना
  • लंबे समय से शरीर के किसी हिस्से में दर्द होना
  • पैरों, हाथों या चेहरे पर सूजन रहना
  • बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स होना या चिड़चिड़ापन होना

कुल मिलाकर यह रिपोर्ट हमें एक साफ मैसेज देती है कि क्रॉनिक बीमारियां अब सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रहीं। किसी की लाइफस्टाइल अच्छी न हो या बहुत ज्यादा तनाव रहता हो, तो कम उम्र में भी ये बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए आपको अपना खानपान ठीक रखना चाहिए। खाने में घर का बना हेल्दी खाना ही खाएं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए थोड़ा एक्टिव रहना भी जरूरी है। इसके अलावा एक जरूरी बात यह है कि स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से दूर रहें। अगर आपको ये लेख पसंद आया, तो इसे दूसरों के साथ जरूर शेयर करें।

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  • Sep 17, 2025 20:09 IST

    Published By : अनुराग गुप्ता

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