Signs of Inflammation In Body: शरीर में किसी भी अंग में सूजन आने पर बाहरी रूप से उसका पता लग जाता है। लेकिन जब सूजन शरीर के अंदर हो, तो इसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है। बॉडी में इंफ्लेमेशन होना लाइफस्टाइल से जुड़ी एक आम समस्या है। लंबे समय तक डाइट और लाइफस्टाइल खराब होने के कारण यह समस्या हो सकती है। इसके कारण शरीर में कई समस्याएं एक साथ हो सकती हैं। अगर समय रहते इंफ्लेमेशन हो कंट्रोल न किया जाए, तो यह हार्मोन्स इंबैलेंस होने का कारण बन सकती है। इसके कारण डायबिटीज, पीसीओएस और पीसीओडी जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। जंक और प्रोसेस्ड फूड खाने से इंफ्लेमेशन ज्यादा बढ़ सकती है। शरीर में इंफ्लेमेशन एक्यूट और क्रॉनिक दो तरह से हो सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इन दोनों समस्याओं में क्या अंतर है। इस विषय पर जानकारी देते हुए नोएडा के मानस हॉस्पिटल और डाइट मंत्रा क्लिनिक की डायटिशियन कामिनी सिन्हा ने ओनलीमायहेल्थ के साथ लाइव सेशन किया है। आइए लेख में एक्सपर्ट से जानें इसके बारे में।
एक्यूट और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन में क्या फर्क होता है? Difference Between Acute and Chronic Inflammation
एक्यूट इंफ्लेमेशन क्या है? What Is Acute Inflammation
एक्यूट इंफ्लेमेशन कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक रहने वाली स्थिति है। यह चोट लगने या इंफेक्शन होने पर बॉडी का रेस्पांस होता है। इस दौरान बॉडी हील होती है जिस वजह से बॉडी में इंफ्लेमेशन होती है। उदाहरण के लिए गले में इंफेक्शन होना या फ्लू एक्यूट इंफ्लेमेशन के संकेत हैं। लेकिन अगर एक्यूट इंफ्लेमेशन ठीक नहीं होती, तो यह क्रॉनिक इंफ्लेमेशन में बदल सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक एक्यूट इंफ्लेमेशन के लक्षण बाहरी रूप से दिखाई देती है। जैसे त्वचा में सूजन आना, पिंपल्स आना, स्किन एलर्जी बार-बार होना आदि।
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क्रॉनिक इंफ्लेमेशन क्या है? What Is Chronic Inflammation
क्रॉनिक इंफ्लेमेशन कुछ दिनों से लेकर महीनों तक रहती है। अगर समय पर इसका पता न लगाया जाए, तो कई सालों तक स्थिति बनी रहती है। क्रॉनिक इंफ्लेमेशन हमेशा शरीर के आंतरिक अंगों में होती है। इसके कारण शरीर के अंदर लिवर, किडनी, ओवरी, पेट में सूजन आ सकती है। सूजन बढ़ने के कारण शरीर के अंदर कई समस्याएं एक साथ हो जाती हैं। इसके कारण वजन बढ़ सकता है, चेहरे पर सूजन या चर्बी बढ़ने लगती है, जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ सकती है और शरीर में थकावट और कमजोरी हो सकती है।
एक्सपर्ट के मुताबिक कुछ संकेतों को समझकर क्रॉनिक इंफ्लेमेशन को समझा जा सकता है। क्रॉनिक इंफ्लेमेशन बढ़ने पर डाइजेशन ठीक नहीं रहता है। इसके कारण भूख नहीं लगती है। जोड़ों में दर्द और सूजन रहती है या थकावट जल्दी हो जाती है। अगर आपको अचानक से हार्मोनल इशुज शुरू हो गए हैं, तो इसका कारण क्रॉनिक इंफ्लेमेशन भी हो सकता है।
समस्या किसमें ज्यादा गंभीर हो सकती है?
एक्यूट इंफ्लेमेशन में सूजन सिर्फ कुछ दिन तक रहती है। लेकिन अगर इस पर काम न किया जाए, तो परेशानी काफी समय तक रह सकती है। यह शरीर के बाहर नजर आती है, इसलिए यह ज्यादा गंभीर नहीं होती है।
क्रॉनिक इंफ्लेमेशन के कारण हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं। ये डायबिटीज, पीसीओएस और पीसीओडी जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है। अगर इसके लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए, तो समस्या लंबे समय तक रह सकती है।
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इस लेख में हमने आपको सामान्य जानकारी दी है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।