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बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से बचाने के लिए जरूर फॉलो करें ये 4 चीजें, जानें एक्सपर्ट से

Tips to Prevent Chronic Inflammation in Hindi: क्या आपके माता-पिता भी पाचन संबंधी समस्या, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द से परेशान हैं। अगर हां, तो यह सभी क्रॉनिक इंफ्लेमेशन का संकेत हो सकता है।
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बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से बचाने के लिए जरूर फॉलो करें ये 4 चीजें, जानें एक्सपर्ट से


Tips to Prevent Chronic Inflammation in Hindi: स्वस्थ रहने के लिए सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। खासकर बुजुर्ग लोगों की सेहत का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए। बुजुर्गों में अक्सर जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या रहती है। अगर आपके माता-पिता को भी इस तरह की समस्या है या नहीं है तो उससे बचने के लिए आपको कुछ टिप्स जरूर फॉलो करनी चाहिए।

क्या आपके माता-पिता भी पाचन संबंधी समस्या, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द से परेशान हैं। अगर हां, तो यह सभी क्रॉनिक इंफ्लेमेशन का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज करना कई बार सेहत पर भारी भी पड़ सकता है। आइये हेल्थ और फिटनेस एक्सपर्ट नवनीथ रामप्रसाद से जानते हैं बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से कैसे बचाएं?

बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से कैसे बचाएं? 

एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट दें

बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से बचाने के लिए आपको उन्हें एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट देनी चाहिए। ऐसे में उन्हें बादाम, अखरोट, अलसी के बीज, अदरक, ऑलिव ऑयल, दही और बेरीज आदि देनी चाहिए। इस डाइट को लेने से शरीर में सूजन कम होती है। इस डाइट को कम से कम 4 हफ्तों तक लें। 

 

 

 

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रिफाइंड कार्ब्स से परहेज करें

हालांकि, रिफाइंड कार्ब्स वैसे तो सभी उम्र के लोगों के लिए हानिकारक होते हैं, लेकिन बुजुर्ग लोगों में इसके परिणाम ज्यादा नुकसानदायक हो सकते हैं। क्रॉनिक इंफ्लेमेशन को कम करने के लिए डाइट से रिफाइंड कार्ब्स जैसे शुगर वाली ड्रिंक्स, शराब, फ्राइड फूड्स और सफेद ब्रेड को हटाएं।

रेगुलर एक्सरसाइज कराएं

बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से बचाने के लिए आपको उन्हें नियमित तौर पर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करानी चाहिए। इसके साथ ही आपको हफ्ते में कम से कम 200 मिनट तक एक्सरसाइज करें। इसके लिए बुजुर्गों को एरोबिक एक्सरसाइज भी करानी चाहिए।

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ब्लड टेस्ट कराएं

बुजुर्गों को क्रॉनिक इंफ्लेमेशन से बचाने के लिए नियमित तौर पर आपको उनका ब्लड टेस्ट कराते रहना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर उनका CRP और ESR कराएं। साथ ही हर 3 महीनों पर उनका इंटर्नल हेल्थ चेकअप कराना भी बेहद जरूरी होता है। इससे स्वास्थ्य समस्याओं का पता आसानी से लगाया जा सकता है। 

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