सुपरबग ने बढ़ाई दुनिया की चिंता, साल 2050 तक जा सकती है 4 करोड़ लोगों की जान, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

Superbug Threat in World: सुपरबग दुनियाभर में एक नए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है। स्टडी के मुताबिक इसके चलते 2050 तक 4 करोड़ लोगों की जान जा सकती है।
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सुपरबग ने बढ़ाई दुनिया की चिंता, साल 2050 तक जा सकती है 4 करोड़ लोगों की जान, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

Superbug Threat in World: दुनियाभर में एक तरफ एमपॉक्स और कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में आए दिन नई-नई बीमारियां और वायरस निकलकर सामने आ रहे हैं। अब सुपरबग ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। सुपरबग एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है, जो आमतौर पर दवाओं के असर से नष्ट हो जाते हैं, लेकिन अब दवाओं का असर इनपर खत्म होने लगा है। इस बैक्टीरिया के चलते बीमारियों का ठीक होना मुश्किल होता जा रहा है। सोमवार को द लांसेट जर्नल (The Lancet Journal) में छपी एक स्टडी के मुताबिक सुपरबग दुनिया के लिए खतरे का सबब बनता जा रहा है। इसके चलते साल 2050 तक दुनिया में 4 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। 

70 फीसदी तक बढ़ सकता है मौत का खतरा 

स्टडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया में आने वाले कुछ समय में दवाओं के गलत इस्तेमाल या ओवरडोज से मौत होने का खतरा 70 फीसदी तक बढ़ सकता है। दरअसल, सुपरबग बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक और सामान्य दवाओं का असर नहीं हो रहा है। जिसके चलते इलाज करना मुश्किल हो रहा है और जान जाने का जोखिम बढ़ रहा है। मौत होने के पीछे का कारण एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को माना जा रहा है। यह स्थिति तब होती है, जब दवाएं बैक्टीरिया और फंगस आदि को मारने में सक्षम नहीं होती हैं। 

व्यसकों में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का ज्यादा खतरा 

शोधकर्ताओं ने इसपर एक डेटा इकठ्ठा किया है, जिसमें देखा गया कि साल 1990 से 2021 तक एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से होने वाली मौत का खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों में तो 50 फीसदी कम हुआ, लेकिन 70 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों में यह खतरा 80 फीसदी तक बढ़ गया। 

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सेप्सिस से हुई 30 लाख लोगों की मौत  

रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2019 में सेप्सिस के कारण करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से एक तिहाई मामलों का कारण एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस था। इसलिए दवाओं का अधिक या गलत इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है। स्टडी के लेखक मोहसिन नगवी ने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। हालांकि, यह लंबे समय से खतरा बना हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक साल 2050 में पहुंचने के बाद AMR का खतरा 8.2 मिलियन पहुंच सकता है। 

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