WHO Report: हर साल 1.1 करोड़ लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से मर रहे, दुनिया पर बड़ा स्वास्थ्य संकट

WHO की नई रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में हर साल 1.1 करोड़ लोग स्ट्रोक, डिमेंशिया, मिर्गी और माइग्रेन जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से मौत का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट में हेल्थ सिस्टम की कमी और तुरंत कार्रवाई की जरूरत बताई गई है।
  • SHARE
  • FOLLOW
WHO Report: हर साल 1.1 करोड़ लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से मर रहे, दुनिया पर बड़ा स्वास्थ्य संकट


दिमाग सिर्फ सोचने का काम नहीं करता, यह पूरे शरीर का कंट्रोल रूम होता है। सांस लेने से लेकर चलने तक और यादें संजोने से लेकर रिकवरी के लिए शरीर को नींद में लाने तक, शरीर का हर फंक्शन इसी अंग पर निर्भर करता है। क्या आप सोच सकते हैं कि अगर आपका दिमाग ठीक से काम न करे, तो आपकी जिंदगी कैसी होगी? जी हां, आप सही हैं। जिंदगी आसान नहीं होगी। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि WHO की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी इन दिनों न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से गुजर रही है। यही नहीं, न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण हर साल 1.1 करोड़ लोग अपनी जान गंवा देते हैं। ये संख्या बहुत बड़ी है इसलिए चिंता का विषय है।

दुनिया की 40% आबादी है न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का शिकार

WHO की इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग 40% आबादी यानी करीब 3.3 अरब लोग किसी न किसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी से प्रभावित हैं। यह साल 2021 से 2023 के बीच सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी समूहों में शामिल हो चुका है। इन बीमारियों में स्ट्रोक, डिमेंशिया, अल्जाइमर, मिर्गी (Epilepsy), माइग्रेन आदि शामिल हैं।
सिर्फ स्ट्रोक ही विश्व स्तर पर मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुका है। डिमेंशिया बुजुर्गों में डिसेबिलिटी का प्रमुख कारण है। वहीं माइग्रेन अब दुनिया में कामकाजी अक्षमता (Work Disability) का बड़ा कारण बन चुका है।

न्यूरोलॉजिकल हेल्थ केयर की भारी कमी

रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में इस समय न्यूरोलॉजिकल हेल्थ केयर की भारी कमी है। आंकड़े चिंताजनक हैं। कम आय वाले देशों में अमीर देशों की तुलना में न्यूरोलॉजिस्ट (मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ) की संख्या 80 गुना से भी कम है, जबकि इन देशों में दिमाग से जुड़ी बीमारियों का बोझ बहुत अधिक है। WHO का साफ कहना है कि दुनिया मानसिक बीमारियों के बोझ को समझ ही नहीं पा रही है और इसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें: शरीर में ये 8 लक्षण हैं नर्वस सिस्टम में खराबी का संकेत, डॉक्टर से जानें कारण और इलाज

सिर्फ इलाज नहीं, रिहैबिलिटेशन भी जरूरी

WHO ने यह भी बताया कि न्यूरोलॉजिकल बीमारी का इलाज सिर्फ दवा नहीं होता। इसके लिए कई तरह की थेरेपीज, पुनर्वास (rehabilitation), मानसिक सहयोग और परिवार का साथ आदि भी जरूरी है। लेकिन दुनिया की स्वास्थ्य नीतियां अब भी इसे Short-term इलाज की तरह देखती हैं। यही कारण है कि लाखों परिवार आर्थिक और भावनात्मक संकट में घिर जाते हैं।

neurological-diseases-who-report-inside

क्यों बढ़ रहा है खतरा?

रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते मामलों के पीछे कई वजहें हैं, जैसे- बढ़ती उम्र के साथ न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का बढ़ना, स्ट्रोक और डिमेंशिया का बढ़ता खतरा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से नसों को होने वाला नुकसान, प्रदूषण और स्मोकिंग जैसे पर्यावरणीय कारण, सिर और रीढ़ की चोटों में वृद्धि, हेल्थ सिस्टम की कमी से देर से इलाज आदि।

इसे भी पढ़ें: बोली में बदलाव से लेकर चलने-फिरने में दिक्कत तक, आम से ये लक्षण हो सकते हैं ब्रेन की बीमारी की पहचान

सभी देशों से WHO की अपील

WHO ने दुनिया के सभी देशों से अपली की है कि वो राष्ट्रीय न्यूरोलॉजी नीति बनाएं। साथ ही सस्ती और सुलभ न्यूरोलॉजी सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाई जाए।। इसके अलावा डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट सेंटर्स की संख्या बढ़े और पुनर्वास (rehab) और सामुदायिक सहायता को स्वास्थ्य योजना में जोड़ा जाए। WHO ने चेतावनी भी दी है कि अगर अभी भी देरी हुई, तो अगला वैश्विक स्वास्थ्य संकट न्यूरोलॉजी के क्षेत्र से आएगा।

Read Next

महाभारत में कर्ण का रोल अदा करने वाले अभिनेता पंकज धीर का निधन, कैंसर को बताया जा रहा कारण

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version

  • Oct 15, 2025 20:16 IST

    Published By : Anurag Gupta

TAGS