ब्रेन हमारे शरीर का मेन प्रोसेसिंग यूनिट है, जिसके बिना शरीर किसी खोखले ढांचे की तरह है जिसका कोई काम नहीं। ब्रेन से ही शरीर के तमाम अंगों का काम काज चैनलाइज होता है। ऐसे में जब शरीर के इस हिस्से में कोई गड़बड़ी होती है तो पूरा शरीर प्रभावित होता है। चाहे आपकी सोच हो, हाथ-पैरो हो, नसों का कामकाज हो या फिर आपके बातचीत करने की क्षमता। पर दुर्भाग्य की बात यह है कि हम में से ज्यादातर लोग ब्रेन की बीमारी को शुरुआत में समझ नहीं पाते (brain ki bimari ko kaise pehchana jata hai) और देर होने पर स्थिति हाथ से बाहर निकल सकती है। ऐसे में जानना जरूरी है कि ब्रेन की बीमारी को कैसे पहचाना जा सकता है। क्या शुरुआत में ही इसके लक्षण पहचाने जा सकते हैं। इस बारे में विस्तार से जानकारी के लिए हमने Dr. Dipesh Pimpale, Consultant Neurologist, KIMS Hospitals, Thane से बात की।
ब्रेन की बीमारी को कैसे पहचाना जाता है-How to Identify Brain Disease
डॉ. दीपेश पिंपले बताते हैं कि मस्तिष्क रोगों में कई तरह की स्थितियां शामिल होती हैं जो मस्तिष्क की संरचना, कार्य या रसायन विज्ञान को प्रभावित करती हैं। प्रारंभिक पहचान महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे जानकर आप जल्दी इलाज ले सकते हैं जिससे बेहतर परिणाम मिल सकते। जैसे ही दिमाग की बीमारी के इलाज में देरी होती है इलाज के रिजल्ट्स अच्छे नहीं आते खासकर प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए। हालांकि लक्षण विशिष्ट बीमारी के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, फिर भी कुछ सामान्य संकेत हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। जैसे कि
1. आवाज या बातचीत में परिवर्तन-Changes in Speech or Communication
ब्रेन की बीमारी के सबसे शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति के आवाज में बदलाव के साथ बातचीत में मुश्किल हो सकती है। आपको ऐसा लग सकता है मानों आप दिमाग में शब्द खोज रहे हों और यह मिल न रहा हो। इसके अलावा अस्पष्ट वाणी, शब्दों को खोजने में कठिनाई या भाषा समझने में अचानक परेशानी मस्तिष्क के भाषा केंद्रों में समस्याओं का संकेत हो सकती है। ये लक्षण अक्सर स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, या अल्जाइमर रोग जैसी स्थितियों से जुड़े होते हैं।
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2. स्मृति हानि या भ्रम- Memory Loss or Confusion
स्मृति हानि यानी अचानक से चीजों को भूल जाना या आपको महसूस होना कि आपके दिमाग से कुछ जानकारियों डिलीट हो गई हैं, इस तरह भावनाएं ब्रेन डिजीज के लक्षणों में आते हैं। इसके अलावा बार-बार भूलने की बीमारी, परिचित जगहों में खो जाना या नामों और घटनाओं को याद करने में कठिनाई, मनोभ्रंश या अन्य संज्ञानात्मक विकारों के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा कंफ्यूजन की स्थिति में रहना भी ब्रेन की बीमारी का संकेत हो सकती है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और ऐसे में आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
3. चलने-फिरने में दिक्कत और संतुलन संबंधी समस्याएं-Movement and Balance Issues
अस्थिर चलना, चलने-फिरने में दिक्कत महसूस करना और बार-बार गिरना भी ब्रेन की बीमारी का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा शरीर में अचानक से अकड़न या कंपन महसूस करना भी इसका एक लक्षण है। यह पार्किंसंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस या अनुमस्तिष्क विकार जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों का संकेत हो सकते हैं। अचानक कमजोरी या लकवा भी स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। ऐसे में फटाफट डॉक्टर को जाकर दिखाएं।
4. व्यक्तित्व या व्यवहार में परिवर्तन-Changes in Personality or Behavior
चिड़चिड़ापन, अवसाद, मतिभ्रम, या सामाजिक संकोच जैसे व्यवहार में बदलाव भी इस बात के संकेत हो सकते हैं कहीं कोई ब्रेन डिजीज तो नहीं। इन तमाम चीजों का व्यक्तित्व पर भी असर होता है और आपके आस-पास के लोग इसे नोटिस कर सकते हैं। यह मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली किसी तंत्रिका संबंधी या मानसिक स्थिति, जैसे फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया या मस्तिष्क संक्रमण,का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से जल्द से जल्द बात करना जरूरी है।
5. देखने और सुनने से जुड़ी समस्याओं का होना-Vision or Hearing Disturbances
धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि, या सुनने की क्षमता में कमी खासकर कि यह अचानक होना ब्रेन डिजीज का कारण हो सकता है। यह आपके मस्तिष्क के संवेदी मार्गों में समस्याओं से संबंधित हो सकती है और गंभीर दिक्कत हो सकती है जिसके इलाज में भी समय लगे। तो अचानक से होने वाली किसी भी देखने सुनने वाली दिक्कत को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर को दिखाएं।
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6. दौरे पड़ना-Seizures
जिन वयस्कों को पहले कभी दौरे नहीं पड़े हैं, उन्हें अगर अचानक से दौरे पड़ने लगे तो उन्हें अपने ब्रेन की जांच करवानी चाहिए, क्योंकि ये ब्रेन ट्यूमर, संक्रमण या मिर्गी के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा ब्रेन स्ट्रोक में भी दौरे पड़ सकते हैं। तो यह एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें जल्द से जल्द अस्पताल जाकर इलाज करवाना जरूरी है।
सबसे जरूरी बात-
अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना जरूरी है। न्यूरोलॉजिकल जांच, ब्रेन इमेजिंग जैसे एमआरआई या सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट के जरिए शुरुआती निदान से समय पर इलाज और स्थिति का बेहतर प्रबंधन हो सकता है। तो लक्षण देखते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
FAQ
बाइपोलर डिसऑर्डर क्या बीमारी है?
बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है जिसमें एक व्यक्ति में आपको दो अलग-अलग व्यवहार देखने को मिल सकता है। ऐसे लोगों में अचानक मूड बदल सकता है, कभी खुश तो कभी बिलकुल दुखी नजर आ सकते हैं। ये समय के साथ गंभीर रूप ले सकता है जिसमें व्यक्ति खुद को नुकसान भी पहुंचा सकता है।सिर में चक्कर आना ब्रेन की बीमारी है?
सिर में चक्कर आना हमेशा ब्रेन की बीमारी नहीं होती। बल्कि, यह तब भी हो सकता है जब आपका ऑक्सीजन सर्कुलेशन सही न हो या फिर शरीर में कमजोरी हो। इसके अलावा कई बार ब्रेन की किसी बीमारी में भी आपको यह दिक्कत महसूस हो सकती है।नींद में झटके आना कौन सी बीमारी है?
नींद में झटके आना कोई बीमारी नहीं बल्कि ये हाइपनिक जर्क है। इसमें अनजाने में ही मांसपेशियों में सिकुचन होता है और व्यक्ति अचानक से चौंक जाता है।