बच्चों में मिर्गी के लक्षण, कारण और बचाव के लिए टिप्स

Epilepsy in kids : आजकल मिर्गी की समस्या से बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी पीड़ित हो रहे हैं। जानें बच्चों में मिर्गी के लक्षण, कारण और बचाव टिप्स-
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बच्चों में मिर्गी के लक्षण, कारण और बचाव के लिए टिप्स


बच्चों में मिर्गी के लक्षण और कारण (Epilepsy symptoms and causes in kids) क्या है? पूरी दुनियाभर में मिर्गी से लगभग 5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। आजकल इस समस्या से बड़ों के साथ ही बच्चे भी पीड़ित हो रहे हैं। बच्चों में मिर्गी की समस्या बेहद आम हो गई है। कई बच्चे किशोरावस्था से पहले ही मिर्गी से प्रभावित होने लगते हैं।

मिर्गी होने पर व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं। बच्चों में मिर्गी की समस्या होने पर शुरुआत में कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं, इनके आधार पर ही मिर्गी का पता लगाया जा सकता है।

epilepsy in kids

(image : samacharnama.com)

बच्चों में मिर्गी (epilepsy in kids)

मिर्गी के कारण दौरे पड़ते हैं, जो मस्तिष्क में शुरू होते हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, जिससे दुनियाभर में करोड़ों बच्चे प्रभावित हैं। अकसर मिर्गी वाले वयस्कों को बचपन या किशोरावस्था में पहला दौरा पड़ता है। किशोरावस्था तक आते-आते बच्चों में मिर्गी के दौरे बढ़ने लगते हैं। लेकिन बच्चों की सही तरीके से देखभाल करके मिर्गी के दौरे की समस्या को कम किया जा सकता है। बच्चों में जन्म लेने के एक साल के दौरान मिर्गी के दौरे पड़ने की संभावना अधिक होती है। मिर्गी प्रत्येक बच्चे को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है। बच्चों में मिर्गी उनकी उम्र पर निर्भर करता है। इसके साथ ही दवा के माध्यम से भी मिर्गी के दौरे को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

मिर्गी में कई बार पीड़ित व्यक्ति गिर जाता है, उसकी पूरी बॉडी में झटके लगते हैं, मुंह से झांग आता है। इसके अलावा कई बार पीड़ित व्यक्ति को सिर्फ झटका सा लगता है। कुछ स्थिति में  बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ने पर वह अचानक से किसी चीज में खो जाता है, ऐसा लगता है कि वह डे ड्रीमिंग कर रहा है।

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बच्चों में मिर्गी के लक्षण (Epilepsy symptoms in kids)

बच्चों में मिर्गी के लक्षण उनकी आयु, स्थिति पर निर्भर करते हैं। जानें बच्चों में मिर्गी के लक्षण हैं-

  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • मांसपेशियों में दर्द होना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • बोलने में परेशानी होना
  • स्किन कलर में बदलाव नजर आना
  • किसी भी बात को समझने में कठिनाई होना
  • किसी वस्तु को पहचानने में दिक्कत
  • भावनात्मक बदलाव

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(image : 4brothersappliance.com)

बच्चों में मिर्गी के कारण (epilepsy causes in kids)

बच्चों में मिर्गी का दौरा पड़ने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण बच्चों की आयु पर निर्भर करते हैं। इतना ही नहीं कुछ बच्चों में मिर्गी के दौरे अनुवांशिक भी हो सकते हैं। जानें बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण-

  • सिर पर चोट लगना। जिन बच्चों के सिर में चोट लगी होती है, उन्हें मिर्गी का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक होता है। 
  • कुछ बच्चों में दिमाग या मस्तिष्क के आकार में बदलाव के कारण भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है। 
  • ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों को मिर्गी का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक रहता है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी बीमारी है। इसमें मरीज न तो अपनी बात ठीक से कह पाता है ना ही दूसरों की बात समझ पाता है।
  • बच्चों में मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं बढ़ने पर भी मिर्गी का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक रहता है।

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(iamge : Fpediatriaup.com)

बच्चों में मिर्गी के लिए बचाव टिप्स (Epilepsy prevention tips for kids)

बच्चों को मिर्गी के दौरे पड़ने से बचाने के लिए सबसे पहले इसके कारण का पता लगाना होता है। बच्चों में मिर्गी को रोकने के लिए इसके कारक को रोकना सबसे जरूरी है। बच्चों में मिर्गी के दौरे का उपचार और बचाव उनकी स्थिति और आयु पर निर्भर करता है। बच्चों में मिर्गी से बचाव के लिए टिप्स-

  • बच्चों को गिरने से बचाना जरूरी है। इसके लिए उन्हें ध्यान से और देखकर सही तरीके से चलना सिखाएं।
  • बच्चे को प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करवाएं। कम कार्बोहाइड्रेड वाली डाइट दें। 
  • बच्चे के सिर को चोट लगने से बचाएं। उन्हें साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनाएं।
  • बच्चों की नींद पूरी करवाएं। उन्हें सही समय पर सुलाएं और उठाएं।
  • बच्चों को मिर्गी से बचाने के लिए आपको उन्हें शोर-शराबे से भी दूर रखना चाहिए। क्योंकि शोर से भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
  • बच्चे को तनाव, टेंशन या डिप्रेशन से दूर रखें। तनाव भी बच्चों में मिर्गी के दौरे का जोखिम बढ़ा सकता है।

मिर्गी के दौरे को रोकने के लिए डॉक्टर कई तरह की दवाएं देते हैं। इतना ही नहीं कुछ मामलों में मस्तिष्क की सर्जरी करना भी इसका उपचार होता है। डाइट में प्रोटीन शामिल करके और कार्बोहाइड्रेट को कम करके मिर्गी के दौरे के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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बच्चों में मिर्गी के दौरे के प्रकार (epilepsy types in kids)

मिर्गी के दौरे पीड़ित व्यक्ति को शारीरिक रूप से प्रभावित करता है। किसी भी व्यक्ति को मिर्गी के दौरे तब पड़ते हैं, जब मस्तिष्क और न्यूरॉन के बीच किसी तरह की कोई समस्या देखने को मिलती है। मिर्गी के दौरे को कई भागों में बांटा गया है। जानें इसके प्रकार-

सामान्य मिर्गी का दौरा

सामान्य मिर्गी का दौरा वह स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क के दोनों न्यूरॉन कोशिकाओं (cells) में गड़बड़ी करते हैं। इस स्थिति में बच्चों को मांसपेशियों में हल्की ऐंठन महसूस हो सकती है। कुछ मामलों में गंभीर दौरा भी पड़ता है।

एब्सेंस 

मिर्गी के दौरे की यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चों को अचानक से मिर्गी का दौरा पड़ता है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को 10-15 मिनट तक दौरा रह सकता है।

एटोनिक सीजर

मिर्गी के दौरे की यह स्थिति बच्चों में अचानक आती है, इसमें मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है। इस स्थिति में बच्चा नीचे गिर सकता है, इतना ही नहीं बच्चा कोई प्रतिक्रिया देना भी बंद कर सकता है।

क्लोनिक सीजर

इस स्थिति में मिर्गी का दौरा पड़ने वाला बच्चे का शरीर का अंग सिकुड़ता है और सीधा होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर मांसपेशियों को आराम मिलता है। इस स्थिति में बच्चा 1-3 मिनट तक दौरे में रह सकता है।

मायोक्लोनिक सीजर

इस स्थिति के मिर्गी के दौरे में मांसपेशियों में अचानक से झटके लगते हैं। यह दौरा बहुत छोटा-सा होता है। इसमें 1-2 सेकेंड तक दौरा रह सकता है। 

फोकल सीजर

फोकल सिजर्स को आंशिक दौरा भी कहा जाता है। इस स्थिति में मस्तिष्क की एक कोशिका में गड़बड़ी होती है। इस स्थिति में एक हिस्से में दौरा पड़ता है। फोकल सिजर्स को फोकल नॉन मोटर सिजर्स,  फोकल मोटर सिजर्स और फोकल इमपैयर्ड अवेयर सिजर्स में बाटा गया है।

अगर आपके बच्चे में भी मिर्गी के कोई लक्षण नजर आए, तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  

(main images : am730.com.hk, momcuddle.com)

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