वर्तमान में खराब लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान और पानी की कमी के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, जिनमें किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी) एक आम समस्या बनती जा रही है। पथरी की समस्या तब होती है जब किडनी में कैल्शियम, ऑक्सलेट, यूरिक एसिड या अन्य खनिज पदार्थ इकट्ठे होकर कठोर कणों का निर्माण कर लेते हैं। ये कण धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं, जिससे व्यक्ति को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। गुर्दे की पथरी का दर्द पेट, पीठ और कमर के निचले हिस्से में महसूस होता है और कई बार यह दर्द इतना तेज हो सकता है कि मरीज को अस्पताल तक ले जाने की नौबत आ जाती है। आयुर्वेद में पथरी की समस्या को संतुलित आहार, हर्बल उपचार और सही दिनचर्या से कंट्रोल करने के कई उपाय बताए गए हैं। प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में जटामांसी जैसी औषधियां पथरी के दर्द को कम करने में कारगर साबित होती हैं। इस लेख में राम हंस चैरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ram Hans Charitable Hospital) से जानिए, पथरी का दर्द कम करने के लिए जटामांसी का उपयोग कैसे करें और इसके क्या फायदे होते हैं।
आयुर्वेद में जटामांसी का महत्व
आयुर्वेद में जटामांसी को एक बेहतरीन औषधि माना गया है। इसे "बालछड़" भी कहा जाता है और यह मानसिक शांति, तनाव और चिंता के लिए उपयोगी मानी जाती है। इसके अलावा, जटामांसी का उपयोग गुर्दे की पथरी के दर्द (Which ayurvedic herb is best for kidney stones) में भी लाभकारी है। आयुर्वेद में इसे शीतल, टॉनिक और दर्दनिवारक गुणों से भरपूर बताया गया है, जो किडनी स्टोन के कारण होने वाले दर्द में राहत प्रदान करने में मदद करता है।
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किडनी स्टोन के दर्द से राहत के लिए जटामांसी का उपयोग
जटामांसी के दर्दनिवारक और शीतल गुण किडनी स्टोन के कारण होने वाले दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं। यह पथरी के दर्द को कंट्रोल करने (best pain relief for kidney stones) में मदद करती है। इसके उपयोग से गुर्दे की पथरी को निकालने में भी मदद मिल सकती है, क्योंकि यह मूत्रवाहिनियों में रुकावट को कम करती है और पेशाब को साफ करती है। जटामांसी का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसका अत्यधिक सेवन कुछ लोगों में साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकता है। यदि आप किडनी की गंभीर समस्या या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं, तो जटामांसी का उपयोग शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।
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जटामांसी का उपयोग कैसे करें? - How To Use Jatamansi
जटामांसी का काढ़ा
जटामांसी का काढ़ा बनाने के लिए 5-10 ग्राम जटामांसी को पानी में डालकर रातभर के लिए रखें और अगली सुबह हल्का गर्म करके इस पानी को दिनभर में 3-4 बार पिएं।
जटामांसी के अन्य फायदे - Health Benefits Of Jatamansi
- जटामांसी मानसिक स्थिति को शांति देने में सहायक होती है, जिससे तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है। यह तनाव के कारण होने वाली समस्याओं को भी दूर करती है।
- जटामांसी का सेवन हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है। यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है और दिल की धड़कनों को सामान्य करता है।
- जटामांसी का सेवन अवसाद और चिंता को कम करने में मदद करता है, जो शरीर और मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है।
निष्कर्ष
जटामांसी एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो किडनी स्टोन के दर्द को कम करने में सहायक हो सकती है। इसके दर्दनिवारक गुण किडनी स्टोन के कारण होने वाले दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
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