सर्दियों के मौसम में जब तापमान गिरता है, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस जल्दी प्रभाव डालते हैं। ऐसे में कई लोग दवाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन आयुर्वेद में कुछ नेचुरल उपाय बताए गए हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के ज्वर (बुखार) से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। आयुर्वेद में कालमेघ को एक प्रभावी जड़ी-बूटी माना जाता है, जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से बुखार जैसी समस्याओं में किया जाता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, कालमेघ शीतवीर्य होता है और यह यकृत (लिवर) को ताकत देने वाला माना जाता है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से बुखार को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही यह शरीर की इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है। इस लेख में राम हंस चैरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानिए, कालमेघ का काढ़ा कैसे बनाएं और इसके क्या फायदे हैं?
कालमेघ औषधि किस काम आती है?
आयुर्वेद में कालमेघ (Andrographis paniculata) को एक अत्यंत प्रभावी औषधि के रूप में जाना जाता है। यह विशेष रूप से ज्वर यानी बुखार और अन्य संक्रमणों के इलाज में उपयोगी होता है। कालमेघ में शीतवीर्य और यकृत बल्य (liver strengthening) गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं और शरीर में जलन या तापमान को कंट्रोल करते हैं।
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आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा का कहना है कि कालमेघ का उपयोग बुखार और जुकाम को दूर करने के लिए लाभकारी है। यदि आप सर्दियों में बुखार से परेशान हैं, तो कालमेघ का काढ़ा एक बेहतरीन प्राकृतिक उपाय हो सकता है। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कालमेघ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको किसी भी तरह की एलर्जी होती है, तो पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लें।
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कालमेघ काढ़ा के फायदे - Benefits of Kalmegh Kadha
1. बुखार को कम करे
कालमेघ में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बुखार पैदा करने वाले संक्रमण को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके नियमित सेवन से वायरल बुखार और सामान्य सर्दी-खांसी में राहत मिल सकती है।
2. शरीर में ठंडक पहुंचाए
आयुर्वेद के अनुसार, कालमेघ एक "शीतवीर्य" औषधि है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
3. इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक
कालमेघ में मौजूद प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं, जिससे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने में सहायता मिलती है।
4. लिवर को मजबूती प्रदान करे
कालमेघ को आयुर्वेद में "यकृत बल्य" कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह लिवर को मजबूत बनाने में सहायक होता है। यह लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
कालमेघ का काढ़ा कैसे बनाएं?
2-4 ग्राम कालमेघ
1.5 कप पानी
1 चम्मच शहद (स्वाद के लिए)
बनाने की विधि
- रातभर के लिए 2-4 ग्राम कालमेघ को पानी में भिगोकर रखें।
- सुबह इसे धीमी आंच पर हल्का उबालें।
- इसे छानकर गिलास में कर लें।
- इस काढ़े को दिन में 2-3 बार पिएं।
कालमेघ के काढ़े का कब और कैसे सेवन करें?
- इस काढ़े का सेवन दिनभर में किसी भी समय किया जा सकता है।
- इसे लगातार 5-7 दिनों तक पिएं, ताकि बुखार और सर्दी-खांसी में तेजी से आराम मिल सके।
निष्कर्ष
कालमेघ काढ़ा एक प्राकृतिक औषधि है, जो बुखार और लिवर से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी होता है। यह शरीर को डिटॉक्स करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। अगर इसे सही मात्रा और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह एक प्रभावी घरेलू उपचार साबित हो सकता है। यदि आपको लंबे समय से बुखार की समस्या है, तो इसे अनदेखा न करें और जल्द से जल्द किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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