बरसात के मौसम में कई तरह के मौसमी फल बाजार में नजर आने लगते हैं, जिनमें जामुन एक खास और स्वादिष्ट फल है। गहरे बैंगनी रंग और कसैले स्वाद वाला यह फल न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर भी होता है। आयुर्वेद में जामुन को एक बेहद उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक फल माना गया है, जिसका सेवन अनेक रोगों में लाभकारी साबित होता है। बरसात के मौसम में जब वातावरण में नमी और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, तब जामुन का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। जामुन के फल के साथ-साथ इसकी गुठली, पत्ते और छाल भी औषधीय रूप से उपयोग की जाती है। विशेष रूप से मधुमेह यानी डायबिटीज, पेट के रोग, रक्त विकार और स्किन संबंधी समस्याओं में इसके विभिन्न भागों का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार जामुन कफ और पित्त दोष को शांत करता है और इसका ठंडा प्रभाव शरीर को ताजगी प्रदान करता है।
आपको बता दें कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं, ताकि लोग आयुर्वेदिक इलाज और जड़ी-बूटियों के बारे में जान सकें। जामुन के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है, इस बारे में जानने के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा से बातचीत की-
जामुन फल क्या होता है? - What is jamun fruit
डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि जामुन, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Syzygium cumini कहा जाता है, आयुर्वेद में इसे औषधीय फल बताया गया है। इसका स्वाद मीठा और थोड़ा सा तिक्त होता है, जो इसे अनेक रोगों में उपयोगी बनाता है। जामुन के फल, पत्ते, बीज और छाल का प्रयोग विभिन्न रोगों में किया जाता है। आयुर्वेद में इसे विस्टंबक (रुचिकर और पाचन में सहायक), गुरू (भारी) और रोचक (स्वादवर्धक) बताया गया है। इसके फल, बीज, छाल और पत्ते, सभी का उपयोग अलग-अलग रोगों के इलाज में किया जाता है। विशेषकर डायबिटीज और अतिसार यानी डायरिया जैसी बीमारियों में यह बेहद प्रभावी है।
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जामुन खाने से क्या फायदा होता है? - What are the benefits of eating jamun
1. डायबिटीज कंट्रोल
जामुन के बीजों में एलाजिक एसिड और सुगंधित तेल पाया जाता है, जो ब्लड में शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। जामुन बीज का पाउडर डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान साबित होता है।
2. पाचन में सहायक
यह दीपनीय (पाचन शक्ति बढ़ाने वाला) और पाचनीय फल है, जो डायरिया जैसी पाचन समस्याओं में राहत देता है।
3. मूत्रसंग्रहण और मूत्र संबंधी समस्याओं में
जामुन मूत्र के रास्ते की सफाई करता है और मूत्र संबंधी विकारों में फायदेमंद होता है।
4. रक्त अतिसार में उपयोगी
जामुन के पत्ते और उनका रस रक्त अतिसार में उपयोगी माने जाते हैं।
5. मुंह के छाले और जख्मों में
जामुन की छाल के क्वाथ का उपयोग मुंह के छालों को ठीक करने और जख्म धोने के लिए किया जाता है।
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जामुन कब नहीं खाना चाहिए? - Jamun kab nahi khana chahiye
जामुन एक औषधीय फल है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका सेवन नहीं करना (When should we avoid jamun) चाहिए।
- यदि ब्लड शुगर 300 mg/dl से अधिक है, तो जामुन या कोई भी मीठा फल न खाएं।
- जिनको वात संबंधी समस्याएं जैसे जोड़ों में दर्द, गैस आदि रहती है, वे इसका सेवन सीमित करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह वात वर्धक है।
- कफ-पित्त संबंधी रोगों में जामुन लाभकारी है, लेकिन वात संबंधी विकारों में सावधानी आवश्यक है।
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एक दिन में कितने जामुन खाने चाहिए? - How many jamun can you eat in a day
स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 20 से 40 जामुन खाने की सलाह (ek din me kitne jamun khana chahiye) दी जाती है। लेकिन डायबिटीज के मरीजों को सीमा का पालन करना चाहिए।
- ब्लड शुगर सामान्य या 200 से कम है तो 20 जामुन तक खा सकते हैं।
- 200 से ऊपर शुगर लेवल हो तो 10 जामुन से अधिक न लें।
- 300 से ऊपर शुगर हो तो जामुन सेवन बिलकुल बंद करें।
जामुन खाने से कौन सी बीमारी ठीक हो सकती है? - What is Jamun used to treat
डायबिटीज: जामुन के बीजों का चूर्ण शुगर लेवल कंट्रोल करता है।
अतिसार (डायरिया): जामुन की छाल का रस और पत्तों का रस अतिसार रोकने में मदद करता है।
मुंह के छाले: जामुन की छाल के क्वाथ से छालों का उपचार होता है।
पाचन समस्याएं: कब्ज, अपच और पेट से जुड़ी अन्य शिकायतों में जामुन फायदेमंद है।
मूत्र विकार: मूत्रधारक होने के कारण मूत्राशय की सफाई में सहायक है।
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जामुन खाने का सही समय क्या है? - What is the best time to eat jamun
जामुन का सेवन भोजन के बाद 1-2 घंटे के भीतर करना बेहतर माना जाता है ताकि पाचन क्रिया पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सके। खाली पेट ज्यादा जामुन न खाएं क्योंकि इससे पेट में समस्या हो सकती है। डायबिटीज के मरीज जामुन के बीज के चूर्ण या पत्तों के रस को चिकित्सक की सलाह से दिन में दो बार लें।
जामुन की गुठली कौन-कौन सी बीमारी में काम आती है? - In which disease are jamun seeds used as medicine
जामुन की गुठली (बीज) खासकर डायबिटीज रोग में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार। इसके अलावा अतिसार के इलाज में उपयोगी है और पाचन शक्ति बढ़ाने वाली है।
जामुन की गुठली का पाउडर कब खाना चाहिए?
डायबिटीज के लिए जामुन की गुठली का पाउडर 1 से 3 ग्राम मात्रा में दिन में दो बार भोजन के बाद लिया जा सकता है। इसे पानी के साथ लेना चाहिए। इसके सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है।
जामुन किसे नहीं खाना चाहिए? - Jamun kise nahi khana chahiye
- जिनका ब्लड शुगर बहुत ज्यादा होता है।
- जो लोग वात विकारों से पीड़ित हैं, जैसे जोड़ों का दर्द, गैस, शरीर में सूजन आदि।
- जिनकी पाचन शक्ति कमजोर है और पेट संबंधी गंभीर समस्या हो।
- शुगर के मरीज जो जामुन के प्रति एलर्जी या संवेदनशीलता रखते हैं।
जामुन के पत्ते खाने से शुगर कम होती है क्या?
जी हां, जामुन के पत्तों का रस आयुर्वेद में शुगर कम करने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। पत्तों को पीसकर रस निकालकर नियमित सेवन से ब्लड शुगर कंट्रोल रहती है। इसका प्रयोग डायबिटीज मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
जामुन का आयुर्वेदिक प्रयोग और सावधानियां
जामुन का उपयोग केवल फल के रूप में ही नहीं, बल्कि इसके बीज, पत्ते और छाल का भी औषधीय रूप में किया जाता है। आयुर्वेद में इसे वात दोष बढ़ाने वाला (वात वर्धक) और कफ, पित्त को शम करने वाला माना गया है। इसलिए वात विकारों वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। जामुन की छाल के क्वाथ का उपयोग मुंह के घावों, छालों को साफ करने के लिए किया जाता है। अतिसार में इसका सेवन विशेष रूप से फायदेमंद होता है। बच्चों में अतिसार होने पर जामुन की छाल का रस बकरी के दूध में मिलाकर दिया जाता है। बिना डॉक्टर की सलाह के अधिक मात्रा में जामुन के बीज न लें।
निष्कर्ष
आयुर्वेद में जामुन को एक ऐसा फल माना गया है जो अनेक रोगों में लाभकारी है, विशेषकर डायबिटीज, अतिसार और पाचन संबंधी विकारों में। जामुन के फल, बीज, पत्ते और छाल, सभी के अपने-अपने उपयोग और फायदे हैं। परंतु इसका सेवन सावधानी से और शरीर की स्थिति को ध्यान में रखकर करना चाहिए। ब्लड शुगर के लेवल के अनुसार जामुन की मात्रा को कंट्रोल करना जरूरी है। यदि आपके शरीर में वात दोष अधिक है या आपको जोड़ों में दर्द है, तो जामुन का सेवन सीमित करें। डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही जामुन के औषधीय उपयोग को अपनाएं।
FAQ
जामुन की गुठली पेट में चली जाए तो क्या होता है?
जामुन की गुठली पेट में चली जाए तो कुछ नुकसान नहीं होता है और यह मल के रास्ते बाहर निकल जाती है। लेकिन अगर गुठली निगलने के बाद आपको किसी तरह की दिक्कत हो तो डॉक्टर से सलाह लें।जामुन का सिरका पीने से क्या लाभ होता है?
जामुन का सिरका सेहत के लिए लाभकारी होता है, खासकर डायबिटीज और पाचन की समस्याओं में जामुन के सिरके का सेवन फायदा करता है। लेकिन इसका सेवन एक्सपर्ट की सलाह अनुसार ही करें।जामुन खाने के बाद क्या चीज नहीं खानी चाहिए?
जामुन खाने के बाद ज्यादा मीठा, भारी और चिकना भोजन न लें। तली-भुनी और अधिक मसालेदार चीजें भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके अलावा जामुन खाने के तुरंत बाद दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए।