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Diabetes Kya Hai: डायबिटीज क्या है और क्यों होता है? डॉक्टर से जानें

Diabetes Kya Hota Hai: खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी डाइट और अन्य कारणों से बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों में डायबिटीज की समस्या सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं डायबिटीज क्या है और क्यों होता है? 
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Diabetes Kya Hai: डायबिटीज क्या है और क्यों होता है? डॉक्टर से जानें

Diabetes Kya Hota Hai: आज के समय में तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और खान पान में होने वाले बदलाव का सीधा असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। बढ़ती बीमारियों का असर न सिर्फ उम्रदराज लोगों पर नजर आ रही है, बल्कि ये छोटे बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहे हैं। डायबिटीज भी एक ऐसी ही गंभीर बीमारी है, जो आज के समय में काफी आम बन चुकी है। डायबिटीज में हाई ब्लड शुगर का लेवल शरीर में बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। हम अक्सर डायबिटीज को कंट्रोल करने के बारे में बात करते हैं, या इसे होने से रोकने के टिप्स एक दूसरे से शेयर करते हैं। लेकिन, डायबिटीज क्या है और यह क्यों होता है? इस बारे में बहुत कम ध्यान देते हैं। तो आइए एशियन हॉस्पिटल के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संदीप खरब से जानते हैं कि क्या है डायबिटीज और ये क्यों होता है?

डायबिटीज क्या है? - What is Diabetes in Hindi?

डॉ. संदीप खरब के अनुसार, डायबिटीज, एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से ज्यादा (diabetes kya hai in hindi) हो जाता है। यह एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है, जिसके होने का मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी या उसका सही तरीके से काम न करना हो सकता है। हमारे शरीर में इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है, जो पैंक्रियास (पेट के पीछे और छोटी आंत के पास स्थित एक अंग है) से बनता है और खाने से मिलने वाले ग्लूकोज को शरीर के सेल्स में एनर्जी के रूप में पहुंचाने का काम करता है। ऐसे में जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या फिर उस उस पर ठीक तरह से रिएक्ट नहीं कर पाता है तो ग्लूकोज सेल्स में नहीं पहुंच पाते हैं और हमारे शरीर के ब्लड में जमा होने लगते है, जो डायबिटीज का कारण (diabetes kya hota hai) बनता है। इस समस्या के कारण शरीर में एनर्जी की कमी होने लगती है और समय के साथ यह स्थिति शरीर के अन्य अंगों को भी धीरे-धीरे प्रभावित करने लगती है। अगर समय रहते डायबिटीज को कंट्रोल न किया जाए।

WHO के मुताबिक, "साल 2022 तक दुनिया भर में लगभग 830 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, जिनमें से ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। डायबिटीज से पीड़ित आधे से ज्यादा लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। पिछले दशकों में डायबिटीज से पीड़ित लोगों और बिना इलाज वाले डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। और इन 830 में से लगभग 212 मिलियन डायबिटीज के मरीज भारत में थे।"

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डायबिटीज बीमारी की पहचान अक्सर शरीर में ग्लूकोज लेवल की जांच के द्वारा पता लगाया जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, "डायबिटीज, जिसे डायबिटीज मेलेटस भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देती है। डायबिटीज का निदान फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज का लेवल 126 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर (mg/dL) या उससे ज्यादा के आधार पर किया जाता है।"

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टाइप 2 डायबिटीज क्या है? - What is Type 2 Diabetes in Hindi?

टाइप 2 डायबिटीज, मधुमेह का सबसे आम प्रकार है, जो खासकर बड़ों में पाया जाता है। लेकिन अब यह समस्याएं बच्चों और युवाओं में भी आम हो गई है। टाइप 2 डायबिटीज में शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, या शरीर के सेल्स इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रहते हैं, जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस (type 2 diabetes kya hai)कहा जाता है। इसके कारण शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। टाइप 2 डायबिटीज होने का मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, गलत खान-पान की आदतें और जेनेटिक हो सकते हैं। टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे आपके शरीर में विकसित होते हैं, जैसे बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास लगना, थकान महसूस होना, कमजोर आंखें और घाव का धीरे-धीरे भरना। हालांकि, टाइप 2 डायबिटीज को सही खानपान, वजन कंट्रोल रखने, रेगुलर एक्सरसाइज करने और डॉक्टर की सलाह पर जरूरी दवाओं के सेवन से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। डॉ. संदीप खरब के अनुसार, "टाइप 2 डायबिटीज को शुरुआती चरण में डाइट, एक्सरसाइज और जीवनशैली में बदलाव से इसे रिवर्स भी किया जा सकता है। लेकिन यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह किडनी, आंख, हृदय और नसों को नुकसान पहुंचा सकती है।"

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टाइप 1 डायबिटीज क्या है? - What is Type 1 Diabetes in Hindi?

टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पैंक्रियास की इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को खत्म (type 1 diabetes kya hai) कर देती है। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में होती है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को जीवन भर इंसुलिन इंजेक्शन लेने की जरूरत होती है। डॉ. संदीप खरब कहते हैं कि, "टाइप 1 डायबिटीज का इलाज संभव नहीं है, लेकिन इंसुलिन की नियमित मात्रा और संतुलित आहार के जरिए इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। शुरुआती पहचान से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।"

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, "2024 में, डायबिटीज से पीड़ित 9.2 मिलियन लोग इस स्थिति के साथ जी रहे थे, जिनमें से 1.8 मिलियन 20 साल से कम उम्र के थे। टाइप 1 डायबिटीज के सटीक कारण अज्ञात हैं। हालांकि, शोध से पता चलता है कि अगर परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी है तो इस स्थिति के विकसित होने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है।"

निष्कर्ष

डायबिटीज एक लाइफस्टाइल से जुड़ी क्रॉनिक बीमारी (diabetes kya hota hai) है, जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन सही खानपान, नियमित एक्सरसाइज, दवाइयों के सेवन और हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि इसके इलाज के लिए समय-समय पर आप अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करें और शरीर में होने वाले बदलावों पर नजर बनाकर रखें।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • डायबिटीज की पहचान क्या है?

    डायबिटीज की पहचान अक्सर शरीर में नजर आने वाले कुछ लक्षणों से लगाया जा सकता है, जिसमें बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा भूख लगना, थकान महसूस होना या वजन का कम होना शामिल है।
  • किसकी कमी से डायबिटीज होती है?

    डायबिटीज, मुख्य रूप से शरीर में इंसुलिन की कमी या इंसुलिन के प्रति शरीर के रिएक्ट करने में कमी के कारण होती है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। इसलिए, जब शरीर में इंसुलिन की कमी होती है या यह बेहतर तरीके से काम नहीं करता है तो शरीर में ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है, जिससे डायबिटीज होता है।
  • डायबिटीज कैसे ठीक होता है?

    डायबिटीज एक ऐसी कंडीशन है, जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। टाइप 1 डायबिटीज में, शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है, इसलिए इसे कंट्रोल रखने के लिए इंसुलिन थेरेपी की जरूरत होती है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज में, लाइफस्टाइल में बदलाव, हेल्दी खानपान और शारीरिक गतिविधियों के साथ समय पर डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन भी इसे कंट्रोल करने में मदद करता है।

 

 

 

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