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कब्ज और दस्त से लेकर बवासीर तक: जानिए आयुर्वेद के अनुसार इसबगोल के फायदे, नुकसान और उपयोग

इसबगोल, जिसे अंग्रेजी में Psyllium Husk कहा जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा में कई तरह से उपयोग किया जाता है। यहां जानिए, इसबगोल के फायदे, नुकसान और उपयोग के तरीके।
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कब्ज और दस्त से लेकर बवासीर तक: जानिए आयुर्वेद के अनुसार इसबगोल के फायदे, नुकसान और उपयोग


आज के भागदौड़ भरे जीवन में अनियमित डेली रूटीन और खराब खानपान के कारण पाचन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। कब्ज, दस्त, पेट में भारीपन, गैस और अपच जैसी समस्याएं अब आम होती जा रही हैं। विशेष रूप से फाइबर की कमी से शरीर की पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे मल त्याग में परेशानी भी होती है। ऐसे में इसबगोल (Isabgol) अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है। इसबगोल, एक प्रकार का प्राकृतिक फाइबर है जो प्लांटैगो ओवेटा नामक पौधे के बीजों से प्राप्त होता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग मुख्य रूप से कब्ज, दस्त, बवासीर और पाचन से जुड़ी अन्य समस्याओं के समाधान के रूप में किया जाता है।

आपको बता दें कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम अपने पाठकों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं, ताकि लोग आयुर्वेदिक इलाज और जड़ी-बूटियों के बारे में जान सकें। इसबगोल के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है, इस बारे में जानने के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा से बातचीत की-

इसबगोल खाने से क्या फायदा होता है? - What Is Isabgol Used For

आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, इसबगोल का पौधा पंजाब, सिंध और अन्य क्षेत्रों में पाया जाता है और इसके भूसी का उपयोग खासतौर पर स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। इसबगोल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कब्ज, दस्त, आंतों की समस्याओं और पेट के असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत करता है और आंतों को साफ करता है। इसबगोल की भूसी शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे पेट हल्का और साफ रहता है। इसबगोल का सेवन ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में भी सहायक हो सकता है।

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पेट साफ करने के लिए इसबगोल कैसे लें? - How To Drink Isabgol For Constipation

पेट को साफ करने के लिए इसबगोल का सेवन एक बेहतरीन उपाय है। इसे पानी में भिगोकर सेवन करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे इसके फाइबर तत्व बेहतर तरीके से काम करते हैं। यदि इसे बिना भिगोए लिया जाए तो यह आंतों में अवरोध पैदा कर सकता है। इसे एक गिलास पानी में 5-10 ग्राम इसबगोल की भूसी डालकर अच्छी तरह से मिला लें और इसे पी लें। यह पेट को पूरी तरह से साफ करता है और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। कब्ज की समस्या में इसबगोल का सेवन पानी के अलावा दूध के साथ भी किया जा सकता है।

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बवासीर के लिए इसबगोल का सेवन कैसे करें? - How To Take Isabgol For Piles

बवासीर के रोगियों के लिए भी इसबगोल बेहद फायदेमंद हो सकता है। इसबगोल पेट को साफ करता है और कब्ज को दूर करता है, जिससे बवासीर के लक्षणों में राहत मिलती है। इसके लिए, 5 ग्राम इसबगोल की भूसी को पानी या दूध में डालकर सेवन करें। यह बवासीर की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसबगोल की भूसी आंतों को आराम देती है, जिससे बवासीर के दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है। हालांकि, यदि किसी व्यक्ति को बवासीर के साथ गंभीर समस्या है, तो उसे डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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क्या इसबगोल को रोज लेना ठीक है? - Is Isabgol Safe For Daily Use

इसबगोल को रोजाना लेना बिल्कुल सुरक्षित है, खासतौर पर यदि आप कब्ज या पाचन संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं करता है और शरीर के लिए फायदेमंद होता है। हालांकि, यदि आप इसका सेवन लगातार कर रहे हैं और फिर भी समस्या बनी रहती है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि आप इसे रोजाना लेना चाहते हैं, तो आपको इसकी उचित मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। 5 से 10 ग्राम इसबगोल की भूसी एक दिन में पर्याप्त होती है।

इसबगोल किसे नहीं खाना चाहिए? - Who Should Avoid Isabgol

इसबगोल के बहुत सारे फायदे हैं, लेकिन कुछ लोग इसे नहीं खा सकते हैं। जिन लोगों को आंतों में सूजन, इंफ्लेमेशन या पेट में गंभीर समस्याएं (जैसे आंतों का कैंसर) हैं, उन्हें इसबगोल का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी इसबगोल का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह लें। बच्चों को भी बहुत कम मात्रा में ही इसबगोल देना चाहिए और यह उनकी उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

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इसबगोल कितने दिन तक खाना चाहिए? - How Long Can We Take Isabgol

इसबगोल का सेवन कितने दिनों तक करना चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी समस्या कितनी गंभीर है। यदि आप कब्ज के लिए इसका सेवन कर रहे हैं, तो आप इसे कुछ दिनों तक ले सकते हैं, लेकिन यदि समस्या लगातार बनी रहती है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसबगोल का सेवन नियमित रूप से किया जा सकता है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को गंभीर पाचन संबंधी समस्याएं हैं, तो उन्हें इसे डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए।

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इसबगोल का सेवन कब और कैसे करें? - What Is The Best Time To Use Isabgol

इसबगोल खाने का सही तरीका क्या है ये सभी जानना चाहते हैं, इसबगोल का सेवन सुबह या रात में किया जा सकता है। आप इसे पानी, दूध या दही के साथ ले सकते हैं, लेकिन कभी भी इसबगोल का सेवन सूखा न करें।

इसबगोल खाने के नुकसान - Isabgol Side Effects

इसबगोल का सेवन सामान्यतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन अगर इसका अत्यधिक सेवन किया जाए तो कुछ नुकसान हो सकते हैं। अत्यधिक मात्रा में इसबगोल का सेवन पेट में ऐंठन की समस्या उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा, अगर पर्याप्त पानी का सेवन नहीं किया जाता है तो यह आंतों में रुकावट भी पैदा कर सकता है।

इसबगोल कौन-कौन सी बीमारी में काम आता है?

इसबगोल कब्ज, अतिसार (दस्त), बवासीर और आंतों के इंफ्लेमेशन जैसी समस्याओं में फायदेमंद है।

क्या इसबगोल आंतों को साफ करता है? - Does Psyllium Husk Cleanse The Colon

हां, इसबगोल का सेवन आंतों को साफ करने में मदद करता है। इसमें हाई फाइबर होता है, जो आंतों की सफाई और पाचन को सुधारने में सहायक होता है। यह मल को नरम बनाता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसके अलावा, इसबगोल आंतों में जमा अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है, जिससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं।

निष्कर्ष

इसबगोल बेहद लाभकारी होता है। इसकी भूसी में मौजूद फाइबर न केवल कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं को दूर करता है, बल्कि आंतों की सफाई, मल को कंट्रोल करने और पाचन क्रिया को संतुलित रखने में भी सहायक होता है। बवासीर, जीर्ण अतिसार, प्रवाहिका जैसे रोगों में इसका नियमित सेवन लाभकारी हो सकता है। हालांकि, इसका सेवन करते समय कुछ सावधानियों का पालन जरूरी है जैसे इसे हमेशा पानी या दूध में भिगोकर ही लेना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और गंभीर आंतों की बीमारियों में डॉक्टर से परामर्श लेना।

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