आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खानपान, नींद की कमी और लगातार बढ़ता मानसिक तनाव हमारे शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल असंतुलन को जन्म देता है। इन्हीं में से एक आम लेकिन गंभीर समस्या है थायराइड। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है। थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है और जब इसमें गड़बड़ी होती है तो इसका असर पूरे शरीर पर दिखाई देता है, जैसे वजन का बढ़ना या घटना, बहुत ज्यादा थकावट, मूड स्विंग्स, बाल झड़ना, अनियमित पीरियड्स और दिल की धड़कन में बदलाव आदि। थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है और दोनों ही स्थितियां शरीर के भीतर गंभीर असंतुलन पैदा कर सकती हैं।
ऐसे में लोग अक्सर नेचुरल उपायों की ओर रुख करते हैं ताकि बिना साइड इफेक्ट के बीमारी को कंट्रोल किया जा सके। इन्हीं उपायों में से एक है लौकी का जूस। इस लेख में जयपुर में स्थित Angelcare-A Nutrition and Wellness Center की निदेशक, डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन से जानिए, क्या थायराइड में लौकी का जूस फायदेमंद होता है?
क्या थायराइड में लौकी का जूस फायदेमंद होता है? - Lauki Juice For Thyroid
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन बताती हैं कि थायराइड हार्मोन सीधे मेटाबॉलिक क्रिया को प्रभावित करता है। लौकी का जूस शरीर को हल्का रखता है और पाचन को बेहतर बनाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म बैलेंस बना रहता है। इसके अलावा लौकी का रस शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। थायराइड मरीजों के लिए यह बहुत जरूरी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। लौकी (Bottle Gourd) एक हल्की सब्जी है, इसमें पानी की मात्रा लगभग 92 प्रतिशत से अधिक होती है और यह फाइबर के साथ कई जरूरी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती है।
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लौकी का जूस एक सहायक उपाय हो सकता है लेकिन यह थायराइड का एकमात्र समाधान नहीं है। इसके साथ बैलेंस डाइट, नियमित योग, पर्याप्त नींद और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा जरूरी है।
1. वजन कंट्रोल
हाइपोथायराइडिज्म में वजन तेजी से बढ़ता है। लौकी का जूस कम कैलोरी और हाई फाइबर होने की वजह से वजन कंट्रोल रखने में मदद करता है।
2. तनाव कम करे
थायराइड मरीजों में मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन आम लक्षण हैं। लौकी में मौजूद अमीनो एसिड मूड को बेहतर करते हैं और तनाव कम करते हैं।
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लौकी का जूस कब और कैसे पीना चाहिए? - When and how to drink gourd juice
- सुबह खाली पेट ताजा लौकी का जूस पीना सबसे ज्यादा फायदेमंद (Which is the best time to drink lauki juice) माना गया है।
- आधा से एक गिलास मात्रा पर्याप्त होती है।
- लौकी के जूस में थोड़ी मात्रा में नींबू का रस या पुदीना मिलाकर इसका स्वाद और गुण बढ़ाया जा सकता है।
- ध्यान रहे कि हमेशा ताजी, कड़वाहट रहित और हरी लौकी का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि कड़वी लौकी टॉक्सिक (What are the precautions for bottle gourd juice) हो सकती है।
लौकी का जूस किन लोगों को नहीं पीना चाहिए? - Who should not drink bottle gourd juice
- जिनकी पाचन क्रिया बहुत कमजोर हो या गैस की समस्या हो, वे लौकी का जूस सीमित मात्रा में लें।
- डायबिटीज के मरीज डॉक्टर से परामर्श लेकर ही सेवन करें।
- अगर लौकी जरा भी कड़वी लगे तो उसका जूस न बनाएं, इससे सेहत को नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष
थायराइड जैसी समस्याओं में लौकी का जूस एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय हो सकता है, लेकिन इसे सही तरीके से और संतुलित मात्रा में लेना जरूरी है। यह जूस थायराइड के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। अगर आप भी थायराइड की समस्या से जूझ रहे हैं और कोई नेचुरल उपाय तलाश रहे हैं, तो लौकी का जूस आपके लिए एक सरल और असरदार विकल्प हो सकता है, बशर्ते आप इसे एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह के साथ अपनाएं।
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FAQ
लौकी का जूस पीने से क्या-क्या फायदे होते हैं?
लौकी का जूस शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। यह शरीर को ठंडक देता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है। यह जूस वजन घटाने में मदद करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है और फाइबर अधिक होता है। यह लिवर को डिटॉक्स करता है, यूरिन संबंधित समस्याओं में राहत देता है और शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।लौकी का जूस हफ्ते में कितने दिन पीना चाहिए?
लौकी का जूस रोजाना या सप्ताह में कम से कम 4 से 5 दिन तक पिया जा सकता है, लेकिन यह आपकी शारीरिक प्रकृति और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। यदि आपकी पाचन शक्ति मजबूत है और आपको लौकी से एलर्जी नहीं है तो आप इसे सुबह खाली पेट 100-150ml की मात्रा में पी सकते हैं। लेकिन स्वाद कड़वा हो या लौकी कटी-फटी हो तो उसका जूस नहीं पीना चाहिए क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकता है।क्या थायराइड में लौकी खा सकते हैं?
हां, थायराइड के मरीज लौकी खा सकते हैं। लौकी एक हल्की, सुपाच्य और ठंडी तासीर वाली सब्जी है जो शरीर में पित्त और कफ को संतुलित करती है। यह थायराइड खासकर हाइपोथायराइडिज्म के मरीजों के लिए फायदेमंद मानी जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म सुधारने, वजन कंट्रोल रखने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है। परंतु किसी भी विशेष अवस्था में डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेकर ही डाइट में शामिल करें।