आयुष क्वाथ काढ़े का ज्यादा सेवन है लिवर के लिए नुकसानदायक? मंत्रालय ने 3 हर्ब्स के लिए जारी किया प्रोटोकॉल

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अगर आप आयुष क्वाथ काढ़ा ले रहें हैं, तो आपको जानना चाहिए कि इसे लेना आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
आयुष क्वाथ काढ़े का ज्यादा सेवन है लिवर के लिए नुकसानदायक? मंत्रालय ने 3 हर्ब्स के लिए जारी किया प्रोटोकॉल


कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए ज्यादातर लोगों का ध्यान अपनी इम्यूनिटी को बूस्ट करने पर है। जैसे कि लोग काढ़ा पी रहे हैं और इम्यूनिटी बूस्टर हर्ब्स और मसाले आदि का सेवन कर रहे हैं। पर प्रश्न ये है कि क्या जैसे दालचीनी, लौंग, शुंठी और तुलसी आदि से बनी चीजों को रेगुलर लेना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। आयुष क्वाथ कुछ सामान्य जड़ी बूटियों से बना है जिनका उपयोग ज्यादातर लोग कर रहे हैं। ज्यादातर लोग सुबह-शाम इसे चाय के रूप में पी रहे हैं। पर क्या इसे रेगुलर लेना लिवर के लिए नुकसानदायक है? इसे लेकर आइए जानते हैं आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन्स और कुछ हर्ब्स के लिए जारी किए गए प्रोटोकॉल। पर सबसे पहले जान लेते हैं किन चीजों से बना है आयुष क्वाथ?

Inside1herbs

किन चीजों से बना है आयुष क्वाथ (Ayush kwath)

  • -तुलसी 
  • -दालचीनी 
  • -गुडुची या गिलोय
  • -अश्वगंधा 
  • -पिप्पली
  • -सोंठ
  • - नींबू का रस

मंत्रालय के अनुसार, COVID-19 के खिलाफ आपकी प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मदद करने के लिए काढ़े का रोजाना एक या दो बार सेवन किया जा सकता है।आयुष क्वाथ को आप चाय या गर्म पानी के साथ ले सकते हैं।

क्या आयुष क्वाथ काढ़े का ज्यादा सेवन लिवर के लिए नुकसानदायक है?

आयुष क्वाथ काढ़े को लेकर आयुष मंत्रालय ने अपने प्रोटोकॉल्स में कहा कि आयुष क्वाथ काढ़ा लिवर के लिए नुकसानदेह नहीं है। ऐसा इसलिए कि जिन आयुर्वेदिक हर्ब्स से आयुष क्वाथ बना है वो चीजें हमारे रसोई में मसालों के रूप में रेगुलर इस्तेमाल होते हैं। आयुष मंत्रालय जारी प्रोटोकॉल्स में इसे लेकर बताया गया कि काढ़ा आम तौर पर कई पारंपरिक जड़ी-बूटियों और मसालों के मिश्रण से बनाया जाता है और प्रतिरक्षा के साथ-साथ समग्र स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। पर आयुर्वेदिक डॉक्टर नीलेश निगम की मानें, तो  महामारी की शुरुआत के बाद से, अनगिनत लोगों ने दिन में कई बार काढ़ा का सेवन करना शुरू कर दिया जो कि नुकसानदेह हो सकता है।  दरअसल, इम्यूनिटी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक काढ़े में आमतौर पर कालीमिर्च, सोंठ, दालचीनी, पीपली, गिलोय, हल्दी, अश्वगंधा जैसी औषधियों का प्रयोग होता है, जो कि गर्म तासीर वाली चीजें हैं और इनसे शरीरा का पीएच लेवल बिगड़ सकता है। साथ ही इससे कई परेशानियां हो सकती हैं

इसलिए रोज काढ़े को मात्रा 50 मिली से अधिक न लें और इसे पानी मिला कर लें। इस तरह आयुष मंत्रालय ने इस दावे को खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने घोषणा की कि यह एक गलत धारणा है कि काढा के सेवन से लिवर खराब हो जाते हैं।

Inside3ashwagandha

इसे भी पढ़ें : कई रोगों को दूर करता है शाल (साल) का पेड़, आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके 8 जबरदस्त फायदे

1. गुडुची या गिलोय

गुडुची या गिलोय, आयुर्वेद में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटियों में से एक है। ये एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि वायरल फिवर में प्रभावी तरीके से काम करता है। इसकी खास बात ये है कि ये फेफड़ों के रोगों से बचने में मदद करता है। गिलोय का सेवन करने से ये बुखार, अर्थराइटिस, अपच में फायदेमंद है। लेकिन ज्यादा इस्तेमाल कई परेशानियों का कारण भी बन सकता है। जैसे कि गिलोय का ज्यादा सेवन करने से कई बार ये कब्ज की समस्या पैदा करता है। साथ ही ये लोग ब्लड शुगर वालों के लिए भी नुकसानदेह है, क्योंकि ये ब्लड शुगर को और कम कर देता है। इसके अलावा इसके रेगुलर सेवन से भी बचें। 

2. अश्वगंधा 

अश्वगंधा मानसिक बीमारियों से लेकर एनर्जी बूस्ट करने में भी मदद करता है। ये एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी स्ट्रेस और  एंटीवायरल गुणों से भरपूर है। ये तनाव को कम करता है। पर इसे थोड़ी ही मात्रा में लेना चाहिए और रेगुलर बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।इस जड़ी बूटी को सिर्फ 100 एमजी अमाउंट में ही लें और एक बार से ज्यादा न लें। अश्वगंधा की जड़ों को पानी में मिला कर एक पेस्ट बनाएं और फिर उसका इस्तेमाल करें। इसके ज्यादा सेवन से  एसिडिटी, गैस्ट्रिक, एलर्जी, रैशेज ,एंजाइटी आदि की समस्या हो सकती हैं। साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं को या ह्रदय रोगियों को इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सुझाव ले लें।

3. पिप्पली

पिप्पली लंबा और काले रंग का एक मसाला है, जिसका स्वाद काली मिर्च तरह होता है। ये एंटीवायरल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों की भरमार है, जो कि कफ, पित्त और वात में बहुत फायदेमंद है। पर ये गर्म तासीर वाला है, जो कि पेट के लिए नुकसादेह हो सकता है। इसका ज्यादा सेवन गैस और बदहजमी की परेशानी हो सकती है। साथ ही गर्मी के मौसम में इसे ज्यादा लेने से ये एलर्जी और खुशबू का कारण बन सकता है। 

Inside2giloy

4. सोंठ 

सोंठ, सूखी अदरक यानि ड्राई जिंज गले की खराश को दूर करता है और फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमंद है।  सोंठ को दूध में मिला कर पीने से कुछ ही दिनों में गले की खराश गायब हो सकती है. सोंठ गले के इंफेक्‍शन से भी राहत दिलाने में फायदेमंद है। कुछ लोग काढ़ें में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके चलते भी कहा जाता है कि सोंठ लंग्स के लिए बहुत फायदेमंद है। पर सोंठ असल में गर्म तासीर वाला है, जो कि पेट में जलन और गैस का कारण बन सकता है। इसलिए इन गर्म तासीर वाली चीजों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। 

इसे भी पढ़ें : काली हल्दी से सेहत को मिलते हैं ये 8 फायदे, जानें प्रयोग का तरीका

लोग सोचते हैं कि ऐसी जड़ी-बूटियां शरीर को नुकसान नहीं पहुँचा सकती। हालांकि, वास्तव में, काढ़ा या किसी भी चीज के अधिक सेवन से कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि अत्यधिक ब्लीडिंग, पाचन संबंधी समस्याएं, एसिडिटी, पेशाब करने में समस्या, मुंह में फोड़े, नाक से खून आना।इसलिए आयुष क्वाथ काढ़े को लेकर एक बात हम सबको समझनी होगी कि ये काढ़ा जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनता है और काफी गर्म होता है। ये शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकते हैं, जो अंततः हानिकारक स्वास्थ्य प्रभाव पैदा कर सकते हैं। साथ ही के बार-बार सेवन से शरीर में सूजन हो सकता है। साथ ही ये कुछ लोगों में गैस्ट्रो-एसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षणों को पैदा करता है। कड़ा पानी नहीं है कि आप दिन में दो या तीन बार इसे जब मन आए ले लें। इसलिए ऐसी जड़ी-बूटियों को लेने से बचें।

Read more articles on Ayurveda in Hindi

Read Next

कलौंजी के बीजों का सही प्रयोग करने से कंट्रोल हो सकती हैं ये 9 बीमारियां, जानें इस्तेमाल का तरीका

Disclaimer