
Ayurvedic Tips for Immunity: सर्दियों का मौसम आते ही लोगों को सर्दी-जुकाम से लेकर जोड़ों का दर्द और थकान महसूस होने लगती है, ऐसे में सवाल उठता है कि सर्दियों में शरीर को अंदर से मजबूत कैसे रखा जाए? शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने और हार्मोन को बैलेंस रखने के लिए आयुर्वेदिक तरीके अपनाए जा सकते हैं। सर्दियों में कौन सी चीजों का इस्तेमाल करके इम्युनिटी बढ़ाई जा सकती है, जानने के लिए हमने Dr. Shrey Sharma, Ayurveda Expert, Ramhans Charitable Hospital, Haryana से बात की। उन्होंने सर्दियों में इन 7 चीजों का इस्तेमाल करने की जरूरत पर जोर दिया है।
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इम्युनिटी बढ़ाने और हार्मोन बैलेंस के लिए 7 आयुर्वेदिक चीजें
डॉ. श्रेय कहते हैं,”आयुर्वेद के अनुसार, सर्दी का मौसम शरीर को रसायन और बल देने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। अगर कुछ खास चीजें सही तरीके से और सही मात्रा में रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल की जाएं, तो न सिर्फ इम्युनिटी मजबूत होती है बल्कि हार्मोनल बैलेंस भी बेहतर रहता है।”

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स्वर्ण भस्म
आयुर्वेद में अगर किसी एक चीज को सबसे ऊपर रखा गया है, तो वह है स्वर्ण भस्म। स्वर्ण भस्म को आयुर्वेद में रसायन माना गया है, यानी ऐसी औषधि जो शरीर में सेल रीजनरेशन, इम्युनिटी और एजिंग प्रोसेस को कंट्रोल करने में मदद करती है। माना जाता है कि यह शरीर में जमी हुई अशुद्धियों को भी कम करने में मदद करता है। हालांकि डॉ. श्रेय कहते हैं कि स्वर्ण भस्म लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि यह बहुत ही पॉवरफुल आयुर्वेदिक औषधि है।
शिलाजीत
स्वर्ण भस्म के बाद अगर किसी चीज को सबसे प्रभावी माना जाता है, तो वह है शिलाजीत। शिलाजीत हजारों सालों में पहाड़ों में दबे पेड़-पौधों और जीवों से बनने वाला प्राकृतिक रसायन है। शिलाजीत लेने से ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है, किडनी और ब्लैडर के फंक्शन को सपोर्ट करता है, शरीर को अंदर से ताकत देता है और यूरोजेनेटिक हेल्थ को मजबूत करता है। डॉ. श्रेय कहते हैं कि मार्केट में सिंथेटिक शिलाजीत बहुत मिल रहे हैं, जो लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए शिलाजीत लेने से पहले डॉक्टर से असली और नकली की पहचान जरूर करा लें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वर्ण भस्म और शिलाजीत दोनों ही ब्लड सर्कुलेशन को बहुत इंप्रूव करते हैं और ताकत देते हैं। इसलिए सर्दियों में इन दोनों को खाया जा सकता है।
आंवला
आंवला को आयुर्वेद में श्रेष्ठ रसायन माना गया है। आंवला पंचरस से युक्त होता है। सबसे जरूरी बात यह है कि आंवले में लवण नहीं होता और पंचस के कारण आंवला शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करता है। यह विटामिन C से भरपूर होता है, जो इम्युनिटी मजबूत करता है, एजिंग के प्रभाव को धीमा करता है और सेल्स की लोंजिविटी बढ़ाता है। सर्दियों में आंवला मुरब्बा, चूर्ण या जूस के रूप में लिया जा सकता है।
अश्वगंधा
अश्वगंधा को आयुर्वेद का एक बेहतरीन नर्व टॉनिक माना जाता है। अश्वगंधा की सबसे खास बात यह है कि इसकी तासीर न तो ठंडी होती है और न ही गर्म। इसे विथानिया सोम्नीफेरा भी कहा जाता है। अश्वगंधा लेने वाले इंसान में बुढ़ापा नहीं आता। इससे मसल्स को मजबूती मिलती है, लेकिन इसमें स्टेरॉयडल इफेक्ट वाला नहीं है। नर्व टॉनिक होने के कारण स्ट्रेस कम होता है, नींद अच्छी होती है और हार्मोनल बैलेंस में मदद करता है। सर्दियों में जब शरीर को ज्यादा आराम और रिकवरी की जरूरत होती है, तब अश्वगंधा खासतौर पर सेहतमंद माना जाता है।
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हल्दी
हल्दी को आयुर्वेद में उष्णवीर्य माना गया है, यानी इसकी तासीर गर्म होती है। हल्दी को बहुत अच्छा इम्यूनोमलेटर और एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। हल्दी खाने से इम्युनिटी अच्छी होती है, शरीर में किसी भी तरह की इंफेक्शन होने से बचाती है, कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकने में भी मदद करती है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती है। सर्दियों में हल्दी वाला दूध या भोजन में हल्दी का सही इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है।
सोंठ (सूखी अदरक)
सोंठ यानी सूखी अदरक को आयुर्वेद में अग्नि दीपक कहा गया है। सोंठ अग्नि बल देने के अलावा धातुवर्धन भी करती है। यह डाइजेशन को मजबूत करती है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाती है। सोंठ से वात दोष संतुलित होता है और सर्दियों में ठंड से होने वाली सुस्ती को कम करती है।
तिल
आयुर्वेद के अनुसार, तिल उष्णवीर्य होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सर्दियों में ही करना चाहिए क्योंकि तिल मेलेनिन को बढ़ाता है। अगर तिल के तेल से रेगुलर मालिश की जाए, तो स्किन का कलर डार्क हो जाता है, लेकिन तिल का तेल बॉडी के मसल्स को बहुत ताकत देता है। डॉ. श्रेय कहते हैं कि तिल वात शामक है और पित्तवर्धक है, इसलिए इसका सोचकर इस्तेमाल करना चाहिए।
देसी घी
शुद्ध गाय का देसी घी आयुर्वेद में विशेष महत्व रखता है। देसी घी शरीर के गहरे टिश्यू तक पोषण पहुंचाने का काम करता है। हालांकि, आजकल मिलावट का खतरा ज्यादा है, इसलिए घी विश्वसनीय स्रोत या डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए। डॉ. श्रेय कहते हैं कि जब देसी घी को दो-तीन बार गर्म किया जाता है, तो पॉम ऑयल इससे अलग हो जाता है, लेकिन सही जगह से ही देसी घी लेना चाहिए। देसी घी दवाओं और जड़ी-बूटियों के प्रभाव को शरीर में बेहतर तरीके से पहुंचाने में भी मदद करता है।
बाजरा
आयुर्वेद के अनुसार, बाजरा शरीर में सूखापन ला देता है, इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए। बाजरा थोड़ा गर्म और भारी होता है, इसलिए खासतौर पर डायबिटीज रोगियों को इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
गुड़
गुड़ त्रिदोष शामक होता है और इसमें अच्छा एंजामेटिक एक्शन है। जिन लोगों को डायबिटीज 200 के पार है, उन्हें डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। गुड़ का इस्तेमाल सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। गुड़ खाने के बाद थोड़ी मात्रा में लिया जाए तो डाइजेशन में मददगार हो सकता है।
निष्कर्ष
सर्दियों में इम्युनिटी और हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने के लिए आयुर्वेद के इन उपायों को अपनाया जा सकता है। हालांकि स्वर्ण भस्म, शिलाजीत, अश्वगंधा जैसी औषधियों का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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FAQ
सर्दियों में गुड़ खाने के क्या फायदे हैं?
गुड़ गर्म तासीर वाला का होता है और एक बेहतरीन नेचुरल एनर्जी बूस्टर है। गुड़ में थर्मोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर को तापमान को मेंटेन रखता है। इसमें मौजूद जिंक, सेलेनियम और एंटीऑक्सिडेंट्स इंफेक्शन से बचाता है।सर्दियों में शिलाजीत कैसे खाएं?
मटर के दाने के बराबर शिलाजीत को गुनगुने पानी या दूध में घोलकर नाश्ते से पहले खाली पेट ले सकते हैं। शिलाजीत लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।क्या सर्दियों में घी खाना अच्छा है?
सर्दियों में शरीर को अपना तापमान बनाए रखने के लिए ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। घी में मौजूद हेल्दी फैट शरीर में गर्मी उत्पन्न करती है, जिससे ठंड के महीनों में शरीर को गर्म रखने में मदद मिलती है।
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Dec 18, 2025 16:31 IST
Published By : Aneesh Rawat