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अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग क्यों जरूरी है? एक्‍सपर्ट से जानें फायदे और इसे करने का सही तरीका

Stretching in Arthritis: अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग जोड़ों की जकड़न को कम करती है, लचीलापन बढ़ाती है और दर्द से राहत दिलाकर मूवमेंट को आसान बनाती है।
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अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग क्यों जरूरी है? एक्‍सपर्ट से जानें फायदे और इसे करने का सही तरीका


अर्थराइटिस यानी जोड़ों की सूजन एक आम लेकिन तकलीफदेह बीमारी है, जो बढ़ती उम्र के साथ कई लोगों को घेर लेती है। इसके कारण जोड़ो में दर्द, अकड़न और चलने-फिरने में दिक्कत होती है। दवाओं और फिजियोथेरेपी के साथ-साथ कुछ खास एक्सरसाइज भी इस दर्द को कम करने में मदद करती हैं, जिनमें स्ट्रेचिंग एक बेहद जरूरी हिस्सा है। ज्‍यादातर लोग मानते हैं कि आराम करने से जोड़ ठीक होंगे, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि हल्की-फुल्की मूवमेंट और स्ट्रेचिंग करने से जोड़ों का मूवमेंट बना रहता है और सूजन भी कम होती है।
लखनऊ के व‍िकास नगर की फ‍िटनेस एक्‍सपर्ट पायल अस्‍थाना ने बताया क‍ि स्ट्रेचिंग से न केवल मांसपेशियां मजबूत होती हैं, बल्कि लचीलापन भी बढ़ता है, जिससे व्यक्ति आसानी से उठ पाता है और चल पाता है या काम कर पाता है। सुबह उठते ही अगर शरीर में जकड़न महसूस हो रही हो, तो हल्की स्ट्रेचिंग, मांसपेश‍ियों के कठोरपन को दूर करने में कारगर हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग क्यों जरूरी है, इसके फायदे क्या हैं और इसे करने का सही तरीका क्या है।

अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग क्यों जरूरी है?- Importance of Stretching in Arthritis

अर्थराइटिस में जोड़ धीरे-धीरे जकड़ने लगते हैं और उनकी मूवमेंट सीमित हो जाती है। अगर नियमित रूप से स्ट्रेचिंग न की जाए, तो यह अकड़न परमानेंट हो सकती है। स्ट्रेचिंग से जोड़ लचीले बने रहते हैं, जिससे व्यक्ति अपने डेली एक्टिव‍िटीज जैसे बैठना, खड़े होना या सीढ़ियां चढ़ना आसानी से कर पाता है। इसके अलावा यह ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है, जिससे जोड़ों में सूजन कम होने में मदद मिलती है।

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अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग के फायदे- Benefits of Stretching in Arthritis

  • नियमित स्ट्रेचिंग से ज्‍वॉइंट्स की फ्लेक्सिबिलिटी बनी रहती है, जिससे उनमें मोशन की क्षमता बनी रहती है।
  • स्ट्रेचिंग से एंडोर्फिन (Endorphins) रिलीज होते हैं जो नेचुरल पेन रिलीवर का काम करते हैं।
  • स्ट्रेचिंग, मसल्‍स को मजबूत करता है जिससे ज्‍वॉइंट्स पर लोड कम पड़ता है।
  • स्ट्रेचिंग शरीर का पॉश्चर सुधारती है जिससे रीढ़ और घुटनों पर तनाव कम होता है।
  • बुजुर्गों में स्ट्रेचिंग, मोबिलिटी बनाए रखने में मदद करती है।

अर्थराइटिस में स्ट्रेचिंग का सही तरीका- Right Way to Do Stretching in Arthritis

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  • स्ट्रेच करने से पहले शरीर को हल्का गर्म करना जरूरी है। इसके लिए 5 मिनट की वॉक या हाथ-पैरों की हल्की मूवमेंट करें।
  • स्ट्रेचिंग धीरे-धीरे और बिना किसी झटके के करें। तेजी से करने पर मांसपेशियों को चोट लग सकती है।
  • हर स्ट्रेच को करते समय गहरी सांस लें और छोड़ें। यह शरीर को रिलैक्स करने में मदद करता है।
  • हर पोजीशन को 20-30 सेकंड तक होल्ड करें।
  • अगर किसी स्ट्रेच से दर्द हो रहा है, तो तुरंत रुक जाएं और शरीर के साथ जबरदस्‍ती न करें।

अर्थराइटिस में कौन-कौन सी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें?- Stretching Exercises For Arthritis

  • नेक स्ट्रेच: गर्दन को धीरे-धीरे दाएं-बाएं घुमाएं।
  • शोल्डर रोल: कंधों को आगे और पीछे की दिशा में घुमाएं।
  • वॉल हैंड स्ट्रेच: दीवार पर हाथ रखकर स्ट्रेच करें जिससे कलाई और कोहनी को राहत मिले।
  • हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच: बैठकर एक पैर सीधा फैलाएं और उस पर झुकें।
  • काफ स्ट्रेच: दीवार के सहारे पैर पीछे करके काफ मसल्‍स को स्ट्रेच करें।

ये सभी स्ट्रेचिंग के प्रकार, जॉइंट्स की जकड़न को दूर करने में मदद करती हैं और इन्हें घर पर आराम से किया जा सकता है।

अर्थराइटिस में स्‍ट्रेच‍िंग करने के दौरान किन बातों का ध्‍यान रखें?- Precautions While Doing Stretching in Arthritis

  • हमेशा डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह से ही स्ट्रेचिंग शुरू करें।
  • अगर किसी एक्सरसाइज से शरीर में सूजन या ज्यादा दर्द हो, तो उसे तुरंत बंद कर दें।
  • कोई भी स्ट्रेच अचानक न करें।
  • बैलेंस का ध्यान रखें, फर्श पर एक्सरसाइज करते समय योग मैट का इस्‍तेमाल करें।
  • नियमितता जरूरी है, लेकिन शरीर पर जोर न दें।

सही गाइडेंस और सावधानी के साथ की गई स्ट्रेचिंग से अर्थराइटिस के लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।नियमित रूप से इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और अपने जोड़ों को फिर से एक्‍ट‍िव बनाएं।

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FAQ

  • क्या स्ट्रेचिंग से गठिया ठीक हो सकता है?

    स्ट्रेचिंग से गठिया पूरी तरह ठीक नहीं होता, लेकिन इससे दर्द, जकड़न और सूजन को कम कि‍या जा सकता है। यह जोड़ों का लचीलापन और मूवमेंट को बेहतर बनाकर, बीमारी में सुधार करता है।
  • गठिया में कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए?

    गठिया में लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज जैसे वॉकिंग, स्विमिंग, साइक्लिंग, स्ट्रेचिंग और रेजिस्टेंस बैंड वर्कआउट फायदेमंद होती हैं। ये जोड़ों पर दबाव डाले बिना मूवमेंट को बेहतर बनाती हैं।
  • अर्थराइटिस के लिए कौन सा योग करना चाहिए?

    अर्थराइटिस में ताड़ासन, वज्रासन, भुजंगासन, बालासन और मकरासन जैसे हल्के योग, जोड़ों की जकड़न को दूर करने और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इन्हें धीमी गति और सावधानी के साथ करें।

 

 

 

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  • Oct 13, 2025 08:07 IST

    Published By : Yashaswi Mathur

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