Negative Effects Of Overstretching In Hindi: जिस तरह से दिनों दिन डेस्क जॉब बढ़ रही है, ऐसे में ज्यादातर लोगों को एक ही जगह बैठे-बैठे पूरा दिन बीत जाता है। इस वजह से लोगों में मोटापा, डायबिटीज और थायराइड जैसी मेडिकल कंडीशन बढ़ रही है। विशेषज्ञों की मानें, तो हर व्यक्ति के लिए वेट कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है। ऐसा कैसे किया जा सकता है? इसके लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करना होता है। लेकिन, मौजूदा समय में हर कोई बहुत बिजी रहता है। अच्छी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज करने का टाइम की कमी के कारण लोग ऐसा कम ही कर पाते हैं। फिर भी कुछ लोग खुद को एक्टिव रखने के लिए स्ट्रेचिंग करते हैं। स्ट्रेचिंग करने से मसल्स खुलती हैं, स्वेलिंग में कमी आती है और जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है। लेकिन, कभी-कभी कुछ लोग फिजीकली फिट रहने के लिए ओवरस्ट्रेचिंग कर बैठते हैं। ओवरस्ट्रेचिंग करने से कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। स्ट्रेचिंग करने की वजह से किस-किस तरह की परेशानी हो सकती है, आइए जानते हैं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और हिलिंग टच क्लीनिक के ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर अभिषेक वैश से।
ओवरस्ट्रेचिंग करने के नुकसान- Side Effects Of Overstretching In Hindi
मसल्स स्ट्रेन बढ़ता है
स्ट्रेचिंग से न सिर्फ जोड़ों को बल्कि मसल्स को भी लाभ होता है। लेकिन, अगर आप ओवर स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इसकी वजह से मसल्स स्ट्रेन बढ़ने लगता है। इससे स्वेलिंग, दर्द और मसल्स में कमजोरी भी होने लगती है। आपको बता दें कि अगर आप ओवर स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इससे मसल्स को जो दिक्कतें हांगी, इसकी वजह से आप लंबे समय तक स्ट्रेचिंग और वर्कआउट नहीं कर सकेंगे। यह सिचुएश सही नहीं है।
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मोच आ सकती है
ओवर स्ट्रेचिंग करने से पैरों में मोच भी आ सकती है। असल में, ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से लिगामेंट्स और जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। ऐसे में सूजन और दर्द तो होने लगता है। साथ ही मोच भी आने का रिस्क बना रहता है। ध्यान रखें कि मोच आने की वजह से जोड़ों में दर्द होने लगत है, जिससे बैलेंसिंग की दिक्कत भी ट्रिगर हो जाती है।
मांसपेशियों में कमजोरी
ओवर स्ट्रेचिंग की वजह से मांसपेशियां बहुत कमजोर हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब आप ओवर स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इसकी वजह से मांसेपिशयां चोटिल हो जाती हैं या टियर हो जाती हैं। इससे मसल्स फाइबर में डिसरप्शन पैदा हो जाता है, जिससे उनके कॉन्ट्रैक्शन की क्षमता कमजोर हो जाती है। इस स्थिति में न सिर्फ मसल्स पेन शुरू हो जाता है, बल्कि मूवमेंट करने में भी दिक्कतें आती हैं। साथ ही, ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से स्ट्रेंथ में भी कमी आती है।
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क्रॉनिक पेन
ओवर स्ट्रेचिंग करने से क्रॉनिक पेन भी बढ़ जाता है। असल में, जब आप नियमित रूप से एक ही तरह के स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इससे शरीर का कोई एक हिस्स प्रभावित होने लगता है। अगर उसे रिकवरी के लिए समय न दिया जाए या पर्याप्त रेस्ट न किया जाए, तो न सिर्फ बॉडी पेन बढ़ सकता है। इसके साथ-साथ वह दर्द क्रॉनिक भी हो सकता है। इससे बार-बार इंजुरी होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। ऐसी सिचुएशन में चलना-फिरना भी मुश्किल हो सकता है।
ज्वाइंट पर स्ट्रेस
ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से ज्वाइंट पर स्ट्रेस भी बढ़ने लगता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अगर आप ओवर स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इससे ज्वाइंट डिजनरेशन की दिक्कत हो सकती है। आपको बता दें कि ज्वाइंट डिजनरेशनस का मतलब होता है ओस्टियोपोरोसिस। इस बीमरी के कारण धीरे-धीरे कार्टिलेज ब्रेकडाउन होने लगता है, जिससे टिश्यूज से जुड़ी दूसरी समस्याएं शुरू जाती हैं। जैसे ज्वाइंट स्टिफनेस यानी जोड़ों में अकड़न और मूवमेंट करने में दिक्कतें आना आदि।
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FAQ
ज्यादा स्ट्रेचिंग करने से क्या होता है?
स्ट्रेचिंग करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं, जैसे फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है, मसल्स स्ट्रेंथ बढ़ती है। यही नहीं, स्ट्रेचिंग करने से बैलेंसिंग में सुधार होता है।क्या स्ट्रेचिंग से वास्तव में हाइट बढ़ती है?
वैसे तो हाइट कई अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे जींस और अन्य एन्वायरमेंटल फैक्टर। हां, रेगुलर एक्सरसाइज जैसे जंपिंग, स्किपिंग से भी हाइट बढ़ने में मदद मिलती है। जहां तक सवाल इस बात का है कि स्ट्रेचिंग से हाइट बढ़ती है या नहीं, इस बारे में एक्सपर्ट्स कहते हैं कि स्ट्रेचिंग की मदद से आप हाइट बढ़ाने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह हाइट बढ़ाने का कोई स्थाई तरीका नहीं है। यह मसल्स को मजबूती देता है और ज्वाइंट पेन से राहत दिलाता है।स्ट्रेच कब नहीं करना चाहिए?
अगर आपको ज्वाइंट पेन है, हड्डियां और मांसपेशियों में चोट लगी हुई है, तो स्ट्रेचिंग न करें। इससे आपका दर्द ट्रिगर हो सकता है।