स्ट्रेचिंग करना बॉडी के लिए जरूरी होता है। इससे हमारी मसल्स खुलती हैं, जिससे फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है। नतीजतन, मांसपेशियां में दर्द, अकड़न जैसी समस्याएं कम होती है। यही कारण है कि ज्यादातर एक्सरसाइज इंस्ट्रक्टर यह सलाह देते हैं कि आप नियमित रूप से स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए। जिन लोगों को एक्सरसाइज करने का टाइम नहीं मिलता है, उन्हें भी अपने वर्कप्लेस में स्ट्रेचिंग करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, कई बार लोग ओवर स्ट्रेचिंग कर बैठते हैं। इसकी वजह से बॉडी पेन बढ़ जाता है, मसल्स इंजुर्ड हो जाती हैं। यह भी माना जाता है कि स्ट्रेचिंग करने की वजह से नर्व भी डैमेज हो सकती है। यहां सवाल उठता है कि क्या वाकई ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से नर्व पर असर पड़ सकता है? आइए, जानते हैं इस बारे में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और हिलिंग टच क्लीनिक के ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉ. अभिषेक वैश की क्या राय है?
क्या ओवर स्ट्रेचिंग करने से नर्व डैमेज हो सकती है?- Can You Get Nerve Damage From Overstretching
किसी भी तरह की एक्सरसाइज को ओवर करना सही नहीं होता है। ऐसा ही स्ट्रेचिंग के साथ भी है। स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों, हाथ-पैर और पूरी बॉडी को लाभ होता है, वहीं ओवर स्ट्रेचिंग करने से पूरी बॉडी को नुकसान हो सकता है। खासकर, नसों पर इसका नेगेटिव असर पड़ सकता है। इस बात की पुष्टि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट से होती है। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से साइटिका नर्व दब सकती है। हालांकि, ऐसा हर मामले हो, यह जरूरी नहीं है। इसके बावजूद, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि ओवर स्ट्रेचिंग करने से नर्व डैमेज होने का खतरा बना रहता है।
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ओवर स्ट्रेचिंग करने से नर्व किस तरह डैमेज होती है?
स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज करने से बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी और इलास्टीसिटी बढ़ती है। जब आप ओवर स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इलास्टिसिटी पर बुरा असर पड़ता है। असल में, बॉडी का लचीला होने की एक सीमा होती है। ऐसे में अगर आप ओवर स्ट्रेचिंग करते हैं, तो इलास्टिसिटी पर असर पड़ता है और आपकी नसों के डैमेज होने का रिस्क बढ़ जाता है।
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ओवर स्ट्रेचिंग करने से किस तरह से नर्व डैमेज होती है?
न्यूरोप्रैक्सियाः ओवर स्ट्रेचिंग करने से नसों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और वह ब्लॉक हो जाती है। हालांकि, यह स्थाई समस्या नहीं है, लेकिन यह नसों की इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को बाधित करती है। ऐसे में नसों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
एक्सोनोटमेसिसः ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से एक्सोनोटमेसिस हो जाता है। इसका मतलब है कि नसों के इलेक्ट्रिकल सिग्नल बाधित हो जाती है। हालांकि, इसके बावजूद नसें अपना काम सुचारू ढंग से करती रहती हैं।
न्यूरोटमेसिसः यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नर्व पूरी तरह डैमेज हो जाती है। ओवर स्ट्रेचिंग करने की वजह से न्यूरोटमेसिस भी हो सकता है। हालांकि, इसकी आशंका बहुत कम हाती है।
निष्कर्ष
उतनी ही करें, जितना कि जरूरी हो। ओवर स्ट्रेचिंग करने से नसों से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं। ध्यान रखें कि नसों में दिक्कत होने की वजह से मसल्स में संवेदनशीलता प्रभावित हो सकती है, सुन्नपन, झनझनाहट, बैलेंसिंग प्रॉब्लम जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं। बेहतर होगा कि आप आपको कब तक स्ट्रेचिंग करनी चाहिए और कौन-कौन से स्ट्रेचिंग आपके लिए फायदेमंद है, इस बारे में एक्सपर्ट से जान लें।
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