डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो न केवल ब्लड शुगर लेवल पर असर डालती है, बल्कि शरीर के अन्य जरूरी अंगों, विशेष रूप से हार्ट, पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती है। जब ब्लड शुगर लेवल लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीजों में हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक और अनियमित हृदय गति (एरिथमिया)। हार्ट की बीमारियों का समय रहते पता लगाना और उनका इलाज करना जरूरी है। ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) टेस्ट हार्ट की धड़कन और उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापने में मदद करता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का शुरुआती चरण में ही पता चल सकता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को यह जानकारी मिलती है कि हार्ट की स्थिति कैसी है और क्या किसी तरह की असामान्यता तो नहीं है, जिससे भविष्य में गंभीर समस्या हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि डायबिटीज में ईसीजी टेस्ट की जरूरत कब और क्यों होती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के पल्स हॉर्ट सेंटर के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक शुक्ला से बात की।
डायबिटीज और हृदय रोग का संबंध- Connection Between Diabetes and Heart Disease
डायबिटीज के मरीजों में हृदय रोगों का खतरा, अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल, लंबे समय तक बढ़ा रहता है, जिससे ब्लड वेसल्स और हृदय पर दबाव बढ़ता है। इस वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (धमनी रोग), हार्ट अटैक, हृदय गति में असामान्यता (एरिथमिया) और अन्य हार्ट रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटीज से बीपी बढ़ सकता है- Diabetes Increase Blood Pressure
डायबिटीज अक्सर हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी होती है, जो हार्ट और ब्लड वेसल्स पर अतिरिक्त दबाव डालता है। यह स्थिति हृदय रोगों की संभावना को और बढ़ा सकती है। ईसीजी टेस्ट से यह देखा जा सकता है कि क्या हृदय पर अतिरिक्त दबाव है और क्या ब्लड वेसल्स में कोई असामान्यता है। यह जानकारी डॉक्टर को सही इलाज और सलाह देने में मदद करती है।
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डायबिटीज में कब और क्यों जरूरी है ईसीजी टेस्ट?- Importance of ECG Test in Diabetes
कब जरूरी है?:
- जब ब्लड शुगर लेवल लंबे समय तक ज्यादा रहता है।
- अगर मरीज को हृदय की धड़कन में असामान्यता, दर्द या सांस में कठिनाई का अनुभव हो।
- अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो।
- नियमित रूप से डायबिटीज और बीपी का इलाज चल रहा हो।
क्यों जरूरी है?:
- डायबिटीज से हार्ट की ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ता है।
- ईसीजी से समय रहते हार्ट की समस्याओं का इलाज किया जा सकता है।
- यह साइलेंट हार्ट अटैक और अन्य हृदय समस्याओं को पहचानने में मदद करता है।
ईसीजी से घटती है साइलेंट हार्ट अटैक की संभावना- Silent Heart Attack Risk in Diabetes
डायबिटीज वाले मरीजों में 'साइलेंट हार्ट अटैक' होने की संभावना ज्यादा होती है, जिसका मतलब है कि हार्ट अटैक बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हो सकता है। जब ब्लड शुगर लेवल ज्यादा बढ़ जाता है, तो शरीर के तंत्रिका तंत्र में असर डाल सकता है, जिससे हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण जैसे छाती में दर्द, पसीना आना या सांस लेने में कठिनाई का एहसास नहीं होता। ईसीजी टेस्ट, इन साइलेंट हार्ट अटैक्स का पता लगाने में मदद कर सकता है, जिससे इलाज समय रहते किया जा सकता है।
ईसीजी से अनियमित हृदय गति का पता चलता है- ECG Detects Arrhythmia
डायबिटीज से हृदय की धड़कन में असामान्यताएं (एरिथमिया) हो सकती हैं, जो जान के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं।डायबिटीज के कारण, ब्लड शुगर लेवल में असंतुलन होने से हार्ट की इलेक्ट्रिकल प्रणाली प्रभावित हो सकती है। ईसीजी टेस्ट से इन असामान्य धड़कनों का पता चल सकता है और समय पर इलाज से इससे संबंधित जोखिमों को कम किया जा सकता है।
अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं और उम्र 60 या उससे ज्यादा है, तो नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह पर ECG टेस्ट कराएं।
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