बदलती जीवनशैली में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज के दौर में महिलाओं व्यस्त दिनचर्या में खुद के लिए समय ही नहीं मिल पाता है। जिस वजह से पीसीओएस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में होने वाला एक सामान्य हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो उनकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ को प्रभावित करता है। इस स्थिति में, महिलाओं की ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं, और इसके साथ ही हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म, और प्रजनन संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, पीसीओएस को मुख्य रूप से प्रजनन स्वास्थ्य से जोड़ा जाता है। लेकिन, इसकी वजह से अन्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है। इनमें हृदय रोग (Heart Disease) के जोखिम को भी शामिल किया जाता है। इस लेख में साईं पॉलीक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि पीसीओएस और हृदय रोग के बीच क्या संबंध है और यह कैसे महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
पीसीओएस और हृदय रोगों के बीच क्या संबंध हो सकता है? - What Is The Connection Between PCOS And Heart Disease In Hindi
इंसुलिन रेजिस्टेंस और हृदय रोग
पीसीओएस में महिलाओं को अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसका मतलब है कि उनके शरीर में इंसुलिन का प्रभाव कम हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने लगता है। हाई ब्लड शुगर (High Blood Sugar) शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ा सकती है, जिससे नसों प्रभावित होती है और यह एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में प्लाक जमा होना) का कारण बनता है। एथेरोस्क्लेरोसिस, में महिलाओं को दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension)
महिलाओं को पीसीओएस में हाई ब्लड प्रेशर होने का जोखिम होता है। हार्मोनल असंतुलन, विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन और इंसुलिन के बढ़ने से महिलाओं को ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर हृदय पर अधिक दबाव डालता है और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाता है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो यह गंभीर कार्डियोवस्कुलर (हृदय संबंधी रोगों) समस्याओं का कारण बन सकता है।
मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम
पीसीओएस में ज्यादातर महिलाओं में पेट की चर्बी और वजन बढ़ने लगता है। पेट का फैट (Visceral Fat) हृदय रोग के जोखिम कारकों में से एक माना जाती है, क्योंकि यह इंसुलिन रेजिस्टेंस, हाई कोलेस्ट्रॉल, और हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ाता जा सकता है। इसके अलावा, मोटापे की वजह से मेटाबॉलिक सिंड्रोम हो सकता है, जो हृदय रोगों का कारण बन सकता है।
लिपिड प्रोफाइल में बदलाव
पीसीओएस में महिलाओं के कोलेस्ट्रॉल का लेवल असामान्य हो सकता है। इसमें ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) का हाई लेवल और हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) यानी 'अच्छा कोलेस्ट्रॉल' का स्तर कम हो सकता है। हाई ट्राइग्लिसराइड्स और एचडीएल कम होना हृदय के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे हृदय रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर क्रोनिक सूजन (Chronic Inflammation) और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) होने की संभावना अधिक होती है। यह सूजन नसों की दीवारों को कमजोर कर सकती है और प्लाक के बनने की समस्या हो सकती है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी हृदय की नसों को डैमेज पहुंचाता है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
पीसीओएस के कारण होने वाले हृदय रोग से बचने के उपाय - Prevention Tips Of Heart Disease Due To PCOS In Hindi
- संतुलित आहार का सेवन करें। डाइट में फाइबर, हेल्दी फैट और ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
- नियमित शारीरिक गतिविधि से इंसुलिन रेजिस्टेनस और वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
- समय-समय पर ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना जरूरी है ताकि शुरुआती स्तर पर किसी भी समस्या का पता लगाया जा सके।
- तनाव और चिंता हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए ध्यान (Meditation), योग, या अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है।
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पीसीओएस से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही, यह हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है। इस समस्या में मोटापा, हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल की समस्या हो सकती है। ऐसे में महिलाओं को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।