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Hypokalemia: रक्त में पोटेशियम का कम स्तर हार्ट बीट को कर सकता है प्रभावित, डॉक्टर से जानें कैसे?

कुछ लोगों को थोड़े से काम के बाद ही हार्ट बीट तेज हो जाती है। ऐसे में जानते हैं कि क्या रक्त में पोटेशियम का कम स्तर हार्ट बीट को प्रभावित कर सकता है।
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Hypokalemia: रक्त में पोटेशियम का कम स्तर हार्ट बीट को कर सकता है प्रभावित, डॉक्टर से जानें कैसे?


How Does Hyperkalemia Cause Arrhythmia: कुछ लोगों को अक्सर थकान, कमजोरी और आलस बन रहता है। दरअसल, शरीर में होने वाली समस्याओं के संकेत हमें पहले ही मिलने लगते हैं। ठीक इसी तरह से पोषक तत्वों की कमी होने पर व्यक्ति को कई तरह के लक्षण महसूस होने लगते हैं। आप भोजन के जरिए जितने भी पोषक तत्व लेते हैं वह रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक पहुंचते हैं। लेकिन, यदि किसी विटामिन या मिनरल्स की कमी हो जाए तो ऐसे में रोग शुरु हो सकते हैं। इसमें आप पोटेशियम को भी शामिल कर सकते हैं। पोटेशियम आपकी रक्त वाहिकाओं को आराम देकर हार्ट से जुड़ी समस्याओं से बचाव करता है। साथ ही, यह ब्लड प्रेशर को रेगूलयर या नियमित करने में भी महत्पवूर्ण भूमिका निभाता है। पोटेशियम का लेवल कम होने की स्थिति को हाइपोकैलेमिया (Hypokalemia) कहा जाता है। पोटेशियम एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट है, जो मांसपेशियों के संकुचन, तंत्रिका संकेतों और हृदय की विद्युत गतिविधियों के लिए आवश्यक है। इस लेख में डॉ. सौरभ चोपड़ा, कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी, नारायणा अस्पताल से जानते हैं कि क्या हाइपोकैलेमिया के कारण दिल की धड़कनें अनियमित (एरिथमिया - Arrhythmia) हो सकती है?

हाइपोकैलिमिया किस तरह से हार्ट बीट को प्रभावित करता है? - How Hypokalemia affects Arrhythmia In Hindi

स्टडी से पता चलता है कि रक्त में पोटेशियम की कमी से हृदय गति प्रभावित हो सकती है। पोटेशियम हार्ट की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को नियमित करने में महत्वपूर्ण होता है। यह मांसपेशियों के सिकुड़ने और पंप होने को भी नियंत्रित करने में मदद करता है, इससे हृदय स्वस्थ बनता है। आगे जानते हैं की हाइपोकैलिमिया के मामले किस तरह से एरिथमिया को ट्रिगर कर सकते हैं।

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वेंट्रिकुलर टैकिकार्डिया (Ventricular Tachycardia)

यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें हृदय की निचला हिस्सा (वेंट्रिकल) तेज गति से धड़कने लगता है। हाइपोकैलेमिया के कारण हृदय की कोशिकाओं में रिपोलराइजेशन (repolarization) प्रक्रिया धीमी हो जाती है। यह स्थिति हार्ट अटैक या हार्ट से जुड़ी अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation)

यह हृदय की ऊपरी हिस्सा (एट्रिया) से जुड़ी अनियमित धड़कन होती है। पोटेशियम का कम स्तर एट्रियल मांसपेशियों में कमजोर कर सकता है। इसके चलते ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो सकता है और क्लॉट बनने का खतरा बढ़ सकता है।

टॉर्सेड्स डी पॉइंट्स (Torsades de Pointes)

यह एक विशेष प्रकार की वेंट्रिकुलर एरिथमिया है, जो हाइपोकैलेमिया के कारण हो सकती है। यह स्थिति QT इंटरवल के लम्बे होने के साथ जुड़ी होती है। समय पर इलाज न होने पर यह घातक साबित हो सकती है।

पोटेशियम की कमी को कैसे दूर करें?

  • पोटेशियम की कमी होने पर डॉक्टर व्यक्ति की डाइट में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही, व्यक्ति को पोटेशियम युक्त आहार जैसे केले, संतरा, पालक, और शकरकंद आदि खाने की सलाह देते हैं।
  • इसके अलावा, पोटेशियम के सप्लीमेंट्स से भी इसकी कमी को दूर किया जा सकता है।

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हाइपोकैलेमिया एक गंभीर स्थिति हो सकती है, विशेष रूप से जब यह एरिथमिया जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है। इसे समय पर पहचान कर सही समय पर इलाज शुरु करना जरूरी होता है। हार्ट से जुड़ी समस्या होने पर आप इसे अनदेखा न करें। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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