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प्रेग्नेंसी में पोटेशियम की कमी (Hypokalemia) के क्या कारण हो सकते हैं? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में पोटेशियम की कम हो सकती है। इस लेख में आगे जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में पोटेशियम की कमी क्यों होती है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है?
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प्रेग्नेंसी में पोटेशियम की कमी (Hypokalemia) के क्या कारण हो सकते हैं? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दौरान महिला को खुद का पूरा ख्याल रखना होता है। गर्भावस्था में महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और ऐसे में पोषक तत्व मां से बच्चे को प्राप्त होते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी डाइट और दवाओं का पूरा ध्यान रखना चाहिए। कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी में पोटेशियम की कमी (hypokalemia in pregnancy) का सामना करना पड़ता है। पोटेशियम एक आवश्यक मिनरल है, जो मांसपेशियों के संकुचन, तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली और संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है। इस लेख में साईं पॉलीक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में महिलाओं को पोटेशियम की कमी के कारण और इलाज के बारे में जानते हैं। 

पोटेशियम की कमी के कारण - Causes of low potassium in pregnancy In Hindi

प्रेग्नेंसी में पोटेशियम की कमी (हाइपोकैलिमिया - hypokalemia) के कई कारण हो सकते हैं। यह कमी शरीर में कुछ बदलाव और असामान्य स्थितियों के कारण हो सकती है।

प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो इलेक्ट्रोलाइट्स (पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम आदि) के असंतुलन का कारण बन सकते हैं। खासकर, प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की बढ़ी हुई मात्रा से शरीर में पोटेशियम के स्तर में गिरावट हो सकती है।

मॉर्निंग सिकनेस 

गर्भवती महिलाओं को अक्सर पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस का सामना करना पड़ता है, जिसमें उल्टी और मतली महसूस होती है। लगातार उल्टी होने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, जिससे पोटेशियम का स्तर गिर सकता है। यदि महिला को उल्टी अत्यधिक हो, तो यह शरीर में पोटेशियम की कमी का कारण बन सकती है। 

causes of low potassium in pregnancy

दस्त और डिहाईड्रेशन

प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार का दस्त या डिहाईड्रेशन पोटेशियम की कमी का प्रमुख कारण हो सकता है। जब शरीर में तरल पदार्थ कम होते हैं, तो इसके साथ इलेक्ट्रोलाइट्स भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं, जिससे पोटेशियम की कमी हो जाती है।

पोषण की कमी

यदि आहार में पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम हो, तो शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम नहीं मिल पाता है। इससे गर्भावस्था के दौरान पोटेशियम की कमी हो सकती है। खासकर अगर गर्भवती महिला का भोजन असंतुलित हो या वह ज्यादा तैलीय और जंक फूड का सेवन कर रही हो।

किडनी की समस्याएं

यदि गर्भवती महिला की किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है, तो पोटेशियम की कमी हो सकती है। किडनी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और यदि किडनी की कार्यप्रणाली में कोई समस्या हो, तो यह पोटेशियम को ठीक से संरक्षित नहीं कर पाती।

गर्भावस्था में पोटेशियम की कमी को कैसे कम करें - How To Treat Low Potassium In Pregnancy In Hindi 

पोषक आहार का सेवन 

गर्भवती महिलाओं को पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना चाहिए। पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों में केले, आलू, पालक, टमाटर, संतरा, एवोकाडो, सूखे मेवे (जैसे किशमिश, अंजीर), दही और नट्स शामिल हैं। 

अधिक पानी पीना

डिहाईड्रेशन पोटेशियम की कमी का प्रमुख कारण होता है, इसलिए गर्भावस्था में अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है। इससे शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बना रहता है और पोटेशियम की कमी की संभावना कम होती है। 

मॉर्निंग सिकनेस को कम करें 

यदि प्रेग्नेंसी महिला को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या है, तो उसे छोटे-छोटे भोजन और तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे उल्टी और मतली को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे शरीर में पोटेशियम की कमी नहीं होगी।

डॉक्टर द्वारा बताए गए सप्लीमेंट्स का सेवन

यदि आहार से पर्याप्त पोटेशियम नहीं मिल पा रहा है, तो डॉक्टर की सलाह से पोटेशियम सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता है। यह सप्लीमेंट्स पोटेशियम की कमी को पूरा करने में मदद करतें हैं, लेकिन इन्हें केवल डॉक्टर की निगरानी में ही लेना चाहिए।

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Hypokalemia in Pregnancy In Hindi: प्रेग्नेंसी के दौरान पोटेशियम की कमी एक गंभीर समस्या हो सकती है, जो मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। पोटेशियम की कमी के कारण मांसपेशियों की कमजोरी, थकान, और दिल की धड़कनों में गड़बड़ी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने आहार और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए आप डाइटिशियन या डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।

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