शरीर में हार्मोन का सही स्तर शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक होता है। यदि, हार्मोन के स्तर में कमी या अधिकता हुई तो ऐसे में आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ठीक इसी तरह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन भी शारीरिक संबंध के लिए आवश्यक माना जाता है। यह एक तरह का एण्ड्रोजन हार्मोन (सेक्स हार्मोन) होता है। हार्मोन नसों में माध्यम से कम्यूनिकेशन के लिए आवश्यक होते हैं। यह शरीर को बताते हैं कि क्या कार्य करना है और कैसे करना है। टेस्टोस्टोरोन हार्मोन को पुरुष की प्रजनन क्षमता से जोड़कर देखा जाता है। जबकि, महिलाओं को भी बेहद कम स्तर पर ही, लेकिन टेस्टोस्टेरोन की आवश्यकता होती है। लेकिन, उम्र बढ़ने के साथ ही महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। ऐसे में उनको भी टेस्टोस्टेरोन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस लेख में जानेंगे कि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन कम होने के क्या कारण हो सकते हैं।
महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन कम होने के कारण - Causes Of Low Testosterone in Women in Hindi
महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन कम होने के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। मणिपाल अस्पताल के आब्सटेट्रिक्स और गायनकोलोजी कंसल्टेंट डॉ. विनीता दिवाकर के अनुसार टेस्टोस्टेरोगन हार्मोन महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए ही आवश्यक होता है। आगे जानते हैं महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन कम होने के कारण
मोटापा
अधिकतर महिलाएं आज मोटापे से परेशान है। मोटापे और बढ़ते वजन के कारण महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़ी कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं के शरीर में एक्सट्रा फैट हार्मोन के स्तर अनियंत्रित कर सकता है। इससे टेस्टोस्टोरोन के स्तर में गिरावट आ सकती है। ऐडिपोस टिश्यू (Adipose tissue) टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित कर सकते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
आज के दौर में पीसीओएस महिलाओं की एक आम हार्मोनल समस्या बन गया है। इसमें महिलाओं को छोटे-छोटे सिस्ट हो सकते हैं। पीसीओएस होने पर महिलाओं को अक्सर अनियमित मासिक चक्र, वजन बढ़ना और अत्यधिक बाल उगने के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस हार्मोन संतुलन को बाधित कर सकता है, जिससे प्रभावित महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है।
स्ट्रेस में रहना
आधुनिक लाइफस्टाइल में अक्सर महिलाएं तनाव में रहती हैं। क्रोनिक स्ट्रेस में कोर्टिसोल की रिलीज होता है, जो टेस्टोस्टेरोन सहित सामान्य हार्मोन बनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। लंबे समय तक तनाव हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-गोनैडल (एचपीजी) पर दबाव उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में महिलाओं को दिमाग को शांत रखने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए और आराम करना चाहिए।
उम्र बढ़ना
जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, हार्मोनल उतार-चढ़ाव अधिक हो जाते हैं। यह बदलाव खासकर पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज के दौरान देखने को मिलते हैं। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को एस्ट्रोजन व टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में भी धीरे-धीरे कमी का अनुभव होता है। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया अंडाशय (ओवरी) के द्वारा टेस्टोस्टेरोन सहित अन्य हार्मोन के उत्पादन की क्षमता को प्रभावित करती है। ऐसे में महिलाओं को थकान व कमजोरी महसूस हो सकती है।
मेडिसिन का उपयोग
कुछ तरह की दवाएं महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव के लिए जिम्मेदार हो सकती है। यदि, महिलाएं लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं तो इससे ओवरी के फंक्शन प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में टेस्टोस्टोरोन लेवल में कमी आ सकती है। इस तरह, हाई ब्लड प्रेशर, अवसाद और कैंसर की दवाओं से हार्मोनल स्तर प्रभावित हो सकता है।
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महिलाएं हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट से हार्मोनल स्तर में सुधार ला सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को एक स्लीप पैर्टन को फॉलो करना होगा। साथ ही, नियमित रूप से योग व मेडिटेशन करना चाहिए। यह महिलाओं को मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है।