प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह के बदलावों का सामना करना पड़ता है। हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी एक अलग अनुभव हो सकता है। प्रेग्नेंसी में होने वाली परेशानियां बच्चे और मां के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती हैं। हाल ही, अमेरिका हार्ट एसोसिएशन ने एक स्टडी में बताया कि जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं थी, उनको आगे चलकर हार्ट से जुड़ी समस्या होने का जोखिम अधिक होता है। स्टडी के अनुसार प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या वाली महिलाओं को हृदय रोग का खतरा रहता है। इस लेख में प्रकाश क्लीनिक की स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आभा अरोड़ा से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी की समस्याओं और हृदय रोग के बीच क्या संबंध होता है।
प्रेग्नेंसी में समस्याओं से हृदय रोग का जोखिम बढ़ना - Risk of heart disease increases due to problems during pregnancy In Hindi
हाल के हुई स्टडी से पता चलता है कि जिन महिलाओं को समस्याएं होती है, उनको हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है। जिन महिलाओं ने जेस्टेशनल डायबिटीज (प्रेग्नेंसी में शुगर), प्रीक्लेम्पसिया या बच्चे का समय से पहले पैदा होने की स्थिति का सामना किया होता है, उनको हृदय संबंधी रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है।
दरअसल, जेस्टेशनल डायबिटीज और प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्थितियां ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म और वैसकुलर फंक्शन (नसों के कार्य) में असामान्यताओं को दर्शाती हैं, जो महिलाओं को पोस्टपार्टम मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम और हाई बीपी का शिकार बना सकती हैं। इसके अतिरिक्त, प्रेग्नेंसी में होने वाली समस्याओं या जटिलाताओं के दौरान हृदय प्रणाली द्वारा सहा गया स्ट्रेस एक स्थायी छाप छोड़ सकता है, जिससे बाद के वर्षों में महिलाओं में एथेरोस्क्लेरोसिस और एंडोथेलियल डिसफंक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
किन महिलाओं को होता है हृदर रोग का खतरा
- प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर सबसे आम हृदय संबंधी स्थिति है, और पिछले दो दशकों में, प्रीक्लेम्पसिया में 25% की वृद्धि हुई है। प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और मूत्र में प्रोटीन के लेवल को बढ़ा सकता है।
- जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उनको प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य ब्लड प्रेशर वाली महिलाओं की तुलना में प्रसव के बाद 2 से 7 साल के बीच क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर होने का जोखिम दो से चार गुना अधिक होता है, जो बाद में हृदय रोग का कारण बन सकता है।
- जिन महिलाओं ने प्रेग्नेंसी के समय जेस्टेशनल डायबिटीज का सामना किया होता है, उनमें बाद में टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है। स्टडी के अनुसार नॉर्मल प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं की तुलना में जेस्टेशनल डायबिटीज वाली महिलाओं में बाद मे डायबिटीज होने का खतरा करीब आठ गुना तक बढ़ जाता है। साथ ही, ऐसी महिलाओं को बाद की प्रेग्नेंसी में भी जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकती है।
- मोटापे के कारण प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज भविष्य में हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। प्रेग्नेंसी में मोटापा भी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
- प्रेग्नेंसी में एक या अधिक समस्याओं का सामना करने वाली महिलाओं को नॉर्मल प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं को तुलना में कम उम्र में ही दिल का दौरा और स्ट्रोक होने का जोखिम अधिक होता है।
- एक या अधिक प्रतिकूल गर्भावस्था परिणामों के इतिहास वाली महिलाओं को उन महिलाओं की तुलना में कम उम्र में दिल का दौरा और स्ट्रोक का अनुभव होता है जिन्हें गर्भावस्था संबंधी कोई जटिलता नहीं थी।
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प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह के जोखिम को नजरअंदाज न करें। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को बच्चे और खुद के स्वास्थ्य के लिए नियमित जांच करानी चाहिए। साथ ही, किसी भी तरह की समस्या में डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए। हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल से प्रेग्नेंसी के जोखिम से बचा जा सकता है।