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Impact Of Long Working Hours On Health: ज्यादातर ऑफिसों में 8-9 घंटे के वर्किंग ऑवर्स होते हैं। आमतौर पर लोग अपने सीमित समय में काम खत्म करने की कोशिश करते हैं। इसके बावजूद, ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिन्हें अपना काम खत्म करने के लिए 9 घंटे से अधिक समय देना पड़ता है। अगर सप्ताह में एक बार या महीने में दो बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, तो व्यक्ति के लिए यह चिंता का विषय नहीं होता है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति रोजाना 9 घंटे से ज्यादा का समय ऑफिस में बिताता है, तो माना जाता है कि इसका उनकी मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। सवाल है, क्या वाकई ऐसा होता है? अगर ऐसा है, तो इस स्थिति में क्या किया जाना चाहिए? जानें, इस बारे में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर दीपाली बेदी से।
क्या ऑफिस में 9 घंटे से ज्यादा काम करने से मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है?- How Working More Than 9 Hours A Day Affects Mental Health
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें, तो जब कोई व्यक्ति रोजाना लंबे समय तक काम करता है, तो इसका बुरा असर उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यहां तक कि इसकी वजह से एंग्जाइटी और डिप्रेशन बढ़ने का रिस्क भी रहता है। ऑफिस में 9 घंटे से ज्याद समय तक काम करने पर किस तरह के असर पड़ते हैं, जानें-
एंग्जाइटी और डिप्रेशनः विशेषों की मानें, तो लंबे समय तक काम करना एंग्जाइटी और डिप्रेशन से कनेक्टेड है। दरअसल, लंबे समय तक काम करने से क्रॉनिक स्ट्रेस हो सकता है। क्रॉनिक स्ट्रेस के कारण सेरेटोनिन हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है, जो कि नेगेटिव फीलिंग को बढ़ावा देता है। यहां तक कि ओवर वर्क करने की वजह से थकान और कमजोरी भी बढ़ जाता है।
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बर्नआउट हो जाता हैः जब कोई व्यक्ति रोजाना लंबे समय तक काम करता है, तो ऐसे में नकारात्मक भाव हावी हो जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति न चाहते हुए निराशावादी हो जाता है, मन शांत नहीं रह पाता है और हर समय नेगेटिव ख्याल मन में आते रहते हैं। जाहिर है, यह सब चीजें सही नहीं है। इसकी वजह से मोटिवेशन में कमी महसूस होती है और किसी भी तरह का काम करने का मन नहीं करता है।
ब्रेन फॉगिंगः रोजाना लंबे समय तक काम करना मेंटल हेल्थ के लिए सही नहीं होता है। अगर आप 9 घंटे तक काम करते हैं, तो यह पूरी तरह सामान्य और नॉर्मल होता है। मगर जहां ही आपको इससे अधिक समय रोजाना ऑफिस बिताना पड़ता है, तो इसकी वजह से ब्रेन फॉगिंग होने लगती है, कंसट्रेशन पॉवर में कमी आ जाती है और चीजों को याद रखने में भी दिक्कत आने लगती है।
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9 घंटे से अधिक काम करते हैं तो मेंटल हेल्थ का कैसे ध्यान रखें
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- अगर आपका वर्क प्रोफाइल है ऐसा है, जिसमें आपको लंबे समय तक काम करना पड़ता है, तो इसको लेकर परेशान न हों। काम के बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें।
- पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ के बीच बाउंड्री सेट जरूर करें। कई बार लंबे समय तक काम करने की वजह से व्यक्ति घर में ही ऑफिस और वहीं के काम की चर्चा करता है। आप ऐसा न करें। बाउंड्री सेट करने से मानसिक शांति मिलेगी।
- वर्क लाइफ को बैलेंस करने की कोशिश करें। अगर आपके वर्किंग आवर्स 9 घंटे से कम है, लेकिन काम समय पर पूरा नहीं होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने स्किल्स में सुधार करें। इससे वर्क लाइफ बैलेंस करने में मदद मिलेगी।
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निष्कर्ष
9 घंटे से ज्यादा काम करना मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सही नहीं माना जाता है। यही कारण है कि ज्यादातर कंपनियों में 9 घंटे तक ही अधिकतम वर्किंग आवर्स होते हैं। इसके बावजूद, यह देखने में आता है कि कई लोग 9 घंटे से कई ज्यादा 10 या 12 घंटों तक रोजाना काम करते हैं। इसका मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। वैसे तो इस तरह की स्थिति किसी के साथ भी आ सकती है। इसलिए, ऊपर बताए गए सजेशंस पर अमल जरूर करें। अगर इससे भी आराम न मिले तो एक्सपर्ट से संपर्क करने में देरी न करें।
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Current Version
Oct 23, 2025 15:24 IST
Published By : Meera Tagore