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पीरियड्स के दौरान वात दोष बढ़ने के कारण हो सकते हैं क्रैम्प्स, जानें कैसे करें कंट्रोल

महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अक्सर पेट में ऐंठन और दर्द की शिकायत रहती है। यहां जानिए, पीरियड क्रैम्प्स को जल्दी कैसे दूर करें?
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पीरियड्स के दौरान वात दोष बढ़ने के कारण हो सकते हैं क्रैम्प्स, जानें कैसे करें कंट्रोल


पीरियड्स के दौरान क्रैम्प्स एक सामान्य समस्या है, लेकिन कई महिलाओं को इस दौरान ज्यादा दिक्कत होती है। खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए यह समस्या और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें अपने कामकाज के साथ-साथ इस दर्द का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान होने वाले ये क्रैम्प्स मुख्य रूप से पेट के निचले हिस्से में महसूस होते हैं और कई बार यह दर्द कमर और पैरों तक भी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, पीरियड्स के दौरान क्रैम्प्स का मुख्य कारण वात दोष का असंतुलन है। जब शरीर में वात दोष बढ़ता है, तो यह ब्लड फ्लो को बाधित कर सकता है और दर्द को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, खानपान में लापरवाही, तनाव और बिजी लाइफस्टाइल भी इस समस्या को और गंभीर बना सकते हैं। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर मयूरी से जानिए, पीरियड्स में क्रैम्प्स कम करने के तरीके (Ayurvedic remedies for menstrual cramps) क्या हैं।

पीरियड्स के दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपाय - How to get rid of period cramps in Ayurveda

महिलाएं अक्सर पीरियड्स के दर्द से राहत पाने के लिए पेनकिलर्स का सहारा लेती हैं, लेकिन इनके बार-बार इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपाय अपनाना सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकता है। गर्म पानी का इस्तेमाल, अदरक का सेवन, और योग जैसे उपाय वात दोष को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। जब वात दोष असंतुलित होता है, तो यह पाचन प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सूजन, मरोड़ और ऐंठन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

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पीरियड्स के दौरान वात दोष को कंट्रोल करने के उपाय

1. अलसी और अदरक का सेवन

पीरियड्स के दौरान वात दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेद में कुछ प्राकृतिक उपायों को आजमाने की सलाह दी जाती है। सबसे पहले, अदरक का सेवन लाभकारी होता है। अदरक में गर्मी पैदा करने की क्षमता होती है, जो वात दोष को संतुलित करती है और दर्द को कम करने में मदद करती है। एक कप गर्म अदरक का पानी पीने से सूजन कम होती है और ऐंठन से राहत मिलती है।

2. गर्म पानी की सिकाई

पीरियड्स के दौरान ऐंठन को कम करने के लिए गर्म पानी की सिकाई एक प्रभावी उपाय है। इसे अपनाने से रक्त प्रवाह यानी ब्लड फ्लो बेहतर होता है और मांसपेशियां आराम करती हैं। निचले पेट पर एक गर्म पानी की बोतल या पैड रखने से दर्द में आराम मिलता है और वात दोष में संतुलन आता है।

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3. योग अभ्यास

वात दोष को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से योग अभ्यास बेहद फायदेमंद हो सकता है। योग में कुछ विशेष आसन जैसे 'बालासन', 'सेतु बंधासन' और 'विपरीत करणी', पाचन को बेहतर बनाते हैं और शरीर में संतुलन लाते हैं। यह वात दोष को कंट्रोल करता है और पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करता है।

4. आयुर्वेदिक उपचार - मातृ बस्ती

आयुर्वेद में एक प्रभावी उपाय है मातृ बस्ती (Matra Basti), जिसमें विशेष तेलों का उपयोग किया (What is the best remedy for menstrual cramps) जाता है। आप 30 मि.ली. मात्रा में चंदन बाला तेल या तिल के तेल का सेवन कर सकते हैं। ये तेल वात दोष को संतुलित करने में मदद करते हैं और शरीर को आराम पहुंचाते हैं। इसे विशेष रूप से पीरियड्स के दौरान उपयोग करने से दर्द और ऐंठन में राहत मिलती है। मातृ बस्ती से न केवल शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है, बल्कि यह मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होती है।

5. आहार में बदलाव

आहार में बदलाव करके भी आप वात दोष को कंट्रोल कर सकते हैं। सर्दी और ठंडे मौसम में ताजे और गर्म फूड्स का सेवन करना चाहिए। गर्म दूध, खिचड़ी, दलिया और सूप जैसे फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। वहीं, तैलीय और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह कफ दोष को बढ़ा सकते हैं और ऐंठन को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

निष्कर्ष

पीरियड्स के दौरान वात दोष का असंतुलन एक सामान्य समस्या है, लेकिन आयुर्वेद के प्राकृतिक उपायों के द्वारा इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। अदरक, गर्म पानी की सिकाई, योग अभ्यास, आहार में बदलाव और आयुर्वेदिक उपचार जैसे उपाय वात दोष को संतुलित करते हैं और पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों से राहत प्रदान करते हैं। अगर दर्द और असुविधा बनी रहे, तो आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।

 

 

 

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