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आजकल की पेरेंटिंग कैसे डाल रही है बच्चों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर, जानें एक्सपर्ट से

Modern Parenting: समय बदलने के साथ लोगों का परवरिश करने का तरीका भी बदल गया है। आइये जानें मॉडर्न पैरेंटिंग बच्चे को कैसे नुकसान कर सकती है।   
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आजकल की पेरेंटिंग कैसे डाल रही है बच्चों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर, जानें एक्सपर्ट से


Modern Parenting Effects On Children: बच्चे अपने पैरेंट्स के लिए उनकी दुनिया होते हैं। हर पैरेंट्स कोशिश करते हैं कि वो अपने बच्चे की बेहतर से बेहतर परवरिश करें। अपने बच्चे के कहने से पहले ही उसको हर चीज लाकर दे दें। वहीं समय बदलने के साथ लोगों के परवरिश के तरीके में भी बदलाव आया है। पहले समय में लोग बच्चों को बाहर की दुनिया से ज्यादा सीखने की सलाह देते थे। लेकिन आज की मॉडर्न पैरेंटिंग ने लोगों को बच्चों को मशीनों पर निर्भर रहना ज्यादा सीखा दिया है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि मॉडर्न पैरेंटिंग क्यों और कैसे बच्चे की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है। इस बारे में जानने के लिए हमने बात कि सर गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ.आरती आनंद से, जिन्होनें इस विषय पर खास जानकारी हमसे साझा की।

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मॉडर्न पैरेंटिंग बच्चों को इन तरीको से सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकती है- Modern Parenting Effects On Mental Health of Children

बच्चों का आत्मनिर्भर न होना

मॉर्डन पैरेंटिंग के साथ सबसे बड़ी समस्या यह देखने को मिलती है कि इसके कारण बच्चे चीजों पर निर्भर होने लगते हैं। पैरेंट्स समय से पहले बच्चों को हर चीज लाकर दे देते हैं। वहीं जरूरत से ज्यादा बच्चे पर नजर रखने की कोशिश करते हैं। जैसे बाहर खेलने के लिए नहीं जाना या मशीनों की आदत बना देना। इन चीजों से बच्चे दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में ज्यादा समय लगता है।

कॉन्फिडेंस की कमी होना

मॉडर्न पैरेंटिंग के कारण बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी भी ज्यादा देखने को मिलती है। इसके कारण बच्चे को घर में रहने की आदत हो जाती है। जिसके कारण उनका बाहर के लोगों से मिलना और कनेक्ट होना काफी मुश्किल हो जाता है। इसके कारण बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी भी देखने को मिल सकती है क्योंकि बच्चों को बाहर जाकर खुद को एक्सप्लोर करने का मौका नहीं मिल पाता है। 

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इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की आदत

पैरेंट्स का ओवर प्रोटेक्टिक नेचर बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस पर निर्भर होने के लिए मजबूर कर देता है। इसके कारण बच्चे घर तक ही सीमित हो जाते हैं। यह चीज बच्चे को आलसी बनाने के साथ शारीरिक रूप से भी कमजोर कर देती है। इसके कारण बच्चों का सही प्रकार विकास नहीं हो पाता है।

बच्चों का आलसी बनना

पैरेंट्स के ओवर प्रोटेक्टिक होने के कारण बच्चों का बाहर खेलने जाना काफी कम हो जाता है। इससे उनके शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यह चीज बच्चों को धीरे-धीरे आलसी भी बनाने लगती है। 

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बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कंफर्ट लेवल से बाहर निकालना बहुत जरूरी है। इसलिए अपने बच्चे के साथ समय जरूर बिताएं और उस मशीनों पर निर्भर होने के बजाय नई चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। 

 

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