
आमतौर ज्यादातर पेरेंट्स को यही कहते सुना जाता है कि पेरेंटिंग बहुत मुश्किल है। बहुत कम ही ऐसे पेरेंट्स देखे गए हैं, जो अपनी पेरेंटिंग जर्नी को इंज्वॉय करते हैं। असल में पेरेंटिंग का यह सफर चुनौतियों से भरा इसलिए होता है, क्योंकि इसे किसी काम की तरह महसूस करते हैं। बच्चे को डिसीप्लीन में रखना या उसे नई चीजें सिखाना, उसके नखरे झेलना, उसके गुस्से को संभालना या बच्चे की भावनाओं को समझना, मुश्किल भरा हो सकता है। लेकिन इसे मजेदार भी बनाया जा सकता है। इसके लिए पेरेंट्स को अपने के पालन-पोषण के तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है।
एक-दूसरे के साथ खेलें
आजकल ज्यादातर पेरेंट्स वर्किंग होने लगे हैं। इस वजह से बच्चे घर के बुजुर्गों के साथ या फिर क्रेच या डे-बोर्डिंग में अपना अधिकतर समय गुजारते हैं। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप ऑफिस-घर को बैलेंस करने के चक्कर में बच्चे को नजरंदाज कर दें। आपको चाहिए कि आपके पास जितना समय हो, बच्चे के साथ खेल-कूद, मस्ती में बिताएं। आप बच्चे के साथ जितना ज्यादा शारीरिक रूप सक्रिय रहेंगे, वह उतना ही आपके नजदीक आए। इस तरह वह बिना झिझक आपको साथ अपनी बातें शेयर कर पाएगा। साथ ही आपकी पेरेंटिंग भी स्ट्रेस फ्री हो जाएगी।
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एक-दूसरे के साथ हंसें
अगर आपका बच्चा गंदे पैर लेकर घर के अंदर आ जाए, तो आप क्या करेंगे या उसने अपने बिस्तर को नहीं संवारा तो इस स्थिति में आप उससे किस तर पेश आएंगे? ज्यादातर पेरेंट्स बच्चे पर गुस्सा हो जाएंगे। पेरेंटिंग का यही तरीका, आपको आपके बच्चे से दूर करता है। आपको चाहिए कि हर स्थिति में बच्व्चे के साथ खुश रहने का एंगल खोजें। वास्तव में पेंरेंट्स चाहते हैं कि वे अपने बच्चे को परफेक्ट बच्चा बनाएं और खुद बेस्ट पेरेंट्स बनें। लेकिन आप खुद को इस तरह के प्रेशर से दूर रखें। अगर आपको पेरेंटिंग के सफर को खुशनुमा बनाना है, तो हर स्थिति में उसके साथ खुश रहें, हंसना सीखें और तनाव से खुद को दूर रखें।
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एक-दूसरे की बातें सुनें
यह बात तो आप जानते ही होंगे कि बच्चे के बेहतर विकास के लिए उसकी बातों को अच्छी तरह से सुनना बहुत जरूरी है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि पेरेंटिंग स्टाइल को खुशियों से भरने के लिए भी बच्चे की बातें सुनना जरूरी है? जी, बिल्कुल। बच्चे की बातें आप जितना ज्यादा सुनेंगे, आप दोनों की बीच बातचीत उतनी बेहतर होगी। इससे आप दोनों बॉन्ड स्ट्रॉन्ग होगा, जो कि पेरेंटिंग की जर्नी को आरामदायक बना देगा। इससे आपकी अपनी पेरेंटिंग को लेकर जो डाउट होंगे, वे भी अपने आप दूर होते चले जाएंगे।
एक दूसरे से सीखें
अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चों को सिखाने पर जोर देते हैं। क्या कभी आपने अपने बच्चे से कुछ सीखने की कोशिश की है? विशेषज्ञों की मानें तो व्यस्त जीवनशैली के कारण ज्यादातर पेरेंट्स का इस ओर ध्यान ही नहीं जाता है। जबकि आप अपने बच्चे को न सिर्फ बहुत कुछ सिखा सकते हैं बल्कि उससे बहुत कुछ सीख सकते हैं, जैसे आप चीजों को छोड़ना और भूलना उससे सीख सकते हैं। इसके अलावा बच्चे बहुत आसानी से दूसरों को माफ कर देते हैं, आप इस कला को अपने बच्चे से सीख सकते हैं। यही नहीं, बच्चे कभी भी अपने कंफर्ट में रहना पसंद नहीं करते, आप भी इस आदत को खुद में शामिल कर सकते हैं।
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