
बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती। माता-पिता को कई जतन करने पड़ते हैं जिससे उनके बच्चों को सही सीख और भविष्य मिल सके। बच्चों का पहला स्कूल उनका घर होता है। माता-पिता से मिले संस्कार और शिक्षा के आधार पर उनके नजरिए और व्यवहार का विकास होता है। लेकिन जो माता-पिता खुद ही नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं, वो अपने बच्चों को भी सही परवरिश नहीं दे पाते। अगर आप बच्चों को सही परवरिश देना चाहते हैं, तो स्ट्रेस फ्री पेरेंटिंग की मदद लें। तनाव-मुक्त पेरेंटिंग का मतलब है ऐसी परवरिश जिसमें माता-पिता और बच्चे दोनों पॉजिटिव रहें, उनके बीच का बॉन्ड अच्छा हो और वे एक-साथ मिलकर आगे बढ़ें। तनाव-मुक्त परवरिश का पहला नियम है खुश रहना। आप भी खुश रहें, और बच्चों को भी खुश रखें। अगर घर का माहौल पॉजिटिव होगा, तो बच्चों को भविष्य में आने वाले कठिन समय को पार कर पाने की हिम्मत मिलेगी। स्ट्रेस फ्री पेरेंटिंग के जरिए आप ये भी सुनिश्चित कर पाएंगे, कि बच्चा सही राह पर है या नहीं। जानते हैं स्ट्रेस फ्री पेरेंटिंग को अपनाने के 5 तरीके।
1. बच्चों में कमियां न निकालें
कई माता-पिता बच्चों में कमियां निकालते हैं। ये तरीका सही नहीं है। तनाव-मुक्त पेरेंटिंग ट्राई करने के लिए बच्चों को वैसे अपनाएं जैसे वो हैं। उनके नैचुरल बिहेवियर की कद्र करें। हर समय बच्चों को उनकी कमियों का एहसास दिलाना जरूरी नहीं है। कमियों को प्रैक्टिस के जरिए ठीक किया जा सकता है। बच्चों के साथ अपने बॉन्ड पर गौर करें, न कि अधिकार जमाने की कोशिश करें। बच्चे में कमियां निकालने की जगह, उसे छोटे-छोटे काम दें और उसे पूरा करने पर शाबाशी दें। बच्चों की तारीफ करें, उन्हें आपसे मिली तारीफ पसंद आएगी।
2. बच्चों को कंट्रोल न करें
ज्यादातर माता-पिता, बच्चों की लाइफ को कंट्रोल करने का काम करते हैं। लेकिन तनाव-मुक्त पेरेंटिंग की बात करें, तो आपको बच्चों पर अधिकार नहीं जमाना है। उन्हें सीख दें लेकिन अपनी बताई राह पर चलने के लिए फोर्स न करें। अपने बच्चों को खुद गिरकर उठने दें। इससे उन्हें बेहतर सीख मिलेगी। हमारे कल्चर में स्पून-फीडिंग की आदत, बच्चों को बिगाड़ देती है। बच्चों की जिद्द मानना, हर इच्छा पूरी करना आदि गलत तरीका है। बच्चों को खुद से प्रयास करने दें, और उनके फेल हो जाने पर भी आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करें।
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3. बच्चों की तुलना न करें
तनाव-मुक्त पेरेंटिंग के लिए बच्चों की तुलना दूसरों से न करें। हर बच्चा खास होता है। हर बच्चे की क्वॉलिटी, दूसरे से अलग होती है। आपका बच्चा खास है, उसकी तुलना दूसरों से न करें। बच्चे को किसी का उदाहरण देना अलग बात है और उसे कंपेयर करना अलग है। बच्चे को उसकी अच्छी और बुरी आदतों के बारे में बताएं। अगर कोई बुरी आदत बच्चे में है, तो उसे प्यार से समझाएं और बदल लेने की सलाह दें।
4. बच्चों से ढेर सारी बातें करें
तनाव-मुक्त पेरेंटिंग के लिए बच्चों के साथ ढेर सारी बातें करें। अच्छी परवरिश के लिए बच्चों का दोस्त बनना चाहिए। उनके मन की बात जानना चाहते हैं, तो बच्चों की खुशी में खुश हों। उन एक्टिविटीज का हिस्सा बनें, जो बच्चों को पसंद है। बच्चों की लाइफ में कई समस्याएं होती हैं जिसे वो पेरेंट्स के साथ नहीं शेयर कर पाते। अगर आप दोनों के बीच बातचीत होती रहेगी, तो आपको बच्चों की समस्याएं, उसके मन में उठ रहे सवाल और जिज्ञासा का पता चलेगा।
5. बच्चों के साथ अनुभव साझा करें
तनाव-मुक्त पेरेंटिंग के लिए कहानियां हमेशा अच्छा जरिया होती हैं। बच्चों की मनपसंद कहानियां अगर उनके परिचित की हो, तो बच्चे और भी दिलचस्पी से उसे सुनेंगे। आप बच्चों को अपने अनुभव कहानी के रूप में बताएं। ज्यादातर बच्चे, अपने माता-पिता के पास्ट से जुड़ी बातें नहीं जानते। उन्हें नहीं पता होता कि माता-पिता किस आधार पर निर्णय ले रहे हैं। अगर अपने अनुभव बच्चों के साथ बांटेंगे, तो वे आपको बेहतर ढंग से समझ पाएंगे और आप दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा।
स्ट्रेस फ्री पेरेंटिंग के लिए बच्चों के साथ बातें करें, उनका दोस्त बनें, बच्चों की तुलना दूसरों न करें, उनमें कमियां न निकालें और अपने अनुभव बच्चों के साथ साझा करें।