
Sleep in Winter in Hindi: ठंड का मौसम शुरू होते ही हमारा शरीर आलस मोड में चला जाता है। सामान्य से ज्यादा नींद, सुस्ती और थकान महसूस होना इस मौसम में काफी आम होता है। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें सामान्य नींद लेने के बाद भी ज्यादा सोने का मन करता है या वे थोड़ी देर और सोना चाहते हैं। जबकि कुछ लोग महसूस करते हैं कि ठंड के मौसम में उनके सोने का समय बढ़ गया है। नींद हमारे शरीर के बेहतर तरीके से काम करने के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि ज्यादा या कम सोना दोनों ही हमारे शारीरिक और मानसिक शरीर के लिए हानिकारक होता है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या सर्दियों में ज्यादा सोना चाहिए या फिर ठंड के मौसम में कितने घंटे की नींद शरीर के लिए जरूरी होती है? आइए इस लेख में हम बैंगलोर के एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल कंसल्टेंट - इंटरनल मेडिसिन, डॉ. पूजा पिल्लई (Dr. Pooja Pillai, Consultant - Internal Medicine, Aster CMI Hospital, Bangalore) से जानते हैं इसके बारे में।
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सर्दियों में ज्यादा नींद क्यों आती है? - Why We Feel More Sleepy in Winter in Hindi?
डॉ. पूजा पिल्लई के अनुसार, सर्दियों में अक्सर हमें नॉर्मल से ज्यादा नींद आने लगती है। इसका सबसे बड़ा कारण सूरज की रोशनी कम मिलना है। सर्दियों में सूरज की रोशनी कम मिलने के कारण शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जो नींद लाने में मदद करता है। इसके अलावा ठंड के मौसम में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए ज्यादा एनर्जी खर्च करता है, जिससे थकान जल्दी महसूस होने लगती है। इतना ही नहीं, सूरज की रोशनी कम मिलने के कारण शरीर में विटामिन डी की कमी भी अक्सर सर्दियों में बढ़ जाती है, जो शरीर में सुस्ती और नींद बढ़ने का कारण बनता है, जिस कारण अक्सर इस मौसम में ज्यादा नींद आना काफी आम बात होता है।
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सर्दियों में हमें कितने घंटे सोना चाहिए? - How Much Sleep We Need in Winter?
डॉ. पूजा पिल्लई बताती हैं कि सर्दियों में शरीर को अक्सर थोड़े ज्यादा आराम की जरूरत होती है क्योंकि इस मौसम में ठंड के कारण शरीर में थकान की समस्या बढ़ जाती है। ज्यादातर बड़ों को हर रात लगभग 7 से 9 घंटे की नींद (nind kitne ghante ki leni chahiye) लेनी चाहिए, यहां तक कि सर्दियों में भी। इतनी नींद आपके शरीर को खुद को रिपेयर करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और एनर्जी लेवल को स्थिर रखने में मदद करती है। कुछ लोगों को शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण सर्दियों में आधे घंटे से 1 घंटे ज्यादा सोने की जरूरत महसूस हो सकती है। बच्चों और किशोरों को आमतौर पर थोड़ा ज्यादा नींद लेने की जरूरत होती है, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर हो सके। इतना ही नहीं, कोशिश करें कि सर्दियों में भी रोजाना एक ही समय पर सोए और जागे, ताकि अच्छी नींद आपके मूड को बेहतर बनाने, फोकस बढ़ाने और सेहत को बेहतर रखने में मदद कर सके।

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सर्दियों में कम सोने से क्या प्रॉब्लम होती है? - Side Effects Of Lack Of Sleep in Winter
डॉ. पूजा पिल्लई के मुताबिक, सर्दी के मौसम में अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो इसका सीधा असर आपके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। नींद की कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी और फ्लू का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, फोकस में कमी, याददाश्त कमजोर होना और थकान (kam sone se kya hoga) जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके साथ ही, लंबे समय तक नींद पूरी न होने पर व्यक्ति में मोटापा, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
सर्दियों में शरीर को थोड़ा ज्यादा आराम करने की जरूरत महसूस हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप पूरे दिन सोते ही रहें। डॉ. पूजा पिल्लई के अनुसार बड़ों को सर्दियों में 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए और बच्चों या किशोरों को थोड़ा ज्यादा सोना चाहिए ताकि उनके शरीर को पूरी तरह आराम मिल सके। इसके अलावा, सही समय पर सोना, हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट आपकी नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
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FAQ
कौन सी विटामिन की कमी से नींद नहीं आती है?
नींद न आने की समस्या आमतौर पर शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है, क्योंकि यह मेलाटोनिन यानी नींद हार्मोन के प्रोडक्शन को प्रभावित करता है, लेकिन विटामिन बी12, विटामिन बी6, बी3 और बी9 की कमी के कारण भी नींद न आने की समस्या हो सकती है।रात में नींद नहीं आने का क्या कारण है?
रात में नींद न आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें तनाव, एंग्जायटी, डिप्रेशन, खराब लाइफस्टाइल, देर शाम कैफीन का सेवन, ज्यादा स्क्रीन टाइम, एसिडिटी आदि चीजें शामिल हैं।नींद पूरी ना हो तो क्या होता है?
नींद पूरी न होने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, जिसके कारण याददाश्त कमजोर होने, फोकस में कमी, चिड़चिड़ापन, तनाव और डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाती है। इसके साथ ही यह मोटापा, डायबिटीज, हाई बीपी और दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
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Dec 17, 2025 08:21 IST
Modified By : Katyayani TiwariDec 17, 2025 08:21 IST
Published By : Katyayani Tiwari