
दिवाली आते ही बच्चों की आंखों में चमक आ जाती है, रंग-बिरंगे दीपक, मिठाइयां, नए कपड़े और सबसे ज्यादा उत्साह होता है पटाखे चलाने का। आसमान में उड़ते रॉकेट, चमकती फुलझड़ियों की लकीरें और कानों को चुभती आवाजें, यह सब त्योहार को और भव्य बना देती हैं, लेकिन इसी खुशी के बीच एक सच्चाई भी छिपी होती है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। पटाखों का धुआं और प्रदूषण उन बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है जो अस्थमा या सांस की एलर्जी से पीड़ित हैं। दिवाली के समय हवा में प्रदूषण का लेवल कई गुना बढ़ जाता है। सल्फर, कार्बन और धातुओं से बने ये पटाखे जब जलते हैं तो हवा में जहर घोल देते हैं। यह धुआं जब सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है, तो सांस लेने में तकलीफ, खांसी, सीने में जलन और अस्थमा अटैक तक का कारण बन सकता है। खासतौर पर बच्चों में यह खतरा और भी ज्यादा होता है क्योंकि उनका रेस्पिरेटरी सिस्टम अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता। इस लेख में एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से जानिए, पटाखों का असर अस्थमा से पीड़ित बच्चों पर कैसे पड़ता है?
अस्थमा वाले बच्चों पर पटाखों का असर - How Firecrackers Affect Children With Asthma
डॉक्टर सुधीर कुमार बताते हैं कि बच्चों का फेफड़ों का सिस्टम वयस्कों की तुलना में छोटा और अधिक संवेदनशील होता है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से उन्हें तुरंत खांसी, छींक, गले में जलन और सीने में जकड़न जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। कई बार स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि बच्चे को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है। डॉक्टरों के मुताबिक, दिवाली के दौरान अस्थमा अटैक के मामलों में 20-30% तक की बढ़ोतरी देखी जाती है। यह सिर्फ पटाखों के धुएं से ही नहीं बल्कि हवा में बढ़े प्रदूषण और तापमान में बदलाव के कारण भी होता है।
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डॉक्टर सुधीर कुमार बताते हैं, ''अस्थमा वाले बच्चों को पटाखों से दूर रखना बहुत जरूरी है। पटाखों के धुएं में मौजूद सूक्ष्म कण (microparticles) सीधे फेफड़ों में जाकर सूजन बढ़ाते हैं। यह अटैक को ट्रिगर कर सकता है, जिससे सांस रुकने जैसी स्थिति बन सकती है। ऐसे बच्चों को दिवाली पर बाहर कम से कम समय बिताना चाहिए और N95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।''
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माता-पिता को किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?
- अस्थमा या एलर्जी से पीड़ित बच्चे को किसी भी तरह के पटाखों से दूर रखें, चाहे वो फुलझड़ी हो या अनार।
- दिवाली के दिनों में घर के अंदर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें या पौधे जैसे स्नेक प्लांट और एलोवेरा रखें जो हवा को शुद्ध करते हैं।
- अगर बच्चे को बाहर जाना जरूरी हो तो N95 या N99 मास्क जरूर पहनाएं। यह हवा में मौजूद धूल और धुएं को फिल्टर करता है।
- जिन बच्चों को इनहेलर की जरूरत पड़ती है, उसे हमेशा साथ रखें। दिवाली की रात या अगले दिन हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है, ऐसे में एहतियात जरूरी है।
- घर के अंदर कपूर या लौंग जलाने से परहेज करें क्योंकि इससे भी धुआं निकलता है जो सांस की तकलीफ बढ़ा सकता है।
- इस मौसम में बच्चों को विटामिन C और हल्दी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें दें ताकि इम्यून सिस्टम मजबूत हो।
- दिवाली के बाद की सुबह हवा में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है, इसलिए बच्चों को आउटडोर खेल से बचाएं।
निष्कर्ष
पटाखों की चमक भले ही कुछ मिनटों की हो, लेकिन उनका धुआं अस्थमा पीड़ित बच्चों के लिए कई दिनों तक खतरा बना रह सकता है। माता-पिता की थोड़ी-सी सावधानी उनके बच्चों को अस्थमा अटैक जैसी गंभीर स्थिति से बचा सकती है। इस दिवाली, खुशी और सेहत दोनों का संतुलन बनाए रखें, क्योंकि सच्ची रोशनी वही है जो किसी की सांसों में उजाला भर दे, धुआं नहीं।
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FAQ
क्या ग्रीन पटाखे अस्थमा के मरीजों के लिए सुरक्षित हैं?
ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में थोड़े कम प्रदूषण फैलाते हैं, लेकिन वे पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। इनमें भी कुछ मात्रा में धुआं और गैस निकलती है जो अस्थमा ट्रिगर कर सकती है। इसलिए बेहतर है कि बच्चे किसी भी प्रकार के पटाखों से दूर रहें।क्या दिवाली के दौरान इनहेलर का उपयोग बढ़ाना चाहिए?
अगर बच्चे को अस्थमा है तो डॉक्टर से सलाह लेकर रिलीवर इनहेलर पास रखें। प्रदूषण बढ़ने के दिनों में इनहेलर की डोज डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही बढ़ाई जा सकती है।क्या घर में कपूर या धूप जलाना सुरक्षित है?
नहीं, कपूर, अगरबत्ती या धूप से भी धुआं निकलता है जो अस्थमा वाले बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। बेहतर है कि दिवाली के दिनों में इन्हें जलाने से परहेज करें।
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Current Version
Oct 19, 2025 10:18 IST
Published By : Akanksha Tiwari