आज के समय में करियर, वर्किंग कल्चर और निजी जीवन की प्राथमिकताओं के चलते लोग शादी और पैरेंटिंग को टालने लगे हैं। जहां एक ओर लोग देर से फैमिली प्लान कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खराब लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान, नींद की कमी, तनाव और प्रदूषण जैसे कारणों की वजह से पुरुष और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। यही कारण है कि आज के दौर में फर्टिलिटी गाइडेंस यानी संतान प्राप्ति से जुड़ी सही जानकारी और मार्गदर्शन की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। कई बार कपल्स को तब तक यह नहीं पता चलता कि उनकी फर्टिलिटी में कोई समस्या है जब तक वे सालों तक कोशिश के बाद भी संतान की उम्मीद नहीं कर पाते। ऐसे में सही समय पर फर्टिलिटी से जुड़ी जांच, ओव्यूलेशन की समझ, हेल्दी लाइफस्टाइल और डॉक्टर की सलाह पर काम करना जरूरी होता है। यही फर्टिलिटी गाइडेंस है जो फैमिली प्लानिंग को आसान बना सकता है। इस लेख में मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानिए, फैमिली प्लानिंग के लिए फर्टिलिटी गाइडेंस कितनी जरूरी है?
फैमिली प्लानिंग के लिए फर्टिलिटी गाइडेंस कितनी जरूरी है? - Fertility Guidance For Family Planning
फर्टिलिटी गाइडेंस का मतलब है कि आपके शरीर की प्रजनन क्षमता को समझना, उसकी जांच कराना, सही समय पर गर्भधारण की प्लानिंग बनाना और यदि कोई समस्या है तो समय रहते उसका इलाज करवाना। इसमें डॉक्टरी सलाह, ओव्यूलेशन की जानकारी, हार्मोन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड जैसी जांचें, डाइट और स्ट्रेस मैनेजमेंट सब कुछ शामिल होता है। फैमिली प्लानिंग का मतलब केवल गर्भनिरोधक उपाय नहीं है, बल्कि यह सही समय पर संतान के लिए प्लानिंग बनाना भी है। फर्टिलिटी गाइडेंस से आप जान सकते हैं कि-
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- आपकी प्रजनन क्षमता सामान्य है या नहीं
- कब गर्भधारण के सबसे ज्यादा अवसर हैं
- किन मेडिकल या लाइफस्टाइल फैक्टर से फर्टिलिटी प्रभावित हो रही है
- फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की जरूरत है या नहीं
गर्भधारण के लिए महिला का ओव्यूलेशन साइकल समझना बेहद जरूरी होता है। हर महीने ओव्यूलेशन के समय कुछ दिन ऐसे होते हैं जिनमें गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। फर्टिलिटी गाइडेंस में ओव्यूलेशन ट्रैक करने के तरीके सिखाए जाते हैं। कई बार नेचुरल कन्सेप्शन संभव नहीं हो पाता तो फर्टिलिटी गाइडेंस IVF, IUI या डोनर एग/स्पर्म जैसी मेडिकल टेक्नोलॉजी (delayed pregnancy risks) के विकल्प सुझाता है। ये विकल्प भी तभी सफल होते हैं जब समय पर इलाज शुरू किया जाए।
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देर से शादी और फर्टिलिटी पर असर - Does late marriage affect pregnancy
महिलाओं में 35 साल के बाद और पुरुषों में 40 साल के बाद फर्टिलिटी धीरे-धीरे कम होने लगती है। देर से शादी या पैरेंटिंग की प्लानिंग बनाने से ओव्यूलेशन साइकल में गड़बड़ी, एग की क्वालिटी में कमी और गर्भधारण में देरी हो सकती है। फर्टिलिटी गाइडेंस आपको यह तय करने में मदद करता है कि सही समय क्या है और आपकी बॉडी कितनी तैयार है।
फर्टिलिटी के लिए कौन सा टेस्ट करवाना चाहिए? - What tests are needed to check fertility
अगर एक साल तक नियमित प्रयासों के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पा रहा है, तो महिला और पुरुष दोनों को फर्टिलिटी टेस्ट कराने चाहिए।
- महिला के लिए AMH, LH, FSH हार्मोन टेस्ट
- पुरुष के लिए स्पर्म एनालिसिस
- सोनोग्राफी और HSG
निष्कर्ष
फर्टिलिटी गाइडेंस फैमिली प्लानिंग के लिए बहुत जरूरी है। यह आपको न सिर्फ शारीरिक रूप से तैयार करता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी पैरेंटहुड की यात्रा में सपोर्ट करता है। यदि आप फैमिली प्लान करने की सोच रहे हैं तो पहले अपनी फर्टिलिटी की सही जानकारी लें, प्रोफेशनल गाइडेंस लें और फिर प्लानिंग करें।
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FAQ
प्रेग्नेंसी के लिए क्या तैयारी करनी चाहिए?
प्रेग्नेंसी की प्लानिंग बनाने से पहले महिला और पुरुष दोनों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है। सबसे पहले महिला को फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेना शुरू करना चाहिए, जिससे बच्चे में जन्म दोष की संभावना कम होती है। हेल्दी डाइट लें, नियमित एक्सरसाइज करें और पर्याप्त नींद लें। धूम्रपान, शराब और कैफीन से दूरी बनाएं। महिला को पीरियड्स का ट्रैक रखना चाहिए ताकि ओवुलेशन के समय संबंध बनाना आसान हो। पुरुषों को भी सेहत का ध्यान रखते हुए तनाव कम करना चाहिए। साथ ही, दोनों को डॉक्टर से फर्टिलिटी और हेल्थ चेकअप जरूर करवाना चाहिए।ऐसा क्या करें जिससे जल्दी प्रेग्नेंट हो जाए?
जल्दी प्रेग्नेंट होने के लिए सबसे जरूरी है ओवुलेशन पीरियड के दौरान संबंध बनाना। महिलाएं ओवुलेशन ट्रैक करने के लिए पीरियड कैलेंडर, बेसल बॉडी टेम्परेचर या ओवुलेशन टेस्ट किट का इस्तेमाल कर सकती हैं। हेल्दी और बैलेंस डाइट लें, तनाव से बचें और नियमित एक्सरसाइज करें। धूम्रपान, शराब और अत्यधिक कैफीन का सेवन न करें। साथ ही, किसी भी तरह की मेडिकल समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।प्रेग्नेंसी में क्या खाएं जिससे बच्चे का दिमाग तेज हो?
प्रेग्नेंसी के दौरान मां का खानपान बच्चे के मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें जैसे अखरोट, अलसी के बीज और फिश (अगर डॉक्टर सलाह दें) का सेवन फायदेमंद होता है। साथ ही फोलिक एसिड, आयरन और विटामिन B12 से भरपूर चीजें जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडा, चना, दूध और बादाम भी बच्चे के दिमागी विकास में मदद करते हैं।