How To Prevent Thalassemia in Fetus: शादी करने के बाद हर कपल कुछ समय बाद फैमिली प्लानिंग करने के बारे में सोचने लगता है। लेकिन, आज के समय में बढ़ती बीमारियां और जेनेटिक बीमारियों के बढ़ते जोखिम के बीच कई बार वे इस बात को लेकर परेशान हो जाते हैं कि उनके आने वाले बच्चे को स्वास्थ्य से जुड़ी किसी तरह की समस्या न हो। हर माता पिता चाहते हैं कि उनका होने वाला बच्चा हेल्दी रहे और हर तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहे। खासकर, जब पेरेंट्स को खुज कोई बीमारी नहीं है। लेकिन, थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है, जो माता-पिता के जरिए बच्चे तक आसानी से पहुंच सकती है। फिर चाहे माता-पिता को वो समस्या न हो, क्योंकि ये एक जेनेटिक बीमारी है। थैलेसीमिया एक खून की बीमारी है, जो गर्भ से बच्चे में आती है। इसमें शरीर में खून में मौजूद हीमोग्लोबिन ठीक से नहीं बनता। हीमोग्लोबिन हमारे शरीर की वह चीज है, जो हमारे शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती है। ऐसे में अहमदाबाद के बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ सेंटर के फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. विवेक कक्कड़ से जानने की कोशिश करते हैं कि क्या माता-पिता से भ्रूण में थैलेसीमिया होने से रोका जा सकता है?
थैलेसीमिया कैसे फैलता है? - How is Thalassemia Transmitted in Hindi?
थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है जो माता-पिता के जीन के जरिए बच्चे में जाती है। अगर पति और पत्नी दोनों में थैलेसीमिया का जीन है (जिसे कैरियर कहते हैं), तो उनके हर बार पैदा होने वाले बच्चे में 25% चांस होता है कि वह थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होगा। 50% चांस होता है कि बच्चा कैरियर होगा यानी बीमारी नहीं होगी लेकिन आगे फैला सकता है और सिर्फ 25% चांस होता है कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ होगा। बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे कैरियर हैं, क्योंकि उन्हें कोई लक्षण नहीं होते हैं। ऐसे में माता या पिता के द्वारा बच्चे में थैलेसीमिया होने की संभावना ज्यादा होती है, जिसके बारे में उन्हें ही पता नहीं होता है।
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क्या थैलेसीमिया के साथ हेल्दी बच्चा पैदा करना संभव है? - Is It Possible To Have A Healthy Baby With Thalassemia Patient in Hindi?
कई पेरेंट्स के मन में ये सवाल रहता है कि अगर दोनों पति-पत्नी थैलेसीमिया के कैरियर हैं, तो क्या वे हेल्दी बच्चा पैदा कर सकते हैं? जिसे लेकर फर्टिलिटी स्पेशलिटी डॉ. विवेक कक्कड़ का कहना है कि, हां. माता-पिता दोनों को थैलेसीमिया होने के बाद उनके लिए हेल्दी बच्चा पैदा करना मुमकिन है। आजकल मेडिकल साइंस इतनी आगे बढ़ चुकी है कि IVF और PGT जैसी तकनीकों की मदद से यह आसानी से संभव हो सकता है। IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक ऐसी तकनीक है जिसमें डॉक्टर महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में फर्टिलाइजड करते हैं और इससे भ्रूण (एंब्रियो) बनता है। PGT-M (Preimplantation Genetic Testing for Monogenic disorders) एक टेस्ट है, जो भ्रूण में थैलेसीमिया जैसी बीमारियों की जांच करने में अहम रोल अदा करता है।
भ्रूण में थैलेसीमिया होने से कैसे रोका जा सकता है? - How To Prevent A Fetus From Thalassemia in Hindi?
IVF ट्रीटमेंट के दौरान PGT जैसी तकनीक की मदद से भ्रूण में थैलेसीमिया जैसी जेनेटिक बीमारी को जाने से रोका जा सकात है। इसके लिए, महिला और पुरुष से अंडा और स्पर्म लेकर लैब में भ्रूण को तैयार किया जाता है। इसके बाद हर भ्रूण की जांच की जाती है कि उसे थैलेसीमिया है या नहीं। जो भ्रूण बिल्कुल स्वस्थ होते है, उसे ही डॉक्टर महिला के गर्म में ट्रांसफर करते हैं। इससे बच्चा थैलेसीमिया से पूरी तरह सुरक्षित रहता है। यह तकनीक बीमारी को शुरू होने से पहले ही रोक देती है। यह तकनीक एक सुरक्षित और भरोसेमंद है, जिससे भ्रूण में थैलेसीमिया होने की संभावना को कम किया जा सकता है।
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फैमिली प्लानिंग के दौरान जेनेटिक काउंसलिंग क्यों जरूरी है? - What is The Importance Of Genetic Counseling For Pregnancy in Hindi?
फैमिली प्लानिंग करने वाले कपल के लिए जेनेटिक काउंसलिंग बहुत जरूरी होती है, क्योंकि इससे कपल एक एक्सपर्ट की मदद लेते हैं, जो ये बताते हैं कि कपल को या उनके परिवार में थैलेसीमिया है या नहीं। इस काउंसलिंग के दौरान एक ब्लड टेस्ट से पता लगाया जाता है कि आप कैरियर हैं या नहीं। अगर दोनों पति-पत्नी कैरियर हैं, तो IVF के साथ PGT की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही कपल को इस काउंसलिंग में समझाया जाता है कि उनके लिए हेल्दी बच्चा पैदा करने के सही तरीका क्या है।
निष्कर्ष
थैलेसीमिया कोई छोटी बीमारी नहीं है। यह एक ऐसी समस्या है जो लाइफ टाइम बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को परेशान कर सकती है। पहले के समय में थैलेसीमिया जैसी बीमारी को बच्चे में जाने से रोकना मुश्किल होता था। लेकिन, आज के समय में IVF और PGT जैसी तकनीकों की मदद से ये संभव हो गया है। इसलिए, अगर आपको या आपकी फैमिली हिस्ट्री में थैलेसीमिया जैसी बीमारी है तो आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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FAQ
थैलेसीमिया के क्या लक्षण हैं?
थैलेसीमिया के लक्षण इस बीमारी की गंभीरता और प्रकार पर निर्भर करते हैं। सामान्य तौर पर थैलेसीमिया होने पर थकान, कमजोरी, पीली स्किन, चेहरे री हड्डियों में बदलाव, और पेट का बढ़ना शामिल है।थैलेसीमिया का पता कैसे लगाया जाता है?
थैलेसीमिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट सबसे बेहतर तरीका है, जिसमें CBC और हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस शामिल हैं। इसके अलावा, जेनेटिक टेस्ट से भी थैलेसीमिया के बारे में पता लगाया जा सकता है।थैलेसीमिया बीमारी से क्या होता है?
थैलेसीमिया एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन को प्रभावित करता है। इसके कारण शरीर में पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स नहीं बन पाते हैं, जिसेस एनीमिया की समस्या हो सकती है।